भारतीय महिला फुटबॉल टीम की स्ट्राइकर बाला देवी का मानना है कि 2022 में फीफा अंडर-17 विश्व कप से भारत में महिला फुटबॉल के लिए पूरी मानसिकता बदलने में मदद मिलेगी। यह टूर्नामेंट पहले इस साल आयोजित होना था, लेकिन पहले 2021 तक स्थगित हुआ और एक साल और स्थगित होकर 2022 में आयोजित कराने का तय किया गया।
बाला देवी ने एआईएफएफ टीवी से बातचीत में कहा, 'पहले हमें ज्यादा लड़कियां फुटबॉल खेलती हुई नहीं दिखती थीं। अब आंकड़ें बढ़ चुके हैं। फीफा अंडर-17 विश्व कप में कई देशों से लड़कियां भारत आएंगी और हमारी लड़कियों को विश्व की सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी के साथ कंधा मिलाने का मौका मिलेगा। इससे पूरी मानसिकता बदलने में मदद मिलेगी।'
अखिल भारतीय फुटबॉल संघ (एआईएफएफ) पांच सालों में दूसरी बार फीफा विश्व कप आयोजित कराने को तैयार है और 30 साल के स्ट्राइकर का मानना है कि इससे देश को वैश्विक मंच पर चमकने में मदद मिलेगी। बाला देवी ने कहा, 'इससे भारत को चमक मिलेगी। 2017 में जिन लड़कों ने फीफा अंडर-17 विश्व कप खेला, अब शीर्ष लीग में प्रतियोगिता कर रहे हैं। मेरा मानना है कि यह हमारी लड़कियों के लिए अच्छा मौका होगा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्हें नोटिस किया जाए।'
बाला देवी को पिता का हमेशा मिला साथ
बाला देवी ने याद किया कि कैसे उन्हें फुटबॉल खेलने पर आलोचना झेलनी पड़ती थी, लेकिन उनके पिता ने सभी बाधाओं को पीछे छोड़ते हुए उन्हें उनके सपने का एहसास करने में मदद की। बाला देवी के पिता भी राज्य स्तर के खिलाड़ी थे। बाला देवी ने कहा, 'मैं शुरूआत में स्थानीय लड़कों के साथ खेलती थी। कई लोगों ने मेरे खेलने के बारे में बातें की और मेरी आलोचना की। मेरे पिता फुटबॉलर थे और वह हमेशा मुझे प्रोत्साहित करते थे। आज भी मैं उनके फुटबॉल के कुछ भी सवाल पूछ लेती हूं, भले ही वो कितने ही अटपटे क्यों न हो।'
बाला देवी ने आगे कहा, 'मेरे पिता ने मुझे 24 घंटे और सातों दिन फुटबॉल के बारे में सोचना सिखाया और मैं हाथ में बॉल लेकर सोती थी। कभी तो मैं नींद के बीच में ही बॉल पर किक जमा देती थी और इस तरह यह जुनून मेरे अंदर बढ़ता गया। मैं सभी माता-पिता से गुजारिश करूंगी कि अपने बच्चों का साथ दें और उन्हें प्रोत्साहित करें ताकि वह अपने सपने पूरे कर सकें।'