बेंगलुरु एफसी ने दारुल ताजिम क्लब को सेमीफाइनल 4-2 के अंतर से हराकर कर एएफसी कप फुटबॉल टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंचकर इतिहास रच दिया है। बेंगलुरु एफसी इस जीत के एएफसी कप के फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय टीम बन गयी है और इस जीत की वजह कप्तान सुनील छेत्री को कहा जाए तो गलत नहीं होगा , जिन्होंने दोनों हाफ में एक-एक गोल दागकर विपक्षी टीम को बैकफुट ला खड़ा किया , छेत्री ने 41 वें मिनट अपना पहला और गोल 67 वें मिनट में दूसरा गोल किया। बेंगलुरु ने टूर्नामेंट के दूसरे सेमीफाइनल के दूसरे चरण के घरेलू मुकाबले को 3-1 से जीता । इससे पहले बेंगलुरु ने मलेशियाई क्लब की जमीन पर पहला चरण 1-1 से ड्रॉ खेला था। इस तरह भारतीय क्लब ने सेमीफाइनल मुकाबला कुल 4-2 के अंतर से जीत लिया। अब इंतजार फाइनल मुकाबले का है जो पांच नवंबर को खेला जाएगा। इस मुकाबले में बेंगलुरु के सामने इराक के अल कुआवा अल जाविया क्लब की चुनौती होगी, जिसने पहले सेमीफाइनल में लेबनान के अल अहत क्लब को 3-2 के अंतर से हराया था । यहां हम उन पांच चीजों की बात करेंगे जिनकी वजह से बेंगलुरु एफसी एएफसी कप जीत सकता है :
#1 पेशेवर रवैया जो इससे पहले भारतीय फुटबॉल के इतिहास में नहीं दिखा
यूं तो बेंगलुरु एफसी क्लब ज्यादा पुराना नहीं है ,लेकिन आज से तीन साल पहले बनें इस क्लब ने अपने पहले दिन से ही वो प्रोफेशनल रवैया दिखाया है, जो भारतीय फुटबॉल के इतिहास में पहले कभी देखने को नहीं मिला। जेएसडबल्यू ग्रुप का ये क्लब जिसके मैनेजिंग डायरेक्टर सज्जन जिंदल और सीईओ पार्थ जिंदल हैं दोनों को इस क्लब की सफलता श्रेय जाना चाहिए, जिन्होंने अपने फायदे के लिए ही सही पर देश को एक पेशेवर तरीके से काम करने वाला क्लब दिया। क्लब को इतने अच्छे तरीके से चलाया जा रहा है कि आप इसकी तुलना किसी यूरोपियन क्लब से कर सकते हैं। ये क्लब टीम के हर छोटे बड़े पहलुओं पर बहुत बारीकी से ध्यान दे रहा है , क्लब के जूनियर टीम की परफॉरमेंस भी बहुत कम समय में देखते ही बनती है । खिलाड़ियों के चुनाव से लेकर भी क्लब का रवैया बहुत सख्त और प्रोफेशनल है , परफॉरमेंस के आधार पर बड़े-बड़े खिलाड़ियो को चुना जा रहा रहा है जो टीम के लिए अच्छा है और इसी के चलते पिछले तीन सालों में अपने क्लब के कुछ महत्वपूर्ण खिलाड़ियों को खोना पड़ा है सेन रूनी उन्हीं में से एक हैं पर इन खिलाड़ियों के रिप्लेसमेंट का काम भी काफी अच्छीतरह हो रहा है। इन सब बातों से पता चलता है कि क्लब भारत में फुटबॉल के भविष्य के लिए क्या कर रहा है और इसी को देखकर ये भी कहा जा सकता है कि बेंगलुरु एफसी एक लंबी रेस का घोड़ा है और इनकी रेस एएफसी कप का फाइनल जीत के शुरु हो सकती है। #2 बेहतरी फैन बेस
बेंगलुरु के फैंस भी एक बड़ी बजह हैं कि टीम इतना अच्छा प्रदर्शन कर रही है ,और ये फैंस ही हैं जो बार-बार खिलाड़ियों में नई ऊर्जा का संचार कर और बेहतर करने को मजबूर करते हैं। इनके होम ग्राउंड कंटीरवा स्टेडियम की क्षमता 24,000 दर्शकों की है और सेमीफाइनल के दौरान खचाखच भरा हुआ था। बेंगलुरु एफसी का फैन बेस 2013 जब ये क्लब बना तभी से अच्छा है , जब भी ये टीम मैदान में होती है दर्शकों में खूब जोश-ओ-खरोस देखने को मिलता है वे अपनी टीम और फेवरेट खिलाड़ियों के लिए जमकर चेयर करते हैं नारे लगाते हैं बैनर पोस्टर लेकर आते हैं। उम्मीद यही है कि बेंगलुरु के लिए फैस ऐसे ही चयर करते रहेंगे , खिलाड़ियों का हौसला और मनोबल बढ़ाते रहेंगे और बेंगलूरु अपने फैन बेस के बल पर आई लीग की तरह एएफसी कप का फाइनल भी जीत कर दिखाएगी। #3 शानदार डिफेंस फुटबॉल की दुनिया में कहते हैं कि जितना अच्छा आपका डिफेंस होगा उतने कम गोल आप खाएंगे और उतने ही ज्यादा मौके आपकी जीत के बढ़ जाएंगे । इस समय टीम के पास ऐसा डिफेंस नजर आता है , जॉन जॉनसन, जुआन एंटोनियो, रिनो एंटो, कीगन परेरा और लालछुआंमाविया क्लब के लिए पूरे सेशन और इस कप के लिए भी डिफेंस की धुरी रहे हैं पर 19 साल के निशू कुमार जो कि लेफ्ट बैक खेलते हैं उनकी चौका देने वाली एंट्री ने सबको प्रभावित किया । और सबको उम्मीद है कि टीम अपने शानदार डिफेंस के चलते इस कप को जीत सकती है । #4 बेहतरीन टीम भावना
जीत के लिए किसी टीम में जो एकजुटता दिखाई देनी चाहिए। इस टीम में वो नजर आता है , बेंगलुरु एफसी की गजब की टीम भावना देखने लायक है। ये टीम ,टीम की तरह नहीं बल्कि एक परिवार की तरह एकजुट नजर आ रहीं है चाहे मैदान के अंदर हो या बाहर , और ये टीम स्परिट ही हैं जो बार-बार खिलाड़ियों में नया हौसला भर देता है और बेहतर करने को मजबूर कर देता है , लड़खड़ाने की स्थिती में यही वो चीज है जो सबकुछ फिर पटती पर ले आता है।
सेमीफाइनल मुकाबले के दौरान बेंगलुरु एफसी ने पूरे देश और यहां तक की अपने प्रतिद्वंदियों से तक अपनी जीत के लिए सपोर्ट की अपील की , और उनहें जीत हासिल हुई , अब यही उम्मीद है कि अपने उम्दा खेल और एकजुटता के बदोलत ये फाइनल जीत कर इतिहास रचे। #5 सुनील छेत्री
भारतीय टीम के कप्तान का इस टीम में होना भी बेंगलुरु एफसी की जीत का बड़ा कारण है। 32 साल के इस खिलाड़ी ने कभी हथियार नहीं ड़ाले। आई-लीग में इनका प्रदर्शन कोन भूल सकता है। सेमी फाइनल मैच में भी जो जलवे इस खिलाड़ी ने दिखाए उससे कहा जा सकता है कि अगर ये इसी लय में बने रहे तो टीम का चैम्पियन बनना तय है।
उनका जुनून, शांत स्वभाव, तकनीक जैसी खास बातों ने टीम की सफलता के लिए एक बहुत योगदान दिया है , जोहोर के खिलाफ इस 5'7 "स्ट्राइकर का दूसरा गोल के विश्व स्तरीय था जो शायद दुनिया की बड़ी बड़ी लीग्स ने भी देखा नहीं होगा।
सेमीफाइनल की जीत का सहरा अगर कप्तान सुनील छेत्री के सर बांधा जाए तो गलत नहीं होगा, जिन्होंने दोनों हाफ में एक-एक गोल दागकर विपक्षी टीम को बैकफुट ला खड़ा किया , और अब उनसे फाइनल में भी एसी ही उम्मीदें हैं।