भारतीय टीम के कप्तान का इस टीम में होना भी बेंगलुरु एफसी की जीत का बड़ा कारण है। 32 साल के इस खिलाड़ी ने कभी हथियार नहीं ड़ाले। आई-लीग में इनका प्रदर्शन कोन भूल सकता है। सेमी फाइनल मैच में भी जो जलवे इस खिलाड़ी ने दिखाए उससे कहा जा सकता है कि अगर ये इसी लय में बने रहे तो टीम का चैम्पियन बनना तय है।
उनका जुनून, शांत स्वभाव, तकनीक जैसी खास बातों ने टीम की सफलता के लिए एक बहुत योगदान दिया है , जोहोर के खिलाफ इस 5'7 "स्ट्राइकर का दूसरा गोल के विश्व स्तरीय था जो शायद दुनिया की बड़ी बड़ी लीग्स ने भी देखा नहीं होगा।
सेमीफाइनल की जीत का सहरा अगर कप्तान सुनील छेत्री के सर बांधा जाए तो गलत नहीं होगा, जिन्होंने दोनों हाफ में एक-एक गोल दागकर विपक्षी टीम को बैकफुट ला खड़ा किया , और अब उनसे फाइनल में भी एसी ही उम्मीदें हैं।