ये हैं फुटबॉल इतिहास के पांच सबसे भावनात्मक लम्हे

दुनिया में जब सबसे ग्लैमरस खेल की बात होती है तो एक ही नाम सामने आता है और वो है फुटबॉल। इस खेल की हर एक चीज चर्चा का विषय बन जाती है। चाहे वो खेल से जुड़े नियमों में कोई बदलाव हों, किसी स्टेडियम की खासियत हो या किसी फैन क्लब की खूबियां हों। हर चीज अपने आप में खास है। फुटबॉल खिलाड़ियों के जीवन की शायद ही ऐसी कोई घटना होती होगी जो उनके फैंस से छिपी रहती हो। फैंस अपनी फेवरेट टीम और मनपसंद प्लेयर की हर छोटी से छोटी बात जानने के लिए बेताब रहते हैं। फिर किसी टीम ने खिताब जीता हो, कोई टीम खिताब से चुकी हो, या फिर कोई खिलाड़ी ने बेमिसाल परफॉर्मेंस दी हो या फिर किसी फुटबॉलर ने अपने टीम को अलविदा कहा हो, इस खेल की हर छोटी से छोटी भावना अपने आप में अनोखी है। यहां हम बात करेंगे उन लम्हों की जो फुटबॉल के इतिहास में सबसे ज्यादा भावनात्मक रहे यानी 'इमोशनल' रहे :


#5 ऑलिवर काह्न का कैनिजेर्स को दिलासा देना

जब भी विश्व के सबसे बेहतरीन गोलकीपरों की बात होती है तो 'ऑलिवर काह्न' का नाम जरूर आता है। ये जर्मन खिलाड़ी अपने शानदार डाइविंग सेव्स के लिए मशहूर था। 2001 के चैंपियंस लीग फाइनल में बेयर्न म्यूनिख और वैलेंसिया आमने-सामने थे। इसी के साथ आमने-सामने थे दो दमदार गोलकीपर। म्यूनिख की तरफ से काह्न और वैलेंसिया के लिए सेंटियागो कैनिजेर्स। दोनों ही गोलकीपरों के लिए ये मैच इसलिए खास था क्योंकि दोनों ही अपनी-अपनी टीम के लिए पिछले लीग फुटबॉल फाइनल मैचों में गोल नहीं रोक पाए थे और टीम को हार का सामना करना पड़ा था। 2001 के इस फाइनल मैच में 120 मिनट खत्म होने पर म्यूनिख और वैलेंसिया 1-1 की बराबरी पर थे। अब बारी थी पैनल्टी शूटआउट की और दोनों टीम के गोलकीपरों पर जीत का दारोमदार था। हालांकि इस आखिरी मुकाबले में काह्न गोल रोकने में कामयाब रहे और कैनिजेर्स चूक गए। फिर क्या था, लगातार दूसरे फाइनल में विफल रहे कैनिजेर्स बेहद दुखी अवस्था में फील्ड पर ही फूट-फूट कर रोने लगे। वहीं बेयर्न अपनी जीत के जश्न में डूबी थी। लेकिन कैनिजेर्स को रोता देख, जश्न छोड़ काह्न उनके पास आए और उन्हें दिलासा दी। ये पल फुटबॉल के इतिहास के पन्नों में सबसे भावनात्मक लम्हों की सूचि में शामिल हो गया। जर्मन गोलकीपर के इस व्यहार के लिए UEFA ने उन्हें 'Fair play' अवॉर्ड से सम्मानित भी किया।

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#4 कासिलास का रियाल मैड्रिड को छोड़ना और जैवी का बार्सिलोना को अलविदा कहना

Iker-Casillas

स्पेन के दो दिग्गज खिलाड़ी, 'इकर कासिलास' और 'जैवी', विश्व फुटबॉल के चमकते सितारों में शुमार हैं। इन दोनों खिलाड़ियों ने अपने-अपने क्लब से जुड़े रहकर अहम योगदान दिए। जहां कासिलास शुरू से मैड्रिड के साथ रहते हुए कई खिताब टीम के नाम कर, खुद दुनिया के शीर्ष गोलकीपर बने। वहीं बार्सिलोना को पूरी जिंदगी देने वाले जैवी ने टीम को तमाम ऊंचाइयों पर पहुंचाया। ऐसे में दोनों ही खिलाड़ियों का एक ही समय अपने क्लब्स को अलविदा कहना दुनियाभर के फैंस के लिए काफी भावनात्मक पल था। दोनों ने मिलकर लगभग 1500 मैचों में अपने क्लब्स का प्रतिनिधित्व किया। स्पेन की राष्ट्रीय टीम के स्तंभ कहे जाने वाले इन खिलाड़ियों ने स्पेन को एक वर्ल्ड कप और दो यूरो कप खिताब जितवाए। साथ ही चैंपियंस लीग के इतिहास में सबसे ज्यादा मैच खेलने का कीर्तिमान भी दोनों ही खिलाड़ी बना चुके हैं। लेकिन क्लब फुटबॉल को अलविदा कहना, कासिलास और जैवी दोनों के लिए काफी मुश्किल रहा और ये बात उनकी आखिरी स्पीच में नम आंखें, साफ बयां कर रहीं थीं। हालांकि दोनों ने अलग-अलग परिस्तिथियों में रहते क्लब्स को छोड़ा। जहां जैवी बार्का को छोड़ते वक्त अपने शानदार फॉर्म में थे, वहीं कासिलास के ढलते गेम के चलते उन्हें मैड्रिड के मैनेजर ने खुद जाने के लिए कहा।

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#3 ...जब एरिक एबिडाल ने उठाई चैंपियंस ट्रॉफी

Barcelona's French defender Eric Abidal

बार्सिलोना के शानदार एरिक एबिडाल के फुटबॉल करियर की कहानी किसी भी फुटबॉलर के लिए एक बड़ी मिसाल है। 2011 में ये फ्रैंच खिलाड़ी, कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से ग्रस्त हो गया। इसके चलते एबिडाल को बेहद ही खतरनाक सर्जरी के लिए जाना पड़ा। ये वो समय था जब फुटबॉल जगत के सभी लोगों ने उनके ठीक होने की प्रार्थनाएं की थीं। यहां तक कि सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्वी टीम रियाल मैड्रिड ने भी उनकी सलामती की दुआ अपने शर्ट में एबिडाल के नाम लिखे एक संदेश के रूप में मांगी। हैरानी की बात थी कि सर्जरी के महज़ दो महीने बाद ही एबिडाल फुटबॉल ग्राउंड पर मौजूद थे। ग्राउंड में लौटते ही उन्होंने मैनचेस्टर यूनाइटेड के खिलाफ खेले गए फाइनल मैच में बार्सिलोना को 3-1 से शानदार जीत दलाई और चैंपियंस लीग का खिताब जीता। एबिडाल का खेल के प्रति ये जज़्बा और बहादुरी और क्लब के लिए इस शिद्दत को देखते हुए उन्हें ‘कैप्टन बैंड’ दिया गया और खिताबी ट्रॉफी भी उन्होंने ही उठाई।

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#2 जब विलारियल (Villarreal) ने अपने कैंसर ग्रसित फैन का सपना पूरा किया

cancer gohan

13 साल के गोहान की ख्वाहिश थी कि वो विलारियल क्लब के लिए खेलते हुए एक गोल करें। ये युवक कोई खिलाड़ी नहीं बल्कि क्लब के खास प्रशंसक हैं। 13 साल के गोहान कैंसर से पीड़ित थे और अपना ये सपना पूरा करना चाहते थे। बस फिर क्या था, टीम ने भी इस काम को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सेल्टिक के खिलाफ विलारियल के एक चैरेटी मैच में क्लब ने गोहान को अपनी टीम में शामिल किया। उसे 12 नंबर की जर्सी दी गई और टीम के एक मुख्य खिलाड़ी की तरह ही बर्ताव किया गया। गोहान ने मैच बॉल को किक किया और अपनी छिपी हुई फुटबॉल प्रतिभा को दिखाते हुए मैच में एक गोल दागा। इस तरह से अपने एक खास फैन के लिए विलारियल के इस काम ने इतिहास में एक यादगार लम्हा दर्ज कर दिया।

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#1 टीटो विलानोवा का कैंसर के खिलाफ हार जाना

FC Barcelona v Getafe CF - La Liga

टीटो विलानोवा, एक सीजन के लिए बार्सिलोना के मैनेजर रहे। यूं तो ये सीजन, क्लब के लिए काफी अच्छा रहा लेकिन टीटो की कैंसर की बीमारी से पीड़ित होना बेहद दुखद रहा। बतौर मैनेजर, बार्सिलोना के साथ टीटो का शुरुआती समय काफी शानदार रहा। उस सीजन में वो टीम को खिताब जिताने में कामयाब भी रहे। लेकिन सीजन के बीच में ही उन्हें कैंसर हो गया। उनकी गैर मौजूदगी में Jordi Roura ने क्लब की कमान संभाली। 2013 में टीटो बार्सा के साथ फिर जुड़े। लेकिन उन्हें टीम के मैनेजर की पोजिशन से रिजाइन करना पड़ा क्योंकि उन्हें फिर से थेरेपी के लिए बुलाया गया। ये वक्त टीटो के लिए काफी दुखदायी था। फिर एक दिन अचानक सबको हैरान करने वाली खबर आई और 25 अप्रेल 2014 को उनकी मृत्यु हो गई। इस खबर ने बार्सिलोना समेत पूरे फुटबॉल जगत को सकते में डाल दिया था।

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