भारतीय टीम के पूर्व खिलाड़ी युवराज सिंह ने संन्यास से पहले और बाद के जीवन पर प्रतिक्रिया दी है। युवराज सिंह ने कहा कि संन्यास से पहले मुझे जरूरी मानसिक मदद नहीं मिलती थी। इसके अलावा युवराज सिंह ने कहा कि मैं अब आराम से सो पाटा हूँ और यह रिटायमेंट से पहले नहीं था।
गौरव कपूर के साथ चैट में युवराज सिंह ने कहा कि चीजें तेजी से चल रही होती है तो आपको सोचने का समय नहीं मिलता। 2-3 महीने अलग कारणों से भी घर पर बैठने से यह महसूस होता है। एक समय ऐसा था जब मैं खेलना चाहता था लेकिन मानसिक रूप से क्रिकेट मेरी मदद नहीं कर रहा था। मैं सोचता था कि रिटायर कब होना है, रिटायर होना है या नहीं, अभी और खेलना है आदि।
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युवराज सिंह क्रिकेट को मिस करते हैं
युवराज सिंह ने कहा कि मैं कई बार क्रिकेट को मिस करता हूँ और नहीं भी करता क्योंकि मैंने कई साल तक क्रिकेट खेला है। मैं फैन्स के कई मैसेज प्राप्त करता हूँ और इस प्यार से अच्छा महसूस करता हूँ। खेल से मिले सम्मान से ज्यादा बीस साल में कमाया हुआ सम्मान देखकर आपको अच्छा लगता है। मैं संन्यास के बाद मानसिक रूप से आजाद महसूस करता हूँ।
गौरतलब है कि युवराज सिंह ने भारतीय टीम के लिए तीनों प्रारूप में खेला। हालांकि टेस्ट क्रिकेट में युवराज सिंह को ज्यादा सफलता नहीं मिली। सीमित ओवर क्रिकेट में उन्होंने वर्ल्ड क्रिकेट के दिग्गज गेंदबाजों की धुनाई की। युवराज सिंह ने 2007 के टी20 वर्ल्ड कप में स्टुअर्ट ब्रॉड की गेंदों पर लगातार छह छक्के जड़कर वर्ल्ड क्रिकेट में अलग नाम हासिल किया था। इसके अलावा उन्होंने कैंसर से पीड़ित होने के बाद भी 2011 वर्ल्ड कप में भारतीय टीम के लिए बेहतरीन क्रिकेट खेला। युवराज सिंह ने गेंद और बल्ले दोनों से धाकड़ प्रदर्शन किया और भारत ने कप जीता। इस प्रदर्शन के कारण उन्हें मैन ऑफ द सीरीज चुना गया था। कैंसर से इलाज कराकर वापस आने के बाद उन्होंने एक बार फिर मैदान पर धमाकेदार खेल का प्रदर्शन किया था।