आईएसएल में पिछले तीन साल से लगातार किसी टीम का प्रदर्शन बेहतर रहा है, तो वह कोलकाता का रहा है। 3 आईएसएल में से 2 बार चैंपियन बनने वाली एटलेटिको डी कोलकाता ने दोनों बार फाइनल में केरला ब्लास्टर को हराया है। इस बार कड़े फाइनल मुकाबले में पेनाल्टी शूटआउट में कोलकाता ने केरला को 4-3 से हराया। खेल के निर्धारित 90 मिनट में दोनों टीमों ने 1-1 गोल से बराबरी की थी। जिसके बाद कोच्ची के जवाहरलाल नेहरु स्टेडियम में खेल को 30 अतरिक्त मिनट भी दिया गया। जहां दोनों टीमों ने एक दूसरे का जबर्दस्त सामना किया। जिसमें फैंस की सांसें भी थमती रहीं। अंत में कोलकाता ने इस मुकाबले को जीत लिया। ऐसे में हम आपको ये बताना चाहते हैं कि क्यों कोलकाता इस जीत की हकदार थी। जिसके 5 कारण भी हम आपके लिए लाये हैं: टीम में गहराई कोलकाता की टीम में एक से एक अनुभवी खिलाड़ी थे। जो खेल पर बड़ी बारीक नजर गड़ाए रहते थे। उनके पास ऐसे दो खिलाड़ी थे, जिनका प्रदर्शन कभी गिरा ही नहीं। टीम के मेनेजर जोस मोलिना ने सेमीफाइनल में मुंबई के खिलाफ अपने काम शानदार उदाहरण पेश किया था। कोलकाता के मेनेजर ने इस मैच में नौ बदलाव किये थे। जिनमें इयान हमे, हेल्डर पोस्टिगा और समीग भी बेंच पर थे। लेकिन कोलकाता के लिए मनचाहा रिजल्ट आया, मैच 0-0 से ड्रा हो गया। रबिन्द्र सरोबर स्टेडियम में 3-2 की जीत हासिल करके कोलकाता ने अहम जीत हासिल की। कोलकाता की टीम पूरे सीजन में कोई आउटस्टैंडिंग टीम नहीं रही। फाइनल में टीम में अर्नब मोंडल नहीं थे। जो टीम के अहम पिलर थे। लेकिन मैच के दौरान कहीं भी उनकी कमी नहीं खली। बोरिया फ़र्नांडीज, इयान हमे और हेल्डर पोस्टिगा की मौजूदगी ने टीम को कभी किसी कमी नहीं खलने दी। यही वजह थी कि कोलकाता एक गोल से ज्यादा नहीं हारा। कभी हार नहीं मानने वाली टीम कोलकाता पूरे सीजन में सिर्फ 2 मैच हारी है। 17 मैचों में टीम ने ड्रा मुकाबले खेले हैं। जो एक चैंपियन टीम की निशानी है। जो कभी हार नहीं मानी। कोलकाता की टीम बेहद प्रोफेशनल है। लीग मुकाबलों में अपने सभी 9 मैचों में कोलकाता को हार नहीं मिली। इसलिए कोलकाता ही असल चैंपियन बनने की हकदार थी। मोलिना ने अंतिम एकादश में निरंतर बेहतर प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को ही मौका दिया। कोलकाता का डिफेन्स सबसे अच्छा रहा जो टीम की ताकत भी है। 17 मैचों में कोलकाता ने 17 गोल किये थे। उसके बाद मुंबई ने 11 गोल किये हैं। इसका क्रेडिट हेनरिक सेरेनो को जाता है। जो टीम के डिफेन्स के अगुहा थे। बड़ी सरलता से हबास की जगह मोलिना ने संभाली एनटोनियो हबास ने पहली बार कोलकाता को चैंपियन बनाया था। उसके बाद दूसरे सीजन में टीम सेमीफाइनल तक पहुंची थी। लेकिन इस सीजन में हबास की जगह स्पेन के मोलिना को टीम का मेनेजर बनाया गया। टीम ने खिलाड़ी वही रखे। सिर्फ मेनेजर बदला। बोरिया फ़र्नांडीज, ओफेन्ट्स नाटो और अर्नव मोंडल के अलावा इयान हमे, हेल्डर पोस्टिगा, जावी लारा, टिरी और समीह्ग़ को टीम में बरकरार रखा। इसके अलावा हेनरिक सेरेनो और देबजीत मजुमदार जैसे नये खिलाड़ी टीम में आये। जो टीम के लगातार सदस्य रहे। मोलिना का काम करने का तरीका भी हबास की तरह ही रहा। जिससे टीम को किसी भी रणनीतिक दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ा। स्पेन के इस मेनेजर का लाभ एटलेटिको को सबसे ज्यादा हुआ। क्योंकि टीम में ज्यादातर खिलाड़ियों को स्पेनिश बोलनी आती थी। जिसकी वजह से अंग्रेजी की जरूरत उन्हें पड़ी। बोर्जा, लारा और टिरी के अलावा पोस्टिगा स्पेन में काफी फुटबॉल खेल चुके हैं। भारतीय खिलाड़ियों का बेहतर योगदान अर्नब मोंडल, प्रबीर दास और प्रीतम कोटल जैसे भारतीय खिलाड़ी कोलकाता टीम के अहम सदस्य हैं। लेकिन इन सब में देबजीत मजुमदार का प्रदर्शन सबसे खास रहा। मोहन बगान के गोलकीपर ने इस बार कोलकाता के लिए 2 मुकाबले खेले थे। लेकिन उनका प्रदर्शन शानदार रहा। जिसका फायदा मोलिना को हुआ और उन्होंने एक अतिरिक्त विदेशी खिलाड़ी को टीम में जगह दी। देबजीत ने 4 गोल होने से रोका इसके अलावा फाइनल में हुए पेनल्टी शूटआउट में तो उन्होंने कमाल कर दिया। जो सीजन का सबसे शानदार प्रदर्शन कहा जा सकता है। वहीं प्रबीर कोलकाता के लिए इस सीजन के अहम खोज साबित हुए। साथ ही दो युवा विंगर अभिनाश रुईदास और बिद्यानंद सिंह ने भी इस सीजन में कोलकाता के लिए शानदार खेल दिखाया है। कोलकाता को चैंपियन बनाने में हम इन भारतीय खिलाड़ियों को भी एक वजह मानते हैं। दबाव झेलने का दम कोलकाता की टीम की सबसे खास बात है कि टीम ने इस पूरे सीजन में दबाव में बेहतर प्रदर्शन किया है। जिसका फायदा उन्हें पूरे सीजन में मिला है। नाकआउट स्टेज में इसका फायदा कोलकाता को खूब हुआ है। लेकिन टीम ने इस बार वास्तव में गोल कम खाकर फाइनल में जगह बनाई। अतिरिक्त समय में सेरेनो चोटिल भी हो गये थे। लेकिन कोलकाता ने मैच को पेनल्टी शूटआउट तक पहुंचा दिया था। हमे पहले पेनल्टी शूटआउट को मिस कर गये थे। लेकिन बाद में चारों पेनाल्टी गोल में तब्दील हो गये। इस तरह एटलेटिको ने खुद को इस सीजन में साबित किया कि वह खिताबी जीत के हकदार थे।