अपराजिता (Benefits of Aparajita flower) बहुत से शारीरिक दुर्बलताओं को खत्म करने के लिए जानी जाती है। यह सफेद और नीले रंगों में पाई जाती है। नीली अपराजिता तो आसानी से मिल जाती है लेकिन सफेद रंग की अपराजिता का मिलना दुर्लभ माना जाता है। दोनों के गुण समान होते हैं और आयुर्वेद में अपराजिता (Aparajita for Ayurvedic Medicine) को बहुत ही उपयोगी जड़ी बूटी माना गया है। आयुर्वेद के मुताबिक, अपराजिता का पौधा शरीर की संचार तंत्रिका और मनोवैज्ञानिक सिस्टम पर अच्छा प्रभाव करती है।
अपराजिता के फायदे Benefits of Aprajita in Hindi
अधकपारी या माइग्रेन (Aparajita Plant Benefits to Get Relief from Migraine in Hindi)
अधकपारी या माइग्रेन की समस्या बहुत ही गंभीर होती है ऐसे में इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। आयुर्वेद के जरिए इसको ठीक किया जा सकता है और अपराजिता इसे खत्म करने में काफी सहायता होती है। अपराजिता की फली, बीज और जड़ को बराबर भाग में लेकर पानी के साथ पीस लें और इसकी बूंद नाक में डाले। इससे काफी फायदा मिलेगा।
आंखों की समस्या (Aparajita for Eye Disease in Hindi)
अपराजिता का प्रयोग आंखों से जुड़ी सभी बीमारियों के उपचार में किया जाता है। इसके लिए सफेद अपराजिता तथा पुनर्नवा की जड़ के पेस्ट में बराबर मात्रा में जौ का चूर्ण मिलाकर अच्छी तरह से घोंट ले और इसकी बाती बनाकर सुखा लें। इस बाती को पानी से घिसकर अंजन (आंखों में लगाने) आंखों से जुड़ी समस्याओं में लाभ मिलेगा।
कान दर्द (Aprajita in Ear Pain Treatment)
अपराजिता के पत्तों के रस को सुखाकर गर्म कर लें और इसे कानों के चारों तरफ लेप लगाएं। ऐसा करने से कान के दर्द में काफी आराम मिलता है।
दांत दर्द (Aprajita in Tooth pain)
जिन्हें दांतों में दर्द की समस्या रहती है वो अपराजिता की जड़ का पेस्ट तैयार कर लें और इसमें काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर मुंह में कुछ देर रखें। कुछ ही समय में दांतों के दर्द से आराम मिलने लगेगा।
पेट की बीमारी (Aprajita in Abdominal Disease in Hindi)
भारत को औषधियों का खजाना कहा गया है, यहां पर कई सारे ऐसे जड़ी-बूटी साधारण तौर पर मिल जाएंगे जिनके जरिए कई रोगों को ठीक किया जा सकता है। अपराजिता के लाभ के बारे में आप ऊपर तो जान ही गए लेकिन इसका कई और बीमारियों के इलाज में भी उपयोग किया जाता है। पेट से जुड़ी समस्याओं में भी अपराजिता लाभ दिलाता है। इसके लिए आधा ग्राम अपराजिता के भुने हुए बीज का चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को आंच पर भून लें या 1-2 बीजों को आग पर भून लें। इसे बकरी के दूध या घी के साथ दिन में दो बार सेवन करें। इससे जलोदर (पेट में पानी भरने की समस्या), अफारा (पेट की गैस), कामला (पीलिया), तथा पेट दर्द में शीघ्र लाभ होता है।
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। स्पोर्ट्सकीड़ा हिंदी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।