जीवन के चक्र ने ऋद्धिमान साहा को उसी जगह लाकर खड़ा कर दिया है, जहां वो एक दशक पहले खड़े थे जब इंग्लैंड में 2011 में वह कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के बैकअप के रूप में शामिल हुए थे। 2014 में कहानी दोहराई और साहा को बल्ले उठाते व साथियों को पानी पिलाते हुए देखा गया। 2021 में एक बार फिर उम्मीद है कि वह ऋषभ पंत के बैकअप के रूप में काम करेंगे और ड्रेसिंग रूम से खिलाड़ियों इशारों पर उन्हें चीजें मुहैया कराएंगे। यह ऐसी चीज है, जिसकी उनकी बल्लेबाजी के कारण कमी खलती है जबकि विकेट के पीछे उनका काम बेहतरीन है।
साहा ने सोमवार में मुंबई में टीम के बायो-बबल से जुड़ने से पहले पीटीआई को दिए इंटरव्यू में कहा, 'निश्चित है कि जब आप अच्छा नहीं करते तो आलोचना होती है। मैंने हमेशा उसी तरह प्रदर्शन करने की कोशिश की, जो इतने सालों में सीखा है।' साहा की बल्लेबाजी ने विश्वास नहीं दिलाया और सवाल खड़े हुए कि सिर्फ विकेटकीपिंग के कारण उन्हें मौका नहीं दिया जाए।
ऋद्धिमान साहा ने कहा, 'अगर लोग कहते हैं कि मेरी बल्लेबाजी अच्छी नहीं है, तो हो सकता है कि यह मामला हो। मगर मुझे नहीं लगता कि मानसिक या तकनीकी रूप से कुछ बदलाव करने की जरुरत है। मैं अपना ध्यान लगाने की कोशिश करता हूं और कड़ी मेहनत करता हूं।' साहा ने स्वीकार किया कि धोनी के संन्यास के बाद वह चोटों से जूझे और फिर पंत ने मौकों का सही लाभ उठाया।
ऋद्धिमान साहा ने कहा, 'पार्थिव पटेल, दिनेश कार्तिक और ऋषभ पंत को मौके मिले जब मैं चोटिल हुआ। मगर पंत ने मौके का भरपूर फायदा उठाया और टीम में अपनी जगह पक्की की। शायद मैं यहां या वहां कुछ मैच खेलता।'
बल्लेबाजों पर होगा दारोमदार: साहा
भारतीय टीम इंग्लैंड में 6 टेस्ट खेलेगी। न्यूजीलैंड के खिलाफ विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के लिए पंत पहली पसंद होंगे। साहा को हो सकता है कि इंग्लैंड के खिलाफ पांच मैचों की टेस्ट सीरीज में मौका मिल सके।
38 टेस्ट के अनुभवी साहा ने कहा, 'मेरे ख्याल से भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व करना अपने आप में सबसे बड़ा प्रोत्साहन है और यह तब और बड़ा हो जाता है जब मुझे मौका मिले। छोटे या बड़े तरीके से हर किसी को चुनौती का सामना करना पड़ता है। मगर टीम के साथ होना और 1.4 बिलियन लोगों में देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना जाना बहुत बड़ी उपलब्धि है।'
डब्ल्यूटीसी फाइनल के बारे में बात करते हुए साहा ने कहा कि बल्लेबाजों पर दारोमदार होगा। उन्होंने कहा, 'इंग्लिश स्थितियों को देखते हुए बल्लेबाजों को सबसे ज्यादा चुनौती का सामना करना पड़ेगा। तेज गेंदबाजों को हमेशा वहां फायदा मिलेगा। बल्लेबाजों पर दारोमदार होगा। जिस टीम के बल्लेबाज अच्छा खेलेंगे, वो आगे होगा।'