दुनिया में जब सबसे ग्लैमरस खेल की बात होती है तो एक ही नाम सामने आता है और वो है फुटबॉल। इस खेल की हर एक चीज चर्चा का विषय बन जाती है। चाहे वो खेल से जुड़े नियमों में कोई बदलाव हों, किसी स्टेडियम की खासियत हो या किसी फैन क्लब की खूबियां हों। हर चीज अपने आप में खास है। फुटबॉल खिलाड़ियों के जीवन की शायद ही ऐसी कोई घटना होती होगी जो उनके फैंस से छिपी रहती हो। फैंस अपनी फेवरेट टीम और मनपसंद प्लेयर की हर छोटी से छोटी बात जानने के लिए बेताब रहते हैं। फिर किसी टीम ने खिताब जीता हो, कोई टीम खिताब से चुकी हो, या फिर कोई खिलाड़ी ने बेमिसाल परफॉर्मेंस दी हो या फिर किसी फुटबॉलर ने अपने टीम को अलविदा कहा हो, इस खेल की हर छोटी से छोटी भावना अपने आप में अनोखी है। यहां हम बात करेंगे उन लम्हों की जो फुटबॉल के इतिहास में सबसे ज्यादा भावनात्मक रहे यानी 'इमोशनल' रहे :
#5 ऑलिवर काह्न का कैनिजेर्स को दिलासा देना जब भी विश्व के सबसे बेहतरीन गोलकीपरों की बात होती है तो 'ऑलिवर काह्न' का नाम जरूर आता है। ये जर्मन खिलाड़ी अपने शानदार डाइविंग सेव्स के लिए मशहूर था। 2001 के चैंपियंस लीग फाइनल में बेयर्न म्यूनिख और वैलेंसिया आमने-सामने थे। इसी के साथ आमने-सामने थे दो दमदार गोलकीपर। म्यूनिख की तरफ से काह्न और वैलेंसिया के लिए सेंटियागो कैनिजेर्स। दोनों ही गोलकीपरों के लिए ये मैच इसलिए खास था क्योंकि दोनों ही अपनी-अपनी टीम के लिए पिछले लीग फुटबॉल फाइनल मैचों में गोल नहीं रोक पाए थे और टीम को हार का सामना करना पड़ा था। 2001 के इस फाइनल मैच में 120 मिनट खत्म होने पर म्यूनिख और वैलेंसिया 1-1 की बराबरी पर थे। अब बारी थी पैनल्टी शूटआउट की और दोनों टीम के गोलकीपरों पर जीत का दारोमदार था। हालांकि इस आखिरी मुकाबले में काह्न गोल रोकने में कामयाब रहे और कैनिजेर्स चूक गए। फिर क्या था, लगातार दूसरे फाइनल में विफल रहे कैनिजेर्स बेहद दुखी अवस्था में फील्ड पर ही फूट-फूट कर रोने लगे। वहीं बेयर्न अपनी जीत के जश्न में डूबी थी। लेकिन कैनिजेर्स को रोता देख, जश्न छोड़ काह्न उनके पास आए और उन्हें दिलासा दी। ये पल फुटबॉल के इतिहास के पन्नों में सबसे भावनात्मक लम्हों की सूचि में शामिल हो गया। जर्मन गोलकीपर के इस व्यहार के लिए UEFA ने उन्हें 'Fair play' अवॉर्ड से सम्मानित भी किया।