वर्ल्ड कप का 12वां सीजन 30 मई से शुरू होने वाला है जिसकी मेजबानी इंग्लैंड और वेल्स कर रहे हैं। इस टूर्नामेंट में विश्व की शीर्ष 10 टीमें हिस्सा ले रही हैं। लगभग सभी देश इंग्लैंड की सरजमीं पर पहुंच चुके हैं और वहां के वातावरण के अनुकूल खुद को ढालने को लेकर प्रयासरत हैं।
पिछले वर्ल्ड कप में न्यूजीलैंड टीम ने पूरे लीग मैचों और सेमीफाइनल में शानदार प्रदर्शन किया लेकिन फाइनल में उन्हें ऑस्ट्रेलिया ने आसानी से हराकर 5वीं बार वर्ल्ड कप के खिताब पर कब्जा किया। ठीक उसी तरह श्रीलंका टीम को भी वर्ल्ड कप 2007 और वर्ल्ड कप 2011 के फाइनल में पहुंचकर हार का सामना करना पड़ा।
आज हम आपको 5 ऐसे टीमों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका वर्ल्ड कप टूर्नामेंट में अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद भी खिताब जीतने का सपना टूट गया।
#5. दक्षिण अफ्रीका (वर्ल्ड कप 1992):
1992 वर्ल्ड कप पहली बार रंगीन जर्सी पहनकर सभी टीमें मैदान पर उतरी थीं। साथ ही साथ दक्षिण अफ्रीका पहली बार वर्ल्ड कप खेलने जा रही थी। वर्ल्ड कप से कुछ समय पहले ही उन पर से बैन हटाया गया था। ऑस्ट्रेलिया में हो रहे इस वर्ल्ड कप में दक्षिण अफ्रीका ने अपना पहला वर्ल्ड कप मुकाबला ऑस्ट्रेलिया के ही खिलाफ सिडनी में खेला था जिसमें दक्षिण अफ्रीका ने 13 बाल शेष रहते हुए 9 विकेट से जीत हासिल की थी। इसके बाद उन्होंने नॉकआउट से पहले सभी मैचों में जीत हासिल की। लेकिन इंग्लैंड के खिलाफ दूसरे सेमीफाइनल में उन्हें 19 रन से हार का सामना करना पड़ा था जब बारिश से मैच बाधित होने के कारण उन्हें जीत हासिल करने के लिए एक गेंद पर 22 रन बनाने का लक्ष्य मिला।
इस मैच में इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 252 रन बनाए थे। बारिश के कारण डकवर्थ लुईस विधि से दक्षिण अफ्रीका को 45 ओवर में 273 रन का लक्ष्य मिला, फिर उसके बाद 43 ओवरों में 257 रनों का लक्ष्य मिला। इस कारण उनका वर्ल्ड कप जीतने का सपना भी टूट गया। जिसके बाद डकवर्थ लुईस नियम में बदलाव की मांग उठने लगी।
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#4. पाकिस्तान (वर्ल्ड कप 1999)
वर्ल्ड कप 1992 की विजेता टीम पाकिस्तान ने वर्ल्ड 1999 में वसीम अकरम के नेतृत्व में अच्छा प्रदर्शन किया था। पाकिस्तान टीम ने उस वर्ल्ड कप में सभी लीग मैचों में जीत हासिल की थी, लेकिन फाइनल में उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा और वे खिताब नहीं जीत पाए। फाइनल मैच में पाकिस्तान ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 39 ओवरों में 132 रन बनाए थे। जवाब में उतरी ऑस्ट्रेलिया की टीम ने मात्र 20.1 ओवरों में ही जीत हासिल कर ली थी।
#3. भारत (वर्ल्ड कप 2003)
इसमें कोई दो राय नहीं है कि साल 2003 के वर्ल्ड कप में ऑस्ट्रेलिया टीम सबसे मजबूत थी लेकिन भारतीय टीम ने भी शानदार प्रदर्शन किया था। भारतीय टीम ने इस वर्ल्ड कप में ऑस्ट्रेलिया के अलावा सभी देशों को हराकर फाइनल में पहुंची थी। भारतीय टीम में उस साल अनिल कुंबले, सचिन तेंदुलकर, जवागल श्रीनाथ जैसे अनुभवी खिलाड़ी थे जबकि वीरेंदर सहवाग और युवराज सिंह और मोहम्मद कैफ जैसे युवा खिलाड़ी भी टीम में शामिल थे। वर्ल्ड कप 2003 के फाइनल मुकाबले में भारतीय टीम को ऑस्ट्रेलिया ने 360 रनों का लक्ष्य दिया था। जवाब में उतरी भारतीय टीम 234 रन पर ऑलआउट हो गई।
#2. इंग्लैंड (वर्ल्ड कप 1987)
1987 का वर्ल्ड कप फाइनल इकलौता ऐसा फाइनल था जब एशियाई मैदान पर दो गैर एशियाई देश मुकाबला खेल रहे थे। इस वर्ल्ड कप की मेजबानी भारत और पाकिस्तान कर रहे थे। इंग्लैंड का यह वर्ल्ड कप अच्छा गुजरा था हालांकि उन्हें करांची में पाकिस्तान के खिलाफ हुए मुकाबले में हार का सामना करना पड़ा था। वर्ल्ड कप 1987 के फाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड को 254 रनों का लक्ष्य दिया। जवाब में उतरी इंग्लैंड 246 रन ही बना पाई और 7 रन से फाइनल मुकाबला हार गई। यह दूसरी बार था जब इंग्लैंड को वर्ल्ड कप के फाइनल में हार का सामना करना पड़ा था।
#1. न्यूजीलैंड (वर्ल्ड कप 2015)
वर्ल्ड कप 2015 में न्यूजीलैंड खिताब जीतने की प्रबल दावेदार थी। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एक लीग मैच में 161 गेंदों पहले ही जीत हासिल कर लिया था। इसके साथ ही साथ उन्होंने सभी मैचों में जीत भी हासिल की थी। लेकिन मेलबर्न में खेले गए फाइनल मुकाबले में न्यूजीलैंड की टीम पहले बल्लेबाजी करते हुए 45 ओवरों में 183 रन बनाकर ऑलआउट हो गई। जवाब में उतरी ऑस्ट्रेलिया की टीम ने 33.1 ओवरों में 3 विकेट खोकर ही लक्ष्य हासिल कर लिया।