चिंता को चिता के सामान माना गया है, चिंता आपको भीतर से खोखला करती रहती है जैसे घुन लकड़ी को कर देता है. अगर आपको भी लगता है की चिंता के शिकार हो रहे है तो सबसे पहले ये जान लीजिये के इसके शारीरिक लक्षण कैसे होते हैं. डॉक्टर्स बताते हैं की जब आप तनाव में होते हैं या चिंतित होते हैं, तो आप में ये शारीरिक लक्षण प्रकट हो सकते हैं - सिरदर्द, मन का मचलना, सांस की तकलीफ, कंपकंपी या पेट दर्द आदि.
चिंता(anxiety) के प्रमुख कारण निम्नलिखित है कृपया इन्हें ज़रूर ध्यान से पढ़ें:
१. भय/ फोबिया:
जब इंसान पर चिंताओं का बोझ हद से ज़्यादा बढ़ जाता है तो इंसान के अंदर भय या किसी तरह का फोबिया पैदा हो जाता जिसके बाद उसकी जिंदगी में भय किसी साये जैसा भटकने लगता है.
२. सामान्यीकृत चिंता(Generalized Anxiety):
सामान्य चिंता तो आदमी के साथ पुरे ही जीवन लगी रहती है और ये भी इंसान को कमज़ोर बनाये रखती है. पर ये इस बात पर निर्भर करता है की इंसान चिंता की स्टेज पर है.
३. घबराहट की समस्या (Panic Disorder):
चिंता का सबसे बड़ा इफ़ेक्ट जो देखने को मिलता है वो है व्यक्ति को बेवजह होने वाली घबराहट जिसके चलते वो व्यक्ति खुद में बेचैनी का आभास करता है. साथ ही ये अचानक से होने वाली घबराहट से व्यक्ति का स्वस्थ एकदम से बिगड़ सकता है.
४. सामाजिक चिंता विकार:
समाज के बारे में हमेशा सोच के चलने वाले आदमी के साथ ये वाली स्तिथि ज़रूर आती है. जहाँ वो हर वक़्त बस सामाजिक चिंता में लगा रहता है. यहाँ तक की आजकल के सोशल मीडिया के युग में तो आदमी की चिंता का ग्राफ दिन रात बढ़ता ही जा रहा है.
५. जुनूनी बाध्यकारी विकार(Obsessive Compulsive Disorder):
ज़रुरत से ज़्यादा विचार एक ही काम को बार बार करने पर मजबूर कर देते हैं.
ओसीडी (जुनूनी बाध्यकारी विकार) में बिना वजह के विचार और भय होते हैं जो बाध्यकारी व्यवहार में बदल जाते हैं.
ओसीडी अक्स्र कीटाणुओं के डर या चीज़ों को रखने के एक ख़ास तरीके जैसे विषयों पर केंद्रित होता है. लक्षण आमतौर पर धीरे-धीरे शुरू होते हैं और जीवन भर बदलते रहते हैं.
६. अभिघातजन्य तनाव विकार(Post Traumatic Stress Disorder):
किसी भयानक घटना का अनुभव या उससे गुजरने वाली स्तिथि का सामना करना.
ऐसी स्थिति महीने या वर्षों तक चल सकती है, ट्रिगर से आघात की यादें तीव्र भावनात्मक और शारीरिक प्रतिक्रियाओं के साथ वापस आ सकती हैं.
लक्षणों में बुरे सपने या पुरानी यादों की अनुभूति, आघात में वापस ले जाने वाली स्थितियों से दूर रहने की कोशिश, उत्तेजित होने पर ज़रुरत से ज़्यादा प्रतिक्रिया, चिंता या फ़िर खराब मूड शामिल हो सकते हैं.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। स्पोर्ट्सकीड़ा हिंदी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।