विडियो: फुटबॉल के खेल में मारी गयी 5 बेहतरीन स्कॉर्पियन किक

स्कॉर्पियन किक गोल करने के लिए न सिर्फ एथलेटिसिस्म, टाइमिंग की आवश्यकता होती है बल्कि साथ ही में किस्मत के साथ की भी जरुरत होती है। आईये नज़र डालते है कुछ और यादगार ''स्कॉर्पियन किक '' की जिन्होंने दुनिया भर के प्रशंसकों की वाहावाही लूटी : 1) जब रेने रेने हिगुइता ने अपनी कलाबाज़ी से गोल बचाते हुए पूरे वेम्बली मैदान को चमका दिया

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इन्ही वजहों से कोलम्बियाई गोलरक्षक को रेने हिगुइता को एल लोको (पागल आदमी ) के उपनाम से बुलाया जाता है। यह साउथ अमेरिकन गोलरक्षक मैदान पर कुछ यूँ खतरनाक रक्षण कर दिखाता है जो दूसरे शायद सोच भी न सके। ये उन शुरूआती रक्षकों में से थे जिन्होंने इस जिम्मेदारी को सिर्फ एक बॉक्स में खड़े रहने से आगे का खेल बना दिया। "स्कॉर्पियन किक" के खोजने वालों में से एक माने जाने वाले हिगुइता ने दुनिया को इस किक से परिचित कराया जब 1995 में इंगलैंड के खिलाफ इसका प्रयोग किया। जेमी रेडनैप्प ने बॉक्स मे क्रॉस करना शुरू कर दिया, किसी भी गोलकीपर को बचाने के लिए यह एक साधारण गोल होता हालांकि, हिगुइता ने अपनी आँखें उस पर पूरी तरह से रख दीं और आखिरी सेकंड में अपने पाँव ऊपर कर गेंद को किक करने के लिए आगे बढ़ गये। वेम्बली में भीड़ ने जो कुछ देखा था, उस पर विश्वास नहीं किया। टेलीविजन दर्शकों के लिये यह अविश्वसनीय था। कमेंट्रेटर ने कहा उसने जो देखा वह उसने कभी देखा था और इसे गोल कीपिंग इतिहास का एक यादगार हिस्सा करार दिया। 2) जब ज़्लाटान इब्राहिमोविच ने खुद को मरोड़ कर एक अचूक गोल दागा

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जब ज़्लाटान इब्राहिमोविच पैसों से समृद्ध पेरिस सैंट-जर्मेन में चले गए, तो बहुत लोगो को उम्मीद नहीं थी की वह क्लब की किस्मत को यूँ बदल देंगे। पांच अलग-अलग क्लबों की पांच अलग-अलग सत्रों में जीत के साथ प्रतिस्पर्धात्मक लीग के रूप में जिस लीग की पहचान थी वह अचानक से एकतरफा दौड़ में बदल कर रह गयी। पेरिस में उनके चार सत्रों में से जो एक सबसे यादगार गोल था वह था बस्तािया के खिलाफ था जब एक आम से पास को इब्राहिमोविच ने अपने करतब से गोल में बदल दिया। युवा हॉर्विन ओन्गेंडा से एक छोटे से डिफ्लेक्शन के बाद छः यार्ड बॉक्स के किनारे के पास गेंद उनकी तरफ़ झुकी हुई थी। फ्रैंकोइस मॉडेस्टो के दबाव में इब्राहिमोविच ने केवल पीछे एक पैर को उठा लिया और लक्ष्य पर पीछे की ओर को बढ़ा दिया- दूसरे शब्दों में एक "स्कॉर्पियन किक"। जहाँ सामने खड़ा गोलकीपर असहाय नजर आया वही दूसरी ओर इब्राहिमोविच ने जश्न में लम्बी दौड़ लगा दी। 3) ज़ीको द्वारा किया गया उनका सर्वश्रेष्ठ गोल

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मैदान पर बिना कुछ असाधारण दिखाये, आपको ऐसे ही "वाइट पेले" उपनाम नहीं मिलता। ज़ीको अपने समय के बेहतरीन खिलाड़ियों में से एक थे और यह ब्राज़ीलियाई खिलाड़ी हमेशा मैदान पर अपनी कलात्मकता के साथ ही गोल करने की क्षमता के लिए जाना गया। खिलाड़ी से कोच बने और आखिरी बार इंडियन सुपर लीग में एफसी गोवा को प्रशिक्षित किया। अपने समय में कुछ लाजवाब गोल करने वाले जीको अपने सर्वश्रेष्ट गोल को अपने द्वारा जापानी टीम काशीमा अंटलेर्स की ओर से मारे गये गोल को मानते हैं। "मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ गोल जापान में किया, ज़िको ने कहा। "मैं गेंद से आगे चला गया, मेरे पीछे से आ रहा थी और मुझे नहीं पता था कि क्या करना है लेकिन मैंने अपनी हील से गेंद को मारने के लिए खुद को फेंक दिया। मुझे गेंद मिली और मैंने इसपर गोल मारा। यह शायद मेरे पूरे खेल जीवन का सबसे बेहतरीन गोल था। ज़ीको आगे बताते है की "गोलकीपर अपनी रेखा से निकल गए थे और उनके पास कोई भी मौका नहीं था क्योंकि वह अपने सिर के ऊपर से बॉल को गोल में जाता देख रहा था।" 4) जब एडिंसन कावानी का हैडर एक स्कॉर्पियन किक में बदल गया

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थोड़ा पीछे जाये 2011 में नज़र डालें तो पायेंगे की नापोलि के पास एक अच्छी टीम थी जिसमे की एडिसन कावानी, मारेक हमसिक और एजेकिएल लावेज़जी जैसे खिलाड़ी धीरे धीरे उभर रहे थे। जुवेंटस भी आज की तरह तगड़े नहीं थे और स्टेडियम सैन पाओलो में ओल्ड लेडी के खिलाफ एक मैच को इस उरग्वायी खिलाड़ी ने हैट्रिक के साथ खत्म किया।

हालांकि कई लोग मानते हैं कि कवानी ने अपने सिर के साथ इस विशेष गोल को किया था पर रिप्ले ने कुछ और ही दिखाया था। लावेज़ी ने हामसिक को गेंद दी, तो स्लोवाक मिडफील्डर ने गेंद को बहुत दूर तक पहुंचा दिया और कैवानी ने कम क्रॉस के साथ खुद को फेंक दिया गया।गेंद तो नेट में जा के रुकी लेकिन गोल पर एक और नज़र से पता चला कि कवानी ने वास्तव में अपनी एड़ी के साथ गोल मारा था। वह हैडर मारने में तो चुके लेकिन दिमाग का इस्तेमाल करते हुए पैरों को ऊपर उठा उसे गोल में परिवर्तित किया। मार्को स्टोरी और लियोनार्डो बोनुसी इस गोल को रोकने के लिए कुछ नहीं कर सके।
5) कर्स्टन कंमलोट का किया गोल

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कार्स्टेन कंमलोट के लिए यह एक दिन भूलने और याद रखने वाला था - मिश्रित भावनाओं का दिन था। ऐसा दिन जबकि उनकी टीम रोट-वेइस एरफर्ट 3-1 के स्कोर के हारी पर सुर्खियां बनायीं उस समय उनके द्वारा मारे गये एक गोल ने। ऐसा गोल जो टीम को प्रेरित करने लायक था और एक क्रॉस पर कार्स्टेन ने आगे की ओर यूँ डाइव लगाते हुए गेंद को गोल के अंदर का रास्ता दिखाया की गोलरक्षक की तनी हुई बाहें भी उन्हें रोक पाने में सक्षम नहीं थी। कंमलोट खुद को किसी तरह की चोट से बचाते हुए ज़मीन पर गिरे , और सामने था एक लाज़वाब गोल। विशेष उल्लेख:

हेनरीख म्खीतारयन का गोल:

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ओलिवर जिरूड का गोल: 

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लेखक: रोहित नायर
अनुवादक: राहुल पांडेय