Yuvraj Singh Cricket journey: भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व ऑलराउंडर युवराज सिंह गुरुवार (12 दिसंबर) को अपना 43वां बर्थडे सेलिब्रेट कर रहे हैं। युवराज सिंह का जन्म 12 दिसंबर 1981 को चंडीगढ़ में हुआ था। युवराज सिंह क्रिकेट की दुनिया के सबसे सफल खिलाड़ियों में से एक के रूप में याद किए जाते हैं।
युवराज सिंह ने अपने क्रिकेट करियर में कई उपलब्धियां हासिल की हैं। जन्मदिन के इस खास मौके पर हम आपको युवराज सिंह की लाइफ से जुड़े दिलचस्प किस्सों के बारे में बताएंगे।
क्रिकेट नहीं स्केटिंग में माहिर थे युवराज सिंह
शायद ही आपको पता हो कि युवराज सिंह को बचपन से क्रिकेट में रुचि नहीं थी। युवराज सिंह को बचपन में स्केटिंग का शौक था। वह इस खेल में काफी माहिर भी थे और जमकर मेडल जीता करते थे। लेकिन ये उनके पिता योगराज सिंह को कतई पसंद नहीं थी। एक बार तो युवराज सिंह ने जब अपने पिता को अपना स्केटिंग मेडल दिखाया तो उनके पिता योगराज सिंह ने युवराज का मेडल फेंक दिया और कहा कि क्रिकेट पर ध्यान दो।
पिता योगराज सिंह की जिद थी कि युवराज सिंह एक क्रिकेटर बने। योगराज भी एक क्रिकेटर थे जिसकी वजह से वह चाहते थे कि उनका बेटा भी इसी खेल को अपनाए। हालांकि, युवराज को धूप में क्रिकेट की प्रैक्टिस करनी पड़ती थी। जिसकी वजह से युवी को क्रिकेट खेलना बिल्कुल पसंद नहीं था लेकिन पिता की वजह से उन्हें मजबूरी में ऐसा करना पड़ता था।
पंद्रह साल की उम्र में परिवार से दूर रहकर क्रिकेट की प्रैक्टिस की
योगराज सिंह ने युवराज की बचपन से ही कड़ी ट्रेनिंग देनी शुरू कर दी थी। योगराज ने सबसे पहले 12 साल की उम्र में क्रिकेट की प्रैक्टिस शुरू करवाई। फिर उन्हें महज 15 साल की उम्र में परिवार से अलग कर दिया और मुंबई लेकर चले गए। युवी इससे पहले चंडीगढ़ में अपनी मां के साथ रहते थे। युवराज ने एक इंटरव्यू में अपनी जर्नी के बारे में बात करते हुए बताया था कि चंडीगढ़ में वो खुले इलाके में रहते थे। प्रैक्टिस के अलावा चंडीगढ़ में उनकी जिंदगी बेहद आराम की थी। लेकिन मां से दूर जाने के बाद उन्हें काफी तकलीफ हुई। मुंबई में हर चीज के लिए जगह की कमी थी, जिसने उनकी मुश्किलों को बढ़ा दिया था।
युवराज सिंह और योगराज सिंह की मेहनत रंग लाई, युवराज सिंह ने 1996/97 में उड़ीसा के खिलाफ अपना पहला फर्स्ट क्लास मैच खेला था। युवराज इस मैच में फ्लॉप रहे थे लेकिन इस मैच के बाद युवी के करियर को उड़ान मिली और अंडर-19 विश्व कप 2000 में उनको शानदार प्रदर्शन के लिए मैन ऑफ द सीरीज चुना गया। इसके बाद युवराज सिंह को नैरोबी में चल रहे आईसीसी नॉक आउट टूर्नामेंट के लिए भारतीय टीम में चुन लिया गया। यहां से युवराज ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और अपने करियर को ऊंचाई पर ले गए। उन्होंने भारत की 2007 टी20 वर्ल्ड कप और 2011 वनडे वर्ल्ड कप की खिताबी जीत में भी बेहद अहम भूमिका निभाई थी। युवराज ने साल 2019 में इंटरनेशनल क्रिकेट के साथ-साथ आईपीएल से भी संन्यास ले लिया था। इसके बाद उन्होंने कुछ विदेशी लीग में हिस्सा लिया।