मिजोरम राज्य का फुटबॉल सितारा जेजे, शायद पैदा ही स्ट्राइकर बनने के लिए हुआ। जेजे के परिवार में उसके पिता और चाचा दोनों ही फुटबॉल के खिलाड़ी रहे हैं। जेजे के पिता तो संतोष ट्रोफी में मिजोरम के लिए खेल भी चुके हैं। अपने पिता के इसी अनुभव को आगे बढ़ाते हुए वो मॉडल स्पोर्टिंग क्लब में शामिल हुए। जेजे ने U-19 के कैम्प में सबको प्रभावित किया और क्वॉर्टर फाइनल में पहुंचे। इसके साथ ही उन्हें भारत की U-19 टीम में खेलने का भी मौका मिला। उन्होंने दो मैच ही खेले लेकिन चार गोल करके सबका दिल जीत लिया। इसके बाद उन्हें U-23 टीम में जगह मिली, जहां उन्होंने 17 मैचों में छह गोल किए। इसके बाद जेजे को, फिलहाल खत्म हो चुके क्लब, Pailan Arrows ने साइन किया। इस क्लब के लिए जेजे ने लगातार शानदार खेल खेला, जिसके चलते उनके नैशनल टीम में शामिल होने को लोकर फुटबॉल संघ प्रमुख रूप से सोच रहा था। लेकिन खराब दौर सबका आता है, जेजे का भी आया। 21 साल के इस खिलाड़ी को कोई और क्लब न मिलने के कारण 2011 तक Pailan Arrows ने ही लोन पर रखा। फिर 2013 में वो डेम्पो से जुड़े लेकिन असफल रहे। इसके बाद उन्हें मोहन बागान ने साइन किया। लेकिन 12 मैचों में सिर्फ एक गोल ही कर पाने के बाद, उनकी जगह टीम में रोबिन सिंह को जोड़ लिया। फिर जेजे ने ISL में चैनईइन एफसी के साथ कदम रखा और टीम के सबसे बड़े स्ट्राइकर के रूप में सामने आकर करियर में वापसी की। उन्होंने मेन स्ट्राइकर बलवंत सिंह को रिप्लेस किया। इसके साथ ही जेजे ऊंचाइयों को छूते गए। सुनिल छेत्री और रोबिन सिंह जैसे बड़े नामों को पछाड़ते हुए जेजे पहले सीजन में सबसे ज्यादा गोल करने वाले भारतीय बने। दूसरे सीजन में भी उनका शानदार फॉर्म जारी रहा। चेन्नई के लिए उन्होंने छह गोल और तीन असिस्ट करके टीम को खिताब जिताया। इस सफलता के बाद जेजे एक बार फिर मोहन बागान में बुला लिए गए।