ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis) एक प्रकार की बीमारी है जो शरीर की हड्डियों में होती है जिसमें हड्डिया अंदर से खोखली होकर कमजोर होने लगती हैं। इस बीमारी में हड्डियां (खासकर कूल्हे, रीढ़ और कलाई की) इतनी कमजोर व नाजुक हो जाती हैं कि हलके झटके से ही फ्रैक्चर होने का खतरा होता है। यह रोग उपचार योग्य होता है, इसके लिए आपको डॉक्टर से सलाह लेकर ही उपचार कराना चाहिए। लेकिन हम आपको ऑस्टियोपोरोसिस के लिए आयुर्वेदिक इलाज का सुझाव देना चाहते हैं। इन आयुर्वेदिक उपचारों में कुछ खाद्य पदार्थ हैं जिनका सेवन आप डॉक्टर द्वारा दी गयी दवाओं के साथ भी कर सकते हैं। यह समस्या खान-पान, व्यायाम और दवाओं के संयोजन से ठीक की जा सकती है। आइये इन्हें विस्तार से जानें।
ऑस्टियोपोरोसिस के 4 आयुर्वेदिक इलाज
ऑस्टियोपोरोसिस कोई आम बीमारी नहीं है। इसका निदान शुरूआती दिनों में ही करना जरूरी है। इलाज के साथ आपको सावधानी बरतने की जरूरत होती है।
1. आंवला (Gooseberry)
आंवला में एंटी-ऑस्टियोपोरोटिक और एंटी-ऑस्टियोअर्थराइटिस गुण होते हैं जिनके प्रभाव के कारण ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या से बचाव होता है। इसके अलावा, इसमें कैल्शियम भी मौजूद होता है जो हड्डियों को मजबूत बनाता है और विकास में मदद करता है।
2. डंडेलिओन (Dandelion)
डंडेलिओन का इस्तेमाल कई उपचारों में भी किया जाता है। डंडेलिओन को सिंहपर्णी भी कहा जाता है, इसकी जड़ से बनी चाय के सेवन से हड्डियों से जुड़े रोग जैसे ऑस्टियोपोरोसिस से लड़ने में मदद मिलती है।
3. त्रिफला (Triphala)
हड्डियों से सम्बंधित रोगों के बचाव के लिए त्रिफला उपचार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। त्रिफला (जो हरड़, बहेड़ा और आंवला से बना होता है) आयुर्वेदिक इलाज के रूप इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें एंटी-अर्थराइटिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं। यह गुण हड्डियों के कोलेजन को बढ़ावा देने के साथ-साथ ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव में सहायक होते हैं और हड्डियों के विकास में मदद कर सकते हैं।
4. दूध (Milk)
दूध कैल्शियम का अच्छा स्रोत होता है। यह हड्डियों को मजबूती देने के साथ हड्डियों के निर्माण और विकास में सहायक होता है। ऐसे में कहा जा सकता है कि, दूध का सेवन ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारी में मदद कर सकता है।
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। स्पोर्ट्सकीड़ा हिंदी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।