वर्ल्ड कप 2019: टूर्नामेंट के लो-स्कोरिंग होने के 4 बड़े कारण

KR Beda
South Africa v India - ICC Cricket World Cup 2019

आईसीस ने वर्ल्ड कप 2019 के लिए 10 टीमों के साथ के साथ टूर्नामेंट करवाने का फैसला लिया था, ताकि उन मैचों को हटा दिया जाए जिनकी वजह से प्रशंसकों क्रिकेट में दिलचस्पी ख़त्म हो रही है और यह कारण था कि इस टूर्नामेंट के लिए टॉप 10 टीमों का चयन किया गया था। कुछ उच्च स्कोर वाले थ्रिलर उत्पन्न करने के लिए फ्लैट डेक तैयार किए जाने थे। लेकिन मामला इससे उल्टा होता नजर आ रहा है।

इस टूर्नामेंट में अब तक खेले गये कई मैच एकतरफा रहे है, जिसमें एक टीम लक्ष्य को पार करने में बुरी तरह विफल हुई तो दूसरी टीम ने मैच को आसानी से अपने कब्जे में कर लिया। इस टूर्नामेंट में गेंदबाजों के प्रदर्शन को नजरंदाज नहीं किया जा सकता, बेसक उन्होंने इस टूर्नामेंट में शानदार गेंदबाजी की लेकिन कमजोर बल्लेबाजी ने भी उनकी काफी मदद की है।

वर्ल्ड कप टूर्नामेंट जैसे जैसे आगे बढ़ रहा है यह आवश्यक है कि बल्लेबाज भी शानदार प्रदर्शन करें और अच्छे स्कोर बनाए ताकि दोनों टीमों के बीच एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा हो सके। आइये एक नजर डालते है उन 4 कारणों पर जिनकी वजह से इस टूर्नामेंट के कई मैच लो स्कोरिंग रहे।

#1 बड़ी साझेदारी की कमी:

India v South Africa - ICC Champions Trophy

एक अच्छे और बड़े स्कोर के लिए जरुरी है की बल्लेबाज शुरू के ओवर में थोड़ा ध्यान से बल्लेबाजी करें, बीच के ओवर में स्ट्राइक बदलते हुए कुछ कमजोर गेंदों को बाउंड्री से बाहर करें और अंत के ओवेरों में पावर हिटिंग करते हुए विपक्षी गेंदबाजों के लिए मुश्किल पैदा करें।

शुरूआती 2 चरणों के लिए डेथ ओवर में विस्फोटक बल्लेबाजी करने लायक स्कोर खड़ा करें ताकि अंतिम ओवर में खेलने वाले बल्लेबाज बिना दबाव के पावर हिटिंग कर सके, ज्यादातर टीमें बड़ा स्कोर खड़ा करने के लिए इसी द्रष्टिकोण के साथ उतरती है। इन तीनों चरणों को सफलता पूर्वक पार करने के लिए समय समय पर एक अच्छी साझेदारी की जरुरत होती है।

कम स्कोर पर आउट होने वाली ज्यादातर टीमें पावर प्ले में ही 3-4 विकेट गवां दी है। साझेदारी की कमी के कारण अक्सर गुच्छे में विकेट गिर जाते हैं, जिसके कारण मध्य क्रम और निचले क्रम के बल्लेबाजों पर दबाव बढ़ जाता है। जिनकी वजह से वे भी जल्दी आउट हो जाते हैं और मैच लो स्कोरिंग पर ही ख़त्म हो जाते हैं।

#2 इंग्लैंड की पिचों के अनुरूप बल्लेबाजी करना:

Most of the Pakistan batsmen got out in the attempt of an aggressive shot

इंग्लैंड की पिचों की खासियत है की वहां 300-350 तक का स्कोर खड़ा किया जा सकता है, लेकिन इस विश्व कप में ऐसा कुछ नजर नहीं आया। इस विश्व कप के लिए यहाँ कि पिचों को नए सिरे से तैयार किया गया जिसका काउंटी क्रिकेट और अन्य इंटरनेशनल मैचों में उपयोग नहीं किया गया। ट्रेंट बोल्ट ने हाल ही में कहा कि यहाँ की पिचें और अन्य परिस्थितियां के कारण बेहतर स्विंग मिलती है, जिसके कारण गेंद और बल्ले के बीच एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा देखने को मिल सकती है।

इन सभी को नजरंदाज करते हुए बल्लेबाज लगातार आक्रामक और जोखिम भरे शॉट खेलने का प्रयास करता है, जिसका खामियाजा उन्हें विकेट देकर चुकाना पड़ता है। पहली बार यह सब चीजे पाकिस्तान टीम में देखा गया जब उनके 5 बल्लेबाज ख़राब शॉट खेलने के चलते आउट हो गये। अधिकतर लो स्कोरिंग मैचों में बल्लेबाजों ने इंग्लैंड की कंडीशन को दरकिनार करते हुए ख़राब शॉट खेलकर अपनी विकेट गंवाई है।

#3 मध्य ओवर में ख़राब बल्लेबाजी और साझेदारी का अभाव:

Apart from Kusal Perera, every batsman struggled against Afghanistan spinners

वनडे क्रिकेट में मध्य (11-40 ओवर) के ओवर पारी के सबसे महत्वपूर्ण ओवर होते है। बड़े स्कोर के लिए जरुरी है कि बल्लेबाज मध्य ओवर में अच्छा प्रदर्शन करे। इस दौरान बल्लेबाज को धैर्यपूर्ण बल्लेबाजी करते हुए कमजोर गेंदों में बड़े हित लगाने की आवश्यकता होती है, साथ में गेंदबाज पर दबाव डालने के लिए बड़ी साझेदारी की जरुरत भी होती है।

लेकिन इस विश्व कप में लो स्कोरिंग मैचों में ऐसा देखने को नहीं मिला। लो स्कोरिंग मैचों में टीमें मध्य के ओवेरों में लगातार विकेट गावांती रही जिसके कारण वे बड़ा लक्ष्य खड़ा करने में असफल रही। इस दौरान ज्यादातर बल्लेबाज 30 रन ही नहीं बना सके और किसी भी बल्लेबाज के साथ अच्छी साझेदारी नहीं कर पाए। दक्षिण अफ्रीका की बात करें तो उन्होंने 11 से 40 ओवर के बीच में 17 विकेट खो दिए, इसी ने उन्हें अंतिम ओवर में आक्रामक बल्लेबाजी करने से रोका और अभी तक खेले गये सभी मैचों में उसे हार का सामना करना पड़ा।

# 4 बड़े टूर्नामेंट का दबाव:

Najibullah Zadran

विश्व कप में खेलना किसी भी बल्लेबाज या गेंदबाज के लिए सबसे बड़ी चनौती होती है। आमतौर पर इस तरह के बड़े टूर्नामेंटों में खेलना खिलाड़ियों का सपना होता है और वो इसमें अच्छा प्रदर्शन करना चाहते है। इस तरह के बड़े टूर्नामेंट के दबाव में बड़े खिलाड़ी अपने स्वाभाविक खेल को छोड़कर बेहतर प्रदर्शन करने के चक्कर में ऐसी गलतियाँ कर देते है जिसके कारण उन्हें अपनी विकेट गंवानी पड़ती है।

एक गेंदबाज के रूप में आपके पास दस ओवर होते है और एक ओवर ख़राब करने पर बाकी ओवर में वापसी करने का मौका होता है लेकिन बल्लेबाज के पास यह बिलकुल नहीं होता और विकेट गिरने के बाद उन्हें सिर्फ अगले मैच में ही मौका मिल सकता है।

यही दबाव हमें बांग्लादेश के खिलाफ न्यूजीलैंड पर देखने को मिला, मैच आगे बढ़ने के साथ साथ रन रेट बढ़ रही थी जिसके दबाव में बल्लेबाज ख़राब शॉट खेलकर अपनी विकेट गवां रहे थे, इस मैच में रॉस टेलर के अलावा न्यूजीलैंड के सभी बल्लेबाज फ्लॉप रहे। हालाकिं इस मैच को न्यूजीलैंड ने 2 विकेट से जीत लिया था लेकिन इस घटना ने कीवी बल्लेबाजों को वर्ल्ड कप में खेलने के दबाव का पाठ जरुर पढ़ा दिया।

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Edited by Naveen Sharma
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