भारत और ऑस्ट्रेलिया के दरमियान खेली जा रही 4 मैचों की टेस्ट सीरीज़ दो मैचों के बाद 1-1 से बराबरी पर आ गई है।
एडिलेड ओवल में खेला गया पहला टेस्ट भारत ने सिर्फ 31 रन से जीता था जबकि पर्थ में खेले दूसरे टेस्ट में मेज़बान टीम 146 रनों से विजयी रही। ऑस्ट्रेलियाई टीम अपने दिग्गज खिलाड़ियों, डेविड वॉर्नर और स्टीव स्मिथ के बिना ही खेल रही है लेकिन इसके बावजूद वह भारतीय टीम को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। इन दोनों खिलाड़ियों की ग़ैर-मौजूदगी में कोहली ब्रिग्रेड के पास इतिहास रचने का सुनहरी मौका है।
ग़ौरतलब है कि भारत ने अभी तक ऑस्ट्रेलिया में कभी भी टेस्ट सीरीज़ नहीं जीती है। ऐसे में, इतिहास रचने के लिए भारतीय टीम को अगले दो टेस्ट मैच जीतने होंगे या कम से कम एक टेस्ट जीतकर दूसरा ड्रॉ करवाना होगा। लेकिन मेज़बान टीम के शानदार प्रदर्शन को देखते हुए यह बहुत मुश्किल लगता है। इसके लिए भारतीय टीम को दूसरे टेस्ट में की गई कुछ ख़ामियों को दूर करना होगा। तो आइये नज़र डालते हैं ऐसी तीन प्रमुख ख़ामियों पर जिन्हें बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी जीतने के लिए टीम इंडिया को दूर करना होगा:
#3. पुछल्ले बल्लेबाज़ों को आउट करने में दिक्क्त
भारतीय गेंदबाज़ों को विपक्षी टीम के पुछल्ले बल्लेबाज़ों को चलता करने में हमेशा परेशानी का सामना करना पड़ता है। पहले टेस्ट में हमने देखा कि कैसे ऑस्ट्रेलिया के निचले क्रम के बल्लेबाज़ों ने भारतीय गेंदबाज़ों के पसीने छुड़ा दिए थे और यह मैच भारत ने सिर्फ 31 रनों से जीता था। एक समय पर मेज़बान टीम का स्कोर 7 विकेटों के नुकसान पर 187 रन था लेकिन आखिरी तीन बल्लेबाज़ों ने स्कोर को 291 तक पहुंचा दिया था और एक समय ऐसा लग रहा था कि शायद यह मैच मेज़बान टीम जीत जाएगी।
वहीं दूसरे टेस्ट की दूसरी पारी में जोश हेज़लवुड और मिचेल स्टार्क के बीच आखिरी विकेट के लिए बेहद अहम 36 रनों की साझेदारी हुई। भारतीय गेंदबाज़ों को आखिरी विकेट लेने के लिए काफी मशक्क्त करनी पड़ी थी। इसलिए 26 दिसंबर से शुरू होने वाले तीसरे टेस्ट से पहले गेंदबाज़ों को अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए ख़ूब तैयारी करनी होगी।
#2. बल्लेबाज़ी
अक्सर ऐसा देखा गया है कि जब भी टीम इंडिया विदेशों में कोई टेस्ट सीरीज़ हारती है तो उसका प्रमुख कारण बल्लेबाज़ों का लचर प्रदर्शन होता है। ऐसा ही ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ मौजूदा टेस्ट सीरीज़ में भी हो रहा है। इससे पहले हमने भारत के इंग्लैंड दौरे में भी देखा कि कैसे कप्तान विराट कोहली को छोड कर बाकी कोई भी बल्लेबाज़ रन नहीं बना सका।
यहां तक कि इंग्लैंड के पूर्व सलामी बल्लेबाज ज्योफ्री बायकाट ने टीम इंडिया के बल्लेबाजी प्रदर्शन को 'गैरज़िम्मेदाराना और अनुभवहीन' करार दिया था। लेकिन लगता है भारतीय बल्लेबाज़ों ने उससे कोई सबक नहीं लिया। पर्थ में खेले गए दूसरे टेस्ट की बात करें तो इसमें कप्तान कोहली और अजिंक्य रहाणे को छोड़कर कोई भी बल्लेबाज़ फॉर्म में नज़र नहीं आया।
सलामी बल्लेबाज़ों मुरली विजय और केएल राहुल का लचर प्रदर्शन टीम इंडिया के लिए परेशानी का सबब है, वहीं मध्य-क्रम के बल्लेबाज़ भी गलत शॉट्स खेलकर आउट होते नज़र आये हैं। ऐसे में यदि भारत को यह टेस्ट सीरीज़ जीतकर इतिहास रचना है तो आखिरी दो मैचों में सभी बल्लेबाज़ों को ज़िम्मेदारी से खेलना होगाा।
#1. स्पिन गेंदबाजी को खेलने में परेशानी
जब भी भारतीय टीम विदेशी सरज़मीं पर खेलती है, उन्हें स्पिनरों को खेलने में परेशानी होती है। शायद विदेशों में सीरीज़ हारने का यह सबसे बड़ा कारण है।उदाहरण के तौर पर इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में मोइन अली जैसे दोयम दर्जे के ऑफ स्पिनर के सामने पूरी भारतीय बल्लेबाजी लाइन-अप घुटने टेकते नज़र आई थी और उन्होंने इंग्लैंड को 4-1 से सीरीज़ जिताने में बेहद अहम भूमिका निभाई थी।
वहीं भारत के वर्तमान ऑस्ट्रेलिया दौरे में दोनों ही टेस्ट मैचों में मेज़बान ऑफ-स्पिनर नाथन लियोन ने टीम इंडिया की बल्लेबाज़ी लाइन-अप को तहस-नहस किया है। पहले टेस्ट में उन्होंने 8 विकेट लिए थे और दूसरे मैच में भी महत्वपूर्ण 8 विकेट हासिल किये जिसमें विराट कोहली का विकेट भी शामिल है।
ऐसा तब है जब भारतीय बल्लेबाज़ों को स्पिनर विशेषज्ञ माना जाता है यानि सभी बल्लेबाज़ तेज़ गेंदबाज़ों की बजाय स्पिनरों के खिलाफ ज़्यादा अच्छा प्रदर्शन करते रहे हैं। बहरहाल, यह एक ऐसी ख़ामी है जिसे टीम इंडिया को आगामी टेस्ट मैच से पहले दूर करना होगा।