Ayurvedic Treatment for Malnutrition in hindi: बच्चे के सही विकास के लिए उसे कैल्शियम, पोटेशियम, फाइबर, प्रोटीन आदि पोषक तत्वों की बेहद ही जरूरी होती है। अगर बच्चे को ये पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं तो वो बच्चा कुपोषण का शिकार हो जाता है। कुपोषण होने पर बच्चे का शारीरिक विकास सही ढंग से नहीं हो पाता है। उसके सोचने और समझने की क्षमता कमजोर होती है। आगे चलकर कई शारीरिक और मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर होती है जिसके चलते ये आसानी से संक्रमण और किसी बीमारी के चपेट में आ जाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की माने तो 462 मिलियन लोग कुपोषण का शिकार हैं और 159 मिलियन बच्चे इससे प्रभावित हैं। 118 देशों में 140 मिलियन स्कूल के बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। वहीं, 7 मिलियन गर्भवती महिलाएं कुपोषण का शिकार बन रही हैं।
कुपोषण के लक्षण (Symptoms of malnutrition)
शारीरिक रूप से कमजोर होना
कुपोषित बच्चे में अधिक चिड़चिड़ापन रहता है
पेट से जुड़े संक्रमण हो सकते हैं
दिल का ठीक से काम न करना
त्वचा में खुजली या जलन
सांस लेने में समस्या
कमजोरी होना
थकान
वजन घटना
धंसी हुई आंखें
रूखी त्वचा और बाल
ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई
प्रोटीन-ऊर्जा कुपोषण के लिए प्राकृतिक उपचार (Natural Treatment for Protein-Energy Malnutrition)
अश्वगंधा कैप्सूल (Ashwagandha Capsules)
कुपोषण में अश्वगंधा कैप्सूल काफी फायदेमंद माना गया है। इस जड़ी बूटी के सेवन से शरीर में ताकत बढ़ती है। अश्वगंधा कैप्सूल अश्वगंधा के शुद्ध और मानकीकृत अर्क के साथ तैयार किए जाते हैं। ये कैप्सूल प्रोटीन-ऊर्जा कुपोषण जैसी बीमारी के बाद शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बनाए रखने में सहायक होते हैं। यह डिप्रेशन और स्ट्रेस को मैनेज करने में भी मददगार है। इसके लिए दिन में दो बार सादे पानी के साथ 1 या 2 कैप्सूल ले सकते हैं।
शतावरी कैप्सूल (Shatavari Capsule)
शतावरी कैप्सूल शतावरी (शतावरी रेसमोसस) के शुद्ध अर्क के साथ तैयार किया जाता है जो प्राचीन काल से कायाकल्प के रूप में कार्य करता है। ये एक पौष्टिक जड़ी बूटी है जो सूक्ष्म पोषक तत्वों और प्राकृतिक एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर होती है। इसके सेवन से पूरे शरीर के स्वास्थ्य में सुधार होता है और साथ ही पीईएम से संबंधित थकान, चिंता, बेचैनी और सामान्य कमजोरी को दूर करने में मदद मिलती है।
अतिरसादि चूर्ण (Atirasadi Churna)
अतिरसादि चूर्ण का इस्तेमाल आयुर्वेद में प्राचीन काल से ही होता आ रहा है। ये ऐसी जड़ी बूटी है जो शरीर में ताकत और सहनशक्ति बढ़ाने में मदद करती है। इसमें मौजूद सफेद मूसली, काली मूसली, सेमल मूसली, गोक्षुरा, विदारी कंद, वारही कांड, अकरकरा, केसर, अश्वगंधा, शतावरी, केसर, जयपाल और तालमखाना प्रोटीन-ऊर्जा कुपोषण की समस्या को दूर करने में मदद करते हैं। खासकर इसमें होने वाले थकान और सामान्य कमजोरी दूर होती है।
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। स्पोर्ट्सकीड़ा हिंदी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।