भारत की वनडे और टी20 टीम के सबसे खतरनाक बल्लेबाज में से एक रहे युवराज सिंह ने 10 जून 2019 को संन्यास का ऐलान किया था। युवी एक ऐसे खिलाड़ी रहे हैं जिनके करियर को आंकड़ों के हिसाब से नहीं देखा जा सकता। भारतीय टीम में उनका योगदान उनके आंकड़ों से कई ऊपर हैं। युवी ने भारत को अपने दम पर कई यादगार जीत दिलाई है और अक्सर यह बात भी बोली जाती थी कि अगर वो क्रीज पर मौजूद हैं, तो भारत का हारना मुश्किल है। इसके अलावा यह कहना गलत नहीं होगा कि युवराज सिंह नहीं होते, तो शायद भारत 2007 वर्ल्ड टी20 और 2011 विश्व कप का खिताब नहीं जीत पाता।
खैर हर खिलाड़ी के करियर में उतार चढ़ाव तो आता है, युवी के करियर में भी ऐसे कई पल आए, लेकिन सबसे खास बात थी कि उन्होंने कभी भी हार नहीं मानी और वापसी के लिए भरपूर प्रयास करते रहे। युवराज सिंह ने वैसे तो अपने करियर में कई यादगार पारियां खेली है, लेकिन उन्होंने ऐसी पारी भी खेली थी, शायद जिसे वो कभी भूल नहीं पाएंगे, क्योंकि इस पारी की वजह से भारत दूसरी बार वर्ल्ड टी20 का खिताब जीतने से चूक गया था।
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दरअसल 2014 में बांग्लादेश में खेले गए वर्ल्ड टी20 के फाइनल में भारत और श्रीलंका की टीम आमने-सामने थी। पहले बल्लेबाजी करते हुए 10.3 ओवर के बाद भारत का स्कोर 64-2 था और उस समय युवराज सिंह बल्लेबाजी करने आए। विराट कोहली सेट थे और काफी अच्छी बल्लेबाजी कर रहे थे। सभी को उम्मीद थी कि युवी अपने अंदाज में तूफानी बल्लेबाजी करते हुए टीम को विशाल स्कोर तक पहुंचाएंगे। हालांकि हुआ बिल्कुल उल्टा, श्रीलंका के गेंदबाजों के सामने युवी बुरी तरह संघर्ष करते हुए नजर आए। युवी ने उस मैच में 21 गेंदों में 11 रनों की बेहद धीमी पारी खेली और 19वें ओवर में नुवान कुलसेकरा की गेंद पर वो आउट हुए। इस मैच में उनकी स्ट्राइक रेट महज 52.38 की रही और अंत में भारतीय टीम 20 ओवरों के बाद 130-4 का स्कोर ही बना पाई।
अंत में श्रीलंका ने कुमार संगाकारा की 52* रनों की शानदार पारी खेल अपनी टीम को पहली बार खिताबी जीत दिलाई। इस मैच के बाद युवराज सिंह की काफी आलोचना हुई, इसका खामियाजा युवराज ने चुकाया भी और वो लगभग दो साल तक टीम से बाहर रहे। इस मौके पर सबने मान लिया था कि युवराज का करियर खत्म हो गया है, लेकिन शायद युवी ने अभी हार नहीं मानी थी और अपने फिटनेस एवं घरेलू क्रिकेट में रनों का अंबार लगाकर 2016 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी20 सीरीज के लिए जरिए उन्होंने फिर से टीम में जगह बनाई।
खुद युवराज सिंह ने संन्यास का ऐलान करते हुए बताया था कि 2014 वर्ल्ड टी20 में खेली गई पारी उनके करियर की सबसे खराब पारी थी। युवराज सिंह ने 2014 की असफलता को पीछे छोड़ते हुए दो बार भारतीय टीम में वापसी की और 2017 में इंग्लैंड के खिलाफ अपने वनडे करियर की सर्वश्रेष्ठ (150 रन) पारी खेली और अपने आलोचकों को गलत साबित किया।
भले ही युवराज सिंह का करियर अब खत्म हो गया, लेकिन विश्व की कोई भी ऑलटाइम वनडे इलेवन होगी, तो उसमें युवराज का नाम जरूर होगा। इसके अलावा अंडर 19, चैंपियंस ट्रॉफी, वर्ल्ड कप, वर्ल्ड टी20 और आईपीएल (2016 एवं 2019) का खिताब जीतने वाले इकलौते खिलाड़ी हैं। टी20 में एक ओवर में 6 छक्के लगाना और 12 गेंदों में सबसे तेज अर्धशतक लगाना उनके करियर के बड़े ऐतिहासिक रिकॉर्ड में से एक हैं।