गंधक एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसे आयुर्वेद में कई रोगों में उपयोग किया जाता है, यह औषधि मुख्य रूप से त्वचा रोग और रक्त को शुद्ध करने का कार्य करती है। इसके अलावा यह शरीर में बल की वृद्धि कर बलवानस और निरोग बनाती है साथ ही उम्र भी बढ़ती है। पित्त प्रधान रोगों में यह औषधि बगुत ही कारगार है।
शरीर में जलन, पेशाब करते समय होने वाली जलन को दूर करती है, साथ ही इसके सेवन से शरीर से सारा विष बाहर आ जाता है। यह बढे हुए वात, पित्त और कफ को घटाती हैं और घटे हुए वात, पित्त और कफ को बढाती हैं।
गंधक के फायदे (Gandhak ke fayde)
त्वचा रोगों में कारगरत्वचा से संबंधि रोगों में इस औषधि का सेवन किया जाता है। यह पुराने और नए दोनों प्रकार के त्वचा रोगों को जड़ से खत्म करने का कार्य करती है। एक्सिमा, सोरायसिस, कुष्ठ, त्वचा पर लाल और सफ़ेद चकते पड़ने पर, फोड़े, फुन्सिया होने पर, खुजली आदि में यह औषधि बहुत अच्छा प्रभाव दिखाती हैं। इसके अलावा भी कई बीमारियों को दूर करती है।
खून का शुद्धिकरण
गंधक का प्रयोग खून को साफ करने के लिए किया जाता है, इसके लिए यह काफी लाभदायक मानी गई है। रक्त को अशुद्ध होने से अस्थि, मांस, मज्जा, धातुएं भी अशुद्ध होने लगती हैं जिसके चलते कई बीमारियां घेर लेती है। ऐसे में रक्त को साफ करने के साथ रक्त की कमी को भी खत्म कर नया रक्त पैदा करने में काफी मदद करती है। इसके सेवन से अशुद्ध रक्त के कारण धातुएं धीरे-धीरे कमजोर होने लगती हैं साथ ही रक्त जनित विकारों का शमन भी होता है।
पाचन
यह औषधि पित्त दोष को संतुलित करती हैं तो पाचन से जुडी हुई हर एक समस्या का समाधान करने की भी क्षमता रखती हैं। मंद पाचक अग्नि को तीव्र करना, अतिसार, ग्रहणी, शील सहित ग्रहणी जैसी पाचन से जुड़ी हर एक समस्या को खत्म करने में लाभकारी है।
पेशाब में जलन, पेट में जलन खत्म हो जाएगी
गंधक कितना लाभकारी है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यह पेशाब में जलन, हाथ पैरों में जलन या दाह, पेट में जलन या गर्मी, शरीर में, मस्तिष्क में, कंठ और जीभ पर दाह, शौच करते समय जलन को इसके सेवन से खत्म किया जा सकता है।