दुनिया के हर खेल की तरह ही फुटबॉल भी समय के साथ कई बदलावों से गुजरता रहा है। कुछ क्लब या देश नए उभर कर आए, तो कुछ बुलंदियों पर जाकर अचानक नीचे गिर गए। इसी तरह से फुटबॉलरों में भी पीढ़ी दर पीढ़ी कुछ न कुछ बदलता रहा है। एक समय था जब पेले, मैराडोना, प्लातीनि जैसे दिग्गजों ने इस खेल को दुनियाभर में नाम दिलाना में अहम योगदान दिया। फिर विश्व ने रोनाल्डिन्हो, रोनाल्डो नाजारियो, स्टीवन जेरार्ड और फ्रैंक लैम्पार्ड जैसे हरफनमौला खिलाड़ियों को देखा। और अब रोनाल्डो और मेसी जैसे बेमिसाल नाम फुटबॉल को नया नाम दे रहे हैं। इन्हीं दौर से गुजरते हुए फुटबॉल में कुछ ऐसे खिलाड़ी भी हुए, जिन्होंने खेल के लिहाज से काफी ऊंचाइयां हासिल कीं, लेकिन प्रसिद्धि में नकार दिए गए। ऐसे खिलाड़ियों को उनके काम के मुताबिक दुनिया ने पहचान नहीं दी। तो हम यहां आपको बता रहे हैं उन शानदार फुटबॉलरों के बारे में जिन्हें दुनिया जल्दी भूल गई।
#5 पावेल नेडवेद
चेज़ रिपब्लिक के पावेल नेडवेद दोनों पैरों से दमदार स्ट्रोक मारने में माहिर थे। उनके दौर में बैलन डी'ऑर हैसिल करने के लिए एक फुटबॉलर को गोल का अंबार लगाना जरूरी नहीं था। अपनी टीम के लिए बेहतर मिडफील्डर की भूमिका निभाने वाले को भी ये खिताब दिया जाता था। तो वैसा ही नेडवेद ने किया।
इस दिग्गज खिलाड़ी को 2003 में बैलन डी'ऑर खिताब दिया गया। ये उनके क्लब फुटबॉल में जीते कई खास खिताबों में से एक है। उन्होंने 'लाज़ियो', 'स्पार्टा प्राग' और 'जुवेंटस' जैसे क्लबों के लिए खेलते हुए चार बड़े टीम खिताब अपने नाम किए। अपने शुरुआती दौर में नेडवेद को उनके देश की आर्मी के लिए खेलना जरूरी था जो उन्होंने किया। फिर वो स्पार्टा प्राग से जुडे़। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से उन्हें 6 ही मैचों में 3 रेड कार्ड मिल गए। फिर नेडवेद इटली में लाज़ियो में शामिल हुए। लाज़ियो जैसे प्रसिद्ध क्लब में बड़े खिलाड़ियों के बीच नेडवेद ने अपना अलग मुकाम बनाया और क्लब के फेवरेट बन गए। उन्होंने क्लब को एक लीग खिताब, दो कोपा इटालिया खिताब, दो सुपर कोपा इटालिया टाइटल, एक यूएफा कप विनर्स टाइटल और एक बार यूएफा सुपर कप में चैंपियन बनाया। लज़ियो के बाद नेडवेद जुवेंटस की जान बने। जुवेंटस से वो हमेशा जुड़े रहे। उन्होंने किसी परिस्तिथी में क्लब का साथ नहीं छोड़ा। आज नेडवेद जुवेंटस के उपाध्यक्ष हैं। #4 रिस्टो स्टोइचकोव
रिस्टो स्टोइचकोव बुलगेरिया के सबसे सफल फुटबॉलर माने जाते हैं। इस दिग्गज खिलाड़ी को बैलन डी'ऑर अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है। रिस्टो ने 90 के दशक के मध्य में बार्सिलोना के लिए दो सीजन खेले, जिसमें उन्होंने एक बार लीग खिताब जीता। इसके अलावा 'ब्लॉगराना (ब्लौग्राना)' के लिए उन्होंने 5 लीग खिताब जीते। इस क्लब के लिए रिस्टो ने 200 से ज्यादा मैचों में 118 गोल किए। उनका अंतर्राष्ट्रीय करियर भी काफी शानदार रहा है। बुलगेरिया जैसी कम अनुभवी नेशनल टीम को रिस्टो ने अपने दम पर 1994 फीफाविश्व कप से सेमी फीइनल में पहुंचाया था। इस वर्ल्ड कप में उन्होंने 6 गोल करके 'गोल्डन शू' अवॉर्ड जीता। वो फील्ड पर अपने आक्रामक खेल लिए जाने जाते थे। रिस्टो रेफरी के हर उस निर्णय पर तुरंत बहस करन लगते थे जो उनकी टीम के खिलाफ होता था। एक बार उनकी विपक्षी टीम के खिलाड़ी नो उन पर केस भी कर दिया था जब रिस्टो ने उस खिलाड़ी का जान-बूझकर पैर तोड़ा था। #3 माइकल लॉड्रप
माइकल लॉड्रप 1989 में बार्सिलोना में शामिल हुए। उस वक्त क्लब में पेप गार्डिओला, रोनाल्ड कोइमेन और रिस्टो स्टोइचकोव जैसे बड़े खिलाड़ी मौजूद थे। हालांकि इस काबिल मिडफील्डरों के साथ रहते हुए बार्सिलोना में अपने नाम कायम किया। इसके बाद माइकल चिर प्रतिद्वंद्वी क्लब रियाल मैड्रिड में शामिल हुए। रियाल में आते ही उन्होंने टीम को ऊचाइयों पर पहुंचाया और उस सीजन का ला लिगा खिताब रियाल मैड्रिड के नाम हुआ। इस तरह माइकल लगातार पांच ला लिगा खिताब जीतने वाले पहले खिलाड़ी बने। इसमें से उन्होंने चार बार्सा के लिए और एक रियाल मैड्रिड के लिए जीता। 1993-94 सीजन में उन्होंने ‘एल क्लासिको’ मैच में बार्सिलोना के लिए शानदार गेम दिखाया और टीम ने मैड्रिड को 5-0 से हराया। इसके ठीक एक साल बाद माइकल रियाल मैड्रिड में आए और इस बार फिर अपने खेल के दम पर उन्होंने इस स्कोर को पलट दिया। इसके बाद वो एजेक्स में गए और फिर बाद में खेल को अलविदा कह दिया। अपने साथी खिलाड़ियों में माइकल का नाम की चर्चा हमेशा सबसे ऊपर रही। रियाल मैड्रिड के स्टार खिलाड़ी रॉल उन्हें बेहतरीन कहते थे, वहीं इनिएस्ता उन्हें सर्वश्रेष्ठ फुटबॉलर कहते हैं। माइलक ‘स्वानसी’ के मैनेजर बने और क्लब को 2013 में लीग कप जितवाया। अभी वो कतर में ‘अल रयान’ के मैनेजर हैं। #2 जॉर्ज वेह
लाइबेरिया के फुटबॉलर जॉर्ज वेह अफ्रीकी मूल के सबसे कामयाब खिलाड़ी माने जाते हैं। जॉर्ज में गति, ताकत और सूज-बूझ का जबरदस्त मेल था। उनका बेधड़क बॉल को विपक्षी टीम के डिफेंडरों को मात देकर गोल पोस्ट पर ले जाना, आज के दौर के लिए प्रेरणा कहा जाता है। ‘मोनाको’ क्लब में लोग उन्हें प्यार से ‘मिस्टर जॉर्ज कहते थे। जॉर्ज को यूरोपीयन फुटबॉल में लाने का श्रेय ’ आर्सीनी वेंगर’ को जाता है। जॉर्ज ने पीएसजी और मिलान में रहते हुए कई लीग खिताब अपने नाम किए। 1995 में उन्हें ‘बैलन डी ऑर’ से सम्मानित किया गया। वो ये सम्मान हासिल करने वाले आजतक के एकमात्र अफ्रीकी मूल के फुटबॉलर हैं। हालांकि जॉर्ज का एक सपना था कि वो अपने देश लाइबेरिया को वर्ल्ड कप में हिस्सा दिला पाएं, जो वो पूरा नहीं कर सके। रिटायर होने के बाद वो अपने देश में मानवतावादी कामों से जुड़ गए।वो 2005 में राष्ट्रपति के चुनाव के लिए खड़े हुए लेकिन असफल रहे। हालांकि 2014 में वो वहां के सांसद बनने में कामयाब हुए। #1 रोबर्टो बैजियो
इटली के इस बेहतरीन खिलाड़ी को दुनिया के सबसे कमाल के फुटबॉलरों में गिना जाता है। हालांकि उनकी एक बड़ी गलती के लिए ही उन्हें ज्यादातर लोगों ने याद रखा है। रोबर्टो बैजियो 1994 वर्ल्ड कप में पैनल्टी मिस कर गए थे, जिसके बाद उनकी टीम हार गई थी। इटली के इस दिग्गज खिलाड़ी ने जुवेंटस और एस मिलान के साछ रहते हुए सीरी आ टाइटल जीते। साथ ही उन्हें 1993 में बैलन डीऑर से नवाजा गया। रोबर्टो को साल 2003 में इटली का ‘प्लेयर ऑफ़ द सेंचुरी’ खिताब भी हासिल हुआ। वो बॉल पर अपने टच और गेम में दूर-दृष्टि बनाए रखने के लिए जाने जाते थे। उनके बेमिसाल करियर को फुटबॉल में अच्छे योगदान के नजरिए से याद रखना चाहिए न कि सिर्फ एक गलती के लिए।