अगर आप जिम जाते हैं तो आपने कभी न कभी, किसी न किसी को ये कहते ज़रूर सुना होगा कि सिट-अप्स करने से और क्रंचिज़ करने से पेट का फैट कम होता है। क्रंचिज़ करने से आप अपने रेक्टस एब्डोमिनिस मसल (यही मसल्स ऐब्स बनते हैं) पर काम करते हैं। तो एक बात साफ़ है कि जब आप क्रंचिज़ करते हैं तब आप अपने ऐब्स पर काम करते हैं नाकि फैट पर। अगर क्रंचिज़ करने के बाद आपके पेट के हिस्से में दर्द होते है तो इसका मतलब है कि आपके रेक्टस एब्डोमिनिस मसल्स फाइबर फट रहे हैं जिसे शरीर अपने आप ठीक कर लेता है। जब मसल्स फाइबर ठीक हो जाते हैं तो मसल्स का आकार बढ़ जाता है। तो इस भ्रम में रहना गलत है कि क्रंचिज़ करने से आपका बैली फैट कम होता है। क्रंचिज़ करने से आप अपने पेट के किसी हिस्से की चर्बी कम नहीं कर सकते। आप बस अपने अपर ऐब्स और लोअर ऐब्स मज़बूत कर सकते हैं। जब आप कार्बोहइड्रेट्स लेते हैं तो आपका शरीर उसे ग्लाइकोजन के रूप में लीवर और मसल्स में इकट्ठा कर लेता है। जब आप वेट ट्रेनिंग करते हैं तो आपके शरीर में ग्लाइकोजन की मात्रा कम होने लगती है और जब ग्लाइकोजन पूरी तरह समाप्त हो जाता है उसके बाद शरीर ऊर्जा के लिए इकट्ठे हो रखे फैट का इस्तेमाल करता है। लेकिन ज़रूरी नहीं कि ये फैट आपके पेट का हो। ये फैट आपके शरीर के किसी भी हिस्से का हो सकता है। एक बात बिलकुल स्पष्ट है कि आपके ऐब्स तब तक नहीं दिखेंगे जब तक आपके शरीर की चर्बी खत्म नहीं होगी। जब तक आप अपने शरीर का फालतू फैट खत्म या कम नहीं कर लेते तब तक लगातार ऐब्स की एक्सरसाइज़ करने का कोई फायदा नहीं क्योंकि इससे ना ही ऐब्स बनेंगे, बने भी तो दिखेंगे नहीं, और ना ही बैली फैट (पेट की चर्बी) खत्म होगा। फैट कम करने के लिए एक सही डाइट की सख्त ज़रुरत है, एक अच्छे वर्कआउट रूटीन की ज़रुरत है और सबसे ज़्यादा ज़रुरत है इच्छाशक्ति की। फैट कम करने का रास्ता कठिन ज़रूर है लेकिन इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प हो तो ये बहुत आसान लगेगा। लेखक: गौरव सिंह, अनुवादक: उदित अरोड़ा