लाइबेरिया के फुटबॉलर जॉर्ज वेह अफ्रीकी मूल के सबसे कामयाब खिलाड़ी माने जाते हैं। जॉर्ज में गति, ताकत और सूज-बूझ का जबरदस्त मेल था। उनका बेधड़क बॉल को विपक्षी टीम के डिफेंडरों को मात देकर गोल पोस्ट पर ले जाना, आज के दौर के लिए प्रेरणा कहा जाता है। ‘मोनाको’ क्लब में लोग उन्हें प्यार से ‘मिस्टर जॉर्ज कहते थे। जॉर्ज को यूरोपीयन फुटबॉल में लाने का श्रेय ’ आर्सीनी वेंगर’ को जाता है। जॉर्ज ने पीएसजी और मिलान में रहते हुए कई लीग खिताब अपने नाम किए। 1995 में उन्हें ‘बैलन डी ऑर’ से सम्मानित किया गया। वो ये सम्मान हासिल करने वाले आजतक के एकमात्र अफ्रीकी मूल के फुटबॉलर हैं। हालांकि जॉर्ज का एक सपना था कि वो अपने देश लाइबेरिया को वर्ल्ड कप में हिस्सा दिला पाएं, जो वो पूरा नहीं कर सके। रिटायर होने के बाद वो अपने देश में मानवतावादी कामों से जुड़ गए।वो 2005 में राष्ट्रपति के चुनाव के लिए खड़े हुए लेकिन असफल रहे। हालांकि 2014 में वो वहां के सांसद बनने में कामयाब हुए।