गोल्फ एक ऐसा खेल है जो व्यक्तिगत रूप से और टीमों में खेला जा सकता है। इस खेल में खिलाड़ी क्लब की मदद से गेंद को मैदान में मौजूद छेदों के अंदर पहुंचाने की कोशिश करते हैं।
इतिहास
इस खेल के आविष्कार को लेकर कोई सटीक जानकारी नहीं है लेकिन ऐसा माना जाता है कि इसकी खोज 17वीं शताब्दी के आसपास यूरोप में किया गया जिसके बाद ये खेल अमेरिका में लोकप्रिय हुआ और फिर वहां से विश्वभर में प्रचलित हुआ।
खेल के नियम
गोल्फ खेलने का मैदान काफी लंबा-चौडा और समस्त मैदान हरी-हरी घास से भरा होता है। यह मैदान गोल्फ कोर्स कहलाता है। इसमे जगह-जगह कई गड्ढे बने होते है, जिन्हें हज़ार्ड कहा जाता है और उनके अलग-अलग अंक होते है। खिलाड़ी को इन गड्ढों में गेंद डालकर अंक प्राप्त करने होते है। गेंद को लकड़ी या धातु कि बनी एक छड़ी से हिट किया जाता है, जिसे क्लब कहा जाता है।
इसे खेलने का तरीका
इसमें खेलने के कई तरीके हैं लेकिन विशेष रूप से नियमों और खेल को जीतने के तरीके के रूप में दो सबसे अधिक इस्तेमाल किया जा रहा है।
स्ट्रोक प्ले: छोर के माध्यम से पूरा कोर्स पूरा करने के लिए कम से कम शॉट्स की संख्या बनाने वाले गेम को जीतें।
मैच प्लेः इस प्रकार में, प्रत्येक छेद को गिना जाता है जैसे कि यह एक चरण था। उदाहरण के लिए, यदि पहले छेद में, आपको छेद में जाने के लिए 2 शॉट्स की आवश्यकता होती है और आपके प्रतिद्वंद्वी ने 4 शॉट्स का इस्तेमाल किया है, तो आप एक बिंदु प्राप्त कर चुके हैं, जब तक छेद खत्म नहीं हो जाते, तब तक ऐसा ही होता है।
गोल्फ कोर्स की जानकारी
टी बॉक्स को मिलाकर हर एक गोल्फ कोर्स में 5 बुनियादी पार्ट होते हैं। कोर्स के बंकि पार्ट नीचे बताये गए हैं।
फेयरवे: टी बॉक्स और ग्रीन के बीच में मौजूद कटा या ट्रिम किया गया जगह को फेयरवे कहते हैं।
रफ़: फेयरवे के बॉर्डर पर मौजूद कम घास वाले जगह को रफ़ कहते हैं।
पुटिंग ग्रीन: पुटिंग ग्रीन या ग्रीन के नजदीक फेयरवे का हर छेद मौजूद होता है।
हजार्ड: इसे ट्रैप कहते हैं, इसे जानबूझकर गोल्फ कोर्स में रखा या बनाया जाता है ताकि गेंद को छेद तक पहुचने में कठिनाई आये, सैंड ट्रैप या पानी का जमाव सामान्य हजार्ड होता है।
गोल्फ क्लब की जानकारी
क्लब को जानें: हर एक गोल्फ क्लब के पास विभिन्न प्रॉपर्टी मौजूद होते हैं। गोल्फ में माहिर लोगों के द्वारा इस जानकारी का काफी लाभ उठाया जाता है, मगर बुनियादी भेद लगभग एक जैसे ही होते हैं।
"वुड" में चौड़ा हेड होता है जो की काफी हलके सामग्री से बनाया जाता है। गेंद को लम्बे दूरी तक पहुँचाने के लिए “ड्राइव” का प्रयोग किया जाता है। इसे “ड्राईवर” भी कहते हैं।
"आयरन" वुड के मुताबिक काफी संकरा होता है और ज्यादातर भारी मेटल से बना होता है। मध्य या छोटे शॉट के लिए ज्यादातर लोहे का प्रयोग होता है।
"पुटर" एक विशेष क्लब होता है जिसे पुटिंग घांस पर प्रयोग किया जाता है जहाँ सटीक दिशा और गति पर नियंत्रण रख बर्डी और बोगी में भेद किया जा सकता है। पुटर छोटा और हलके मेटल से बना होता है।