टीम इंडिया (Indian Cricket Team) के स्टार बल्लेबाज विराट कोहली (Virat Kohli) ने साल 2011-12 में भारत के ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान पर्थ में तीसरे टेस्ट को अपने रेड-बॉल करियर का टर्निंग प्वाइंट बताया है। कोहली चार मैचों की इस टेस्ट सीरीज के पहले दो मैचों में बैक-टू-बैक फ्लॉप रहे थे और तीसरे मैच से पहले उनपर काफी दबाव था। आईपीएल फ्रेंचाइजी रॉयल चैंलेजर्स बैंगलौर (RCB) के पॉडकास्ट पर कोहली ने बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि उन्हें पता था कि अगर वह पर्थ टेस्ट में भी फेल रहे तो उन्हें टीम से बाहर कर दिया जाएगा।
उन्होंने यह भी बताया कि इस पिच पर बल्लेबाजी करना बहुत चुनौतीपूर्ण था और वहां तेज गेंदबाजों को काफी गति और उछाल मिल रही थी। अपने करियर के सबसे कठिन दिनों को याद करते हुए कोहली ने कहा,
मैं 2012 कहूंगा। हम ऑस्ट्रेलिया में थे और मुझे याद है कि वे दो टेस्ट मैच बहुत खराब गए थे। हम पर्थ में खेल रहे थे, तीसरा टेस्ट मैच, और यह बहुत कठिन पिच थी, जिसमें बहुत गति और उछाल थी और पिच पर बहुत सारी घास थी। मुझे पता था कि अगर मैं प्रदर्शन नहीं करता हूं, तो कोई मौका नहीं है कि मैं चौथा टेस्ट खेलने जा रहा हूं और शायद मुझे प्रथम श्रेणी क्रिकेट में वापस जाना होगा और फिर से अपना रास्ता तलाशना होगा।
विराट कोहली ने आगे कहा कि पहले दो टेस्ट हारने के बाद टीम का मनोबल गिरा हुआ था। दिल्ली में जन्मे इस क्रिकेटर ने इस बात पर गौर करते हुए बताया कि सीनियर खिलाड़ियों को इतने दबाव में देखकर उन्हें लगा कि उनके पास मैच में अच्छा प्रदर्शन करने का मौका नहीं है। उन्होंने कहा,
जब आप ऑस्ट्रेलिया में दो टेस्ट मैच बहुत बुरी तरह हारते हैं तो पूरा माहौल बहुत तनावपूर्ण हो जाता है और जाहिर तौर पर हर कोई काफी दबाव महसूस कर रहा होता है। जब यह ऑस्ट्रेलिया में आपका पहला दौरा होता है और आप सभी को उस दबाव को महसूस करते हुए देखते हैं, एक युवा खिलाड़ी के रूप में आपको ऐसा लगता है, यहां आपको कोई मौका नहीं मिलने वाला, क्योंकि पूरी टीम ऐसा महसूस कर रही है और मैं सबसे अनुभवहीन, मैं इसे कैसे बदलूंगा? उन परिस्थितियों में मुझे एक लचीलापन मिला कि अगर मैं अलग तरह से सोचूं तो शायद मैं अलग हो सकता हूं।
गौरतलब है कि कोहली ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शुरुआती टेस्ट की पहली पारी में सिर्फ 11 रन बनाये थे और दूसरी पारी में गोल्डन डक पर आउट हुए थे। वहीं, दूसरे टेस्ट में भी उनका बल्ला नहीं चला और दोनों पारियों में क्रमशः 23 और 9 रन ही बना सके।
"खुद को मोटिवेट करने के लिए कहता रहा, 'मैं काफी अच्छा हूं'.." - विराट कोहली
विराट कोहली ने आगे कहा कि पर्थ टेस्ट से पहले वह खुद को याद दिलाते रहे कि उनके नाम आठ वनडे शतक हैं। उन्होंने कहा कि वह खुद को बताते रहे कि वह खुद को प्रेरित करने के लिए उच्चतम स्तर पर खेलने के लिए काफी अच्छे हैं। पर्थ में अपने बल्लेबाजी प्रदर्शन को याद करते हुए कोहली ने कहा,
हर बार जब मैंने बस या अभ्यास सत्र में कदम रखता, तो हमेशा संगीत सुनता रहता। मैं खुद से कहता रहा कि मैं इस स्तर पर खेलने के लिए काफी अच्छा हूं, और अगर मैं एकदिवसीय क्रिकेट में आठ शतक बना सकता हूं, तो मैं यहां भी अच्छा कर सकता हूं। मैं अपने आप से कहता रहा कि मैं काफी अच्छा हूं।
मैंने पहली पारी में 48 रन बनाए और दूसरी पारी में 75 रन बनाए जो बहुत कठिन थे, और मैं टेस्ट मैच में टीम इंडिया के लिए सबसे ज्यादा रन बनाने वाला खिलाड़ी था। इससे मुझे विश्वास हुआ कि कल्पना करने और खुद पर विश्वास करने की शक्ति, यह इतना बड़ा है कि हम कभी भी इसकी क्षमता का पूरी तरह से उपयोग नहीं कर पाते हैं।
आपको बता दें कि विराट कोहली ने पर्थ टेस्ट की पहली पारी में 48 नहीं 44 रन बनाये थे, वहीँ दूसरी पारी में 75 रन जड़े थे।