तालमखाना एक औषधीय पौधा है जो ज्यादातर नदी के किनारों पर पाया जाता है। इसके बीजों का प्रयोग आयुर्वेद में औषधीय के रूप में किया जाता है। इसका इस्तेमाल सूजन, गठिया, मूत्र रोग जैसी परेशानियों में किया जाता है। इसके बीच स्वाद में कड़वे होते हैं, लेकिन इसके पत्ते स्वाद में मीठे होते हैं। ताल मखाने की जड़ भी कई रोगों को ठीक करने में मदद करती है।
अलग-अलग होते हैं मखाना और तालमखाना
आगे बढ़ने से पहले यह जान लेना बेहद जरूर है कि मखाने और ताल मखाने एक ही चीज नहीं, दोनों अलग-अलग हैं। मखाने को पहचानना आसान है क्योंकि, इसका फल पॉपकॉर्न की तरह दिखता है। लेकिन तालमखाने के बीच तिल की तरह दिखते हैं इसके साथ ही ताल मखाने को कोकिलाक्ष भी कहते हैं। आईए जानते हैं इसके फायदे
ताल मखाने के फायदे
दस्त में खाए
दस्त की समस्या होने पर तालमखाने का सेवन करें यह बेहद ही फायदेमंद होता है। तालमखाने के बीज का चूर्ण दही के साथ मिलाकर खाएं, आपको जल्द ही दस्त से राहत मिल जाएगा।
पेशाब संबंधी रोग
पेशाब संबंधी रोग में काफी फायदेमंद है तालमखाना, पेशाब का रुक-रुक आना, पेशाब करते समय जलन होना या पेशाब करते समय दर्द होना, आदि इससे जुड़ी परेशानियों में यह काफी फायदेमंद होता है। इन परेशानियों में तालमखाना, गोखरू और अरंड की जड़ को पीसकर दूध में मिलाकर पीने से पेशाब संबंधी विकारों में मदद मिलती है।
डायबिटीज में लाभकारी
डायबिटीज होने पर भी ताल मखाने के बीच का काढ़ा बनाकर और उसमें मीठे के लिए मिश्री मिलाकर पीने से फायदा मिलता है।
यौन रोगों में है लाभकारी
यौन रोग में तालमखाने के बीज का चूर्ण बनाकर पीने से काफी फायदा मिलता है, लेकिन इसके लिए किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह ले लें।
गठिया को दूर भगाने में मदद करता है
आज के समय में कुछ बीमारियां तेजी से उभर कर सामने आ रही हैं, गठिया भी आजकल आम होते जा रही है। इसे ठीक करने के लिए काफी पैसे खर्च करने पर भी आराम नहीं मिलता लेकिन इसका इलाज ताल मखाना के जरिए संभव है। ताल मखाने और गुड्ची को समान मात्रा में मिलाकर इसका काढ़ा बनाएं इससे गठिया का दर्द दूर हो जाएगा।
सूजन कम
शरीर में कहीं भी सूजन होने पर तालमखाने का पानी के साथ सेवन करने से काफी आराम मिलता है। इसके साथ ही सीमित मात्रा में लेने से इससे कोई नुकसान नहीं होता है।