शायद, आप ये जानकार हैरान हो सकतें हैं मगर जी हाँ! हो सकती है शिशुओं को मानसिक पीढ़ा . नवजात बच्चों में भी अवसाद के लक्षण पाएं जाते है. अब तक, तो हम सिर्फ मानसिक समस्या के लक्षण किशोरों और बड़े-बूढों में ही सुनते आयें हैं. पर ये बात सत्य है की मानसिक समस्या से नवजात भी नही बच पाएं हैं. और इसीलिए इस विषय पर पूरी जानकारी के साथ आपको जागरूक करने की मेरी पूरी कोशिश रहेगी.
शिशुओं में मानसिक समस्या को कैसे परिभाषित किया गया है ?
ये एक बड़ी ही नाज़ुक परिस्तिथि है. किसी भी माँ-बाप के लिए. वैसे आपको बतादूं के शिशुओं में होने वाली इस मानसिक समस्या को अर्ली चाइल्डहुड मेंटल हेल्थ (Early childhood mental health) के नाम से भी जाना जाता है. आप समझ रहे है की ये आपके शिशुं को भी प्रभवित कर सकता है पर आप इसकी चिंता ना करे बल्कि इस स्तिथि में, आपको सबसे ज़्यादा ध्यान रखने की ज़रूरत है. क्यूंकि आप सकारात्मकता ही आपको इन परिस्तिथि से निजात दिला सकती है नही तो ये आपको भी मानसिक पीढ़ा पंहुचा सकती है.
शिशुओं में इसके कैसे लक्षण देखने को मिलते हैं?
• नवजात शिशु का ठीक तरह से स्तनपान (Breastfeeding) ना करना.
• शिशु का अत्यधिक रोना (Crying).
• शिशु का हर वक्त थका महसूस करना (Restless).
• नवजात शिशु की नीद पूरी न होना (Sleeplessness).
• खाने को हज़म करने की समस्या (Indigestion).
• शिशु का अत्यधिक डरना (Fear).
• शिशु का वजन ना बढ़ना।
शिशु की इस मानसिक समस्या का निदान कैसे हो सकता है?
शिशु की शारीरिक बदलाव और हरकतों से ही उसके मानसिक स्वास्थ्य की स्तिथि का पता लगाया जा सकता है. ऐसा बताया जाता है की कभी-कभी पहले बच्चे या घर मे मौजूद बच्चे के अनचाहे व्यहवार के कारण भी शिशु का मानसिक स्वास्थ्य ख़राब होता है. ऐसी कैसी भी स्तिथि में हमे डॉक्टर से ही कंसल्ट कर के फैसला लेना चाहये.
दी गयी कुछ पैरेंटल टिप्स पर ध्यान दें, ये आपके शिशु के काम आ सकतीं हैं:
• इस दौरान आपको बस अपने बच्चे की देखभाल पर ध्यान देना है। इस दौरान कोई नई जिम्मेीदारी न लें।
• जब भी आपका बच्चा नींद लें आप अपने बच्चे के नज़दीक ही रहे, यह उसे आपके नज़दीक होने और सुरक्षित होने का एहसास कराएगा।
• शिशु की डाइट पर ध्यान देना बहुत जरूरी है।
• नवजात शिशु के लिए माँ का दूध ही सर्वोत्तम माना जाता है।
• बच्चों के रोने पर यह जरूरी नहीं है कि उसे किसी प्रकार की तकलीफ है, बस उसे आपकी मौजूदगी चाहिए ऐसा भी होता है.
• बच्चे की मालिश सावधानीपूर्ण की जानी चाहिए.
• नवजात शिशु को नहलाते वक्त सावधानी बरतें.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। स्पोर्ट्सकीड़ा हिंदी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।