कई बार व्यक्ति की आंख अजीब तरह से करने लगती है। इसे आंखों का फड़कना कहते हैं। वैसे देखा जाए तो यह एक आम बात है। इसमें आंख के आसपास की मांसपेशियां अपने आप संकुचित होती हैं, जिससे यह समस्या होती है। हालांकि, (eye) के फकड़ने से कोई नुकसान नहीं होता है। लेकिन कई बार किसी-किसी व्यक्ति को यह कई दिनों या महीनों तक होता रहता है, जिसे नजरअंदाज करना ठीक नहीं है। आमतौर पर यह एक आंख की निचली पलक में ऐसा होता है, लेकिन ऊपरी पलक में भी ऐसा हो सकता है। जानें, आंखें किन कारणों से फड़कती (Causes of Eye Twitching) हैं।
आंखों का फड़फड़ाना किन बीमारी का संकेत देता है -
तनाव - जब कोई व्यक्ति तनाव (tension) में होता हैं, तो ऐसे में शरीर भी अलग-अलग तरह से प्रतिक्रिया देता है। आंखों का फड़कना तनाव (aankh phadakna ke karan) का ही एक संकेत हो सकता है खासकर तब, जब आपको आंखों में तनाव जैसी कोई दृष्टि संबंधी समस्या होती है।
एलर्जी - जिन लोगों को आंखों की एलर्जी होती हैं, उन्हें आंखों में खुजली, पानी आना और फड़कना जैसी समस्या हो सकती है। इससे निपटने के लिए डॉक्टर किसी ड्रॉप या दवा की सलाह दे सकता है।
आंखों में तनाव - दृष्टि संबंधी परेशानी होने पर व्यक्ति को चश्मा लगाने या चश्मा बदलने की जरूरत पड़ती है। इससे आंखों में तनाव होता है। वैसे तो मामूली आंखों की समस्या से भी आंखें फड़क सकती हैं। हीं कंप्यूटर का अधिक इस्तेमाल, ऐन्टीडिप्रेसेंट दवाएं लेने, कॉन्टैक्ट लेंस पहनने वालों को ड्राई आई (dry eye) का अधिक खतरा होता है। आंख की सतह के लिए नमी को बनाए रखने से ऐंठन को रोकने और फड़कने के जोखिम को कम करने में मदद मिलती है।
पोषक तत्वों की कमी - अगर किसी के खाने में मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्वों की कमी है तो इसके कारण भी पलक की ऐंठन को गति मिल सकती है, इसलिए अपने भोजन में मैग्नीशियम युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करें।
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। स्पोर्ट्सकीड़ा हिंदी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।