जीवनी
फ्रेंकोइस डु प्लेसिस, फाफ डु प्लेसिस के नाम से पहचाने जाते हैं। वह दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट टीम के तीनों प्रारूपों के कप्तान रह चुके हैं। वह दाएं हाथ के बल्लेबाज हैं और दाएं हाथ के लेग स्पिनर भी हैं। डू प्लेसी मध्य क्रम के बल्लेबाज हैं, जो लंबी पारी खेलकर टीम को मजबूत स्कोर तक पहुंचाने के लिए जाने जाते हैं। वो विश्व क्रिकेट के बेहतरीन बल्लेबाजों की सूची में शुमार हैं और वो एक बेहतरीन फील्डर भी हैं।
साढ़े तीन साल खेला क्लब क्रिकेट
डु प्लेसी ने अप्रैल 2008 में लंकाशायर के साथ काउंटी क्रिकेट खेलने के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए, जिसके बाद वह क्लब के लिए साढ़े तीन साल तक खेलते रहे। उन्होंने टाइटन्स के लिए खेलते हुए बहुत बेहतरीन प्रदर्शन किया। 2011 में उन्हें आईपीएल नीलामी के दौरान चेन्नई सुपरकिंग्स ने खरीदा।
ड्रीम टेस्ट डेब्यू
डु प्लेसी का ड्रीम टेस्ट डेब्यू था। उन्होंने 2012 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एडिलेड में टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया और कुल 188 रनों की पारी खेली। पहली पारी में उन्होंने 78 और दूसरी पारी में 376 गेंदों पर 110 रन बनाए थे। इसकी बदौलत टीम को जीत हासिल मिली। इसके लिए उन्हें मैन ऑफ द मैच का पुरस्कार भी मिला।
वनडे डेब्यू
उन्होंने 18 जनवरी 2011 को भारत के खिलाफ अपना वनडे डेब्यू किया और नाबाद 60 रन बनाए। उप-महाद्वीप की पिचों पर बेहतरीन बल्लेबाजी की वजह से उन्हें 2011 विश्व कप के लिए टीम में शामिल किया गया। हालांकि सात मैचों में वह केवल एक अर्धशतक ही बना पाए और उनके लिए यह टूर्नामेंट अच्छा नहीं रहा।
लगातार तीन शतक लगाए पर चौथे से चूके
2014 में उन्होंने तीन लगातार एकदिवसीय शतक बनाए। वह चार रनों से चौथा शतक लगाकर रिकॉर्ड बनाने से चूक गए थे। 2015 विश्वकप में वह अपनी टीम के लिए दूसरे सबसे अधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी बने थे। दिसंबर 2012 में उन्हे न्यूजीलैंड के खिलाफ टी-20 सीरीज के लिए कप्तान बनाया गया।
185 रन बनाने का रिकॉर्ड
2016-17 के ऑस्ट्रेलिया दौरे में वह तीनों प्रारूपों में कप्तान के रूप में शतक बनाने वाले दूसरे बल्लेबाज बने। उनके पास एकदिवसीय मैचों में दक्षिण अफ्रीका के लिए दूसरा सबसे बड़ा व्यक्तिगत स्कोर बनाने का रिकॉर्ड भी है, जिसमें उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ 185 रन बनाए थे।
बुरा वक्त
2019 के विश्वकप में दक्षिण अफ्रीकी टीम की कमान उनके हाथों में थी लेकिन टीम का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा था। प्रोटियाज टीम 9 में से सिर्फ 3 ही मुकाबले जीत पाई और 7वें पायदान पर रही। इसके बाद भारत के खिलाफ अक्टूबर में हुई टेस्ट सीरीज में भी टीम को 3-0 से करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा।