Ayurvedic treatment for Deafness: बहरेपन की समस्या में सुनने की क्षमता कम या फिर पूरी तरह से समाप्त हो जाती है। कान के बीच में या फिर भीतरी भाग में सूजन या फोड़ा के चलते कानों में जीव-जंतुओं के चले जाने से बहरापन आ सकता है। या फिर कई बीमारियों के दुष्परिणाम स्वरूप भी बहरापन होने की संभावना अधिक हो जाती है। बहरापन तीन तरह का होता है। ऊंचा सुनाई देना, कठिनता से सुनना और बिल्कुल न सुनना। आज हम बात करेंगे बहरापन का आयुर्वेदिक उपचार के बारे में...
बहरेपन का 4 आयुर्वेदिक इलाज
कर्ण प्रतिसरण (Karna Pratisaran)
आयुर्वेद कर्ण प्रतिसरण के जरिए बहरेपन का इलाज करता है। इस थेरेपी में मरीज के कानों में 2-3 बूंद गर्म तेल डाल कर धीरे-धीरे कानों की मालिश की जाती है। अगर आप अपने से करना चाहते हैं तो फिर अपने कानों के लोब को दबाएं और फिर कान के बाहरी भाग की थोड़ी देर तक मालिश करने से काफी लाभ मिलता है।
कर्ण पुराण (Karna Purana)
आयुर्वेद कर्ण पुराण के जरिए बहरापन और कान से जुड़ी समस्याओं का इलाज करता है। ये एक ऑयल थेरेपी है जिसमें कानों के इलाज के लिए थोड़ी ऊंचाई से खानों के भीतर तक तेल डाला जाता है। कुछ समय तक ये करने से ये समस्या धीरे-धीरे दूर हो सकती है।
शांति में बैठना
बहरापन और कानों से जुड़ी समस्याओं के लिए आयुर्वेद शांति में बैठने की सलाह देता है। मौन बैठने से न केवल कान बल्कि मानसिक स्वास्थ्य में भी सुधार होता है।
कर्ण धूपनम (Karna Dhoopanam)
आयुर्वेद कर्ण धूपनम के जरिए न सिर्फ कान से जुड़ी समस्याओं बल्कि कई सारी अन्य परेशानियों को भी दूर करता है। कर्ण धूपनम कान की अन्य बीमारियां जैसे- कान में खुजली, कान में दर्द, फंगल संक्रमण आदि समस्याओं को दूर करता है।
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। स्पोर्ट्सकीड़ा हिंदी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।