पूर्व भारतीय क्रिकेटर वीरेंदर सहवाग (Virender Sehwag) ने वानखेड़े स्टेडियम की बिजली व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि अगर मैच के दौरान लाइट चली गई थी तो जेनरेटर की व्यवस्था होनी चाहिए थी। सहवाग के मुताबिक अगर सभी चीजों के लिए जेनरेटर का प्रयोग किया जाता है तो टेक्नॉलजी के लिए क्यों नहीं जेनरेटर की व्यवस्था की गई।
दरअसल आईपीएल में मुंबई इंडियंस और चेन्नई सुपर किंग्स के बीच मुकाबले के दौरान कुछ ऐसा हुआ जो शायद ही इससे पहले देखने को मिला हो। चेन्नई सुपर किंग्स के बल्लेबाज डेवोन कॉनवे को डेनियल सैम्स की गेंद पर पहले ओवर में पगबाधा आउट करार दिया गया। कॉनवे इस पर रिव्यू लेना चाहते थे क्योंकि उन्हें लग रहा था कि वो आउट नहीं हैं। हालांकि वो डीआरएस का प्रयोग नहीं कर सके क्योंकि उस वक्त स्टेडियम के एक हिस्से में लाइट नहीं थी और इसी वजह से वो डीआरएस लेने में असमर्थ रहे। बाद में रीप्ले में दिखा कि कॉनवे आउट नहीं थे और अगर उन्हें डीआरएस का मौका मिलता तो वो नॉट आउट करार दिए जाते।
क्या जेनरेटर सिर्फ स्टेडियम की लाइटों के लिए था? - सहवाग
वीरेंदर सहवाग ने इस घटना पर हैरानी जताई और कहा कि जब स्टेडियम की लाइटों के लिए जेनरेटर की व्यवस्था थी तो फिर टेक्नॉलजी के लिए क्यों नहीं थी। क्रिकबज्ज पर बातचीत के दौरान उन्होंने कहा,
अगर पावर कट हो जाए तो क्या होगा ? क्या जेनरेटर सिर्फ स्टेडियम की लाइटों के लिए हैं और ब्रॉडकास्टर्स और उनके सिस्टम के लिए नहीं है। अगर मैच हो रहा था तो निश्चित रूप से डीआरएस मिलना चाहिए था। या तो फिर पूरे मैच के दौरान ही डीआरएस का प्रयोग नहीं होना चाहिए था, क्योंकि इससे चेन्नई को नुकसान उठाना पड़ा। अगर मुंबई पहले बल्लेबाजी करती तो उन्हें दिक्कत होती।