आईसीस ने वर्ल्ड कप 2019 के लिए 10 टीमों के साथ के साथ टूर्नामेंट करवाने का फैसला लिया था, ताकि उन मैचों को हटा दिया जाए जिनकी वजह से प्रशंसकों क्रिकेट में दिलचस्पी ख़त्म हो रही है और यह कारण था कि इस टूर्नामेंट के लिए टॉप 10 टीमों का चयन किया गया था। कुछ उच्च स्कोर वाले थ्रिलर उत्पन्न करने के लिए फ्लैट डेक तैयार किए जाने थे। लेकिन मामला इससे उल्टा होता नजर आ रहा है।
इस टूर्नामेंट में अब तक खेले गये कई मैच एकतरफा रहे है, जिसमें एक टीम लक्ष्य को पार करने में बुरी तरह विफल हुई तो दूसरी टीम ने मैच को आसानी से अपने कब्जे में कर लिया। इस टूर्नामेंट में गेंदबाजों के प्रदर्शन को नजरंदाज नहीं किया जा सकता, बेसक उन्होंने इस टूर्नामेंट में शानदार गेंदबाजी की लेकिन कमजोर बल्लेबाजी ने भी उनकी काफी मदद की है।
वर्ल्ड कप टूर्नामेंट जैसे जैसे आगे बढ़ रहा है यह आवश्यक है कि बल्लेबाज भी शानदार प्रदर्शन करें और अच्छे स्कोर बनाए ताकि दोनों टीमों के बीच एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा हो सके। आइये एक नजर डालते है उन 4 कारणों पर जिनकी वजह से इस टूर्नामेंट के कई मैच लो स्कोरिंग रहे।
#1 बड़ी साझेदारी की कमी:
एक अच्छे और बड़े स्कोर के लिए जरुरी है की बल्लेबाज शुरू के ओवर में थोड़ा ध्यान से बल्लेबाजी करें, बीच के ओवर में स्ट्राइक बदलते हुए कुछ कमजोर गेंदों को बाउंड्री से बाहर करें और अंत के ओवेरों में पावर हिटिंग करते हुए विपक्षी गेंदबाजों के लिए मुश्किल पैदा करें।
शुरूआती 2 चरणों के लिए डेथ ओवर में विस्फोटक बल्लेबाजी करने लायक स्कोर खड़ा करें ताकि अंतिम ओवर में खेलने वाले बल्लेबाज बिना दबाव के पावर हिटिंग कर सके, ज्यादातर टीमें बड़ा स्कोर खड़ा करने के लिए इसी द्रष्टिकोण के साथ उतरती है। इन तीनों चरणों को सफलता पूर्वक पार करने के लिए समय समय पर एक अच्छी साझेदारी की जरुरत होती है।
कम स्कोर पर आउट होने वाली ज्यादातर टीमें पावर प्ले में ही 3-4 विकेट गवां दी है। साझेदारी की कमी के कारण अक्सर गुच्छे में विकेट गिर जाते हैं, जिसके कारण मध्य क्रम और निचले क्रम के बल्लेबाजों पर दबाव बढ़ जाता है। जिनकी वजह से वे भी जल्दी आउट हो जाते हैं और मैच लो स्कोरिंग पर ही ख़त्म हो जाते हैं।