इसमें कोई शक नहीं कि दक्षिण अफ्रीका को विश्व क्रिकेट की सबसे मजबूत टीम माना जाता है लेकिन दुर्भाग्यवश वो एक भी बार विश्वकप का खिताब अपने हाथों से नहीं उठा पाई है। विश्वकप का 12वां संस्करण शुरू होने में अब महज दो हफ्ते ही बचे हैं। दक्षिण अफ्रीका का विश्वकप में पहला मुकाबला 30 मई को इंग्लैंड से होना है। इस बार टीम की कप्तानी फाफ डू प्लेसी के हाथों में है। विश्वकप वह कुछ नया नहीं करना चाहते हैं। वह सिर्फ टीम से उम्मीद करते हैं कि जिस तरह का क्रिकेट वो खेलती आ रही है, उसी तरह से खेले। टीम बिना हार के डर से विश्वकप में उतरे, ताकि उसके प्रदर्शन पर असर न पड़े।
डू प्लेसी ने कहा कि हमें लगता था कि विश्वकप में खेलने के लिए कुछ खास करना पड़ता है पर यह सच नहीं है। हम जिस तरह का क्रिकेट खेल रहे हैं, बस उसे ही हमें विश्वकप में भी जारी रखना होगा। हमें अपने बेसिक्स को ठीक से फॉलो करना होगा। अगर कोई यह सोचता है कि 50 गेंद पर शतक बनाने या 20 रन देकर सात विकेट लेने से कोई टीम विश्वकप जीतती है तो वो गलत है। मैं उस जगह पर रह चुका हूं और उस दबाव को महसूस कर चुका हूं। मुझे पता है कि उससे कैसे निपटना है। मैं नहीं चाहता कि टीम के खिलाड़ी हारने के डर से खुलकर न खेलें। बहुत से टीम में खिलाड़ी हैं, जिनके लिए विश्वकप का खास मतलब है। विश्वकप में हमारी सफलता इस पर निर्भर करेगी कि हम अपने खेल को कितनी अच्छी तरह से लागू कर पाते हैं। हमें अपनी टीम सबसे बेहतरीन बनानी है। इसके लिए हर खिलाड़ी को अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन करना होगा।
उन्होंने आगे कहा कि खिलाड़ी अपने साथियों से बेहतर संबंध रखते हैं। जहां तक मानसिक स्थिति के महत्व की बात है तो वहां मैं और कोच एक ही स्तर पर हैं। मैं सकारात्मक रहने पर ज्यादा विश्वास रखता हूं। मुझे इसकी महत्ता पता है। यही वजह है कि खिलाड़ियों से भी मैं यही कहता हूं। अगर कोई कैच छूट जाता है तो आप चाहकर भी उसे बदल नहीं सकते हैं। ऐसे में खुद को कंट्रोल रखना बहुत जरूरी होता है। यही वो ऐसे पल होते हैं, जब खिलाड़ी अपना मनोबल खोने लगता है।
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