आपने अक्सर सुना होगा कि किसी को हार्ट फेलियर, कार्डियक अरेस्ट और दिल का दौरा हुआ है।ये सभी शब्द सुनने में एक से ही लगते हैं, लेकिन इन तीनों शब्दों का मतलब बिल्कुल अलग-अलग है। बता दें, इन तीनों में फर्क समझना बहुत जरूरी है, ताकि इनका जल्द से जल्द इलाज किया जा सके और व्यक्ति की जीन बचाई जा सके। जानते हैं इन तीनों में क्या फर्क है।
जानें हार्ट अटैक, कार्डियक अरेस्ट और हार्ट फेलियर में अंतर, जानें लक्षण और उपाय
दिल का दौरा - दिल का दौरा तब आता है जब दिल (ह्रदय) की मांसपेशियों में खून का प्रवाह ब्लॉक हो जाता है। ऑक्सीजन की सप्लाई न होने की वजह से दिल का वह भाग मरने लगता है।
हार्ट अटैक के लक्षण - अगर किसी के सीने में दर्द होने के साथ पसीना आता है, हाथ, कंधे और जबड़े में दर्द होना या फिर उनका असहज लगना। ये सभी दिल का दौरा (heart attack) पड़ने के लक्षण हैं, ऐसे में व्यक्ति को बिना देर किए हॉस्पिटल लेकर जाना चाहिए।
कार्डियक अरेस्ट - जब दिल का धड़कना अचानक से बंद हो जाए तब व्यक्ति को कार्डियक अरेस्ट (cardiac arrest) पड़ता है। यह किसी भी उम्र के लोगों के साथ हो सकता है। यह एक मेडिकल इमर्जेंसी होती है, जिसमें तुरंत सीपीआर (CPR)करने की जरूरत पड़ती है।
कार्डियक अरेस्ट के लक्षण - कार्डियक अरेस्ट आने से पहले व्यक्ति को सीने में तेज दर्द और जलन होने लगती है। इसके साथ ही सांस लेने में दिक्कत और चक्कर आने जैसे लक्षण महसूस होते हैं। वही इस दौरान पल्स और ब्लड प्रेशर एकदम से रुक जाता है।
हार्ट फेलियर - हार्ट फेलियर में दिल कमजोर होने या उसे किसी तरह की कोई हानि पहुंचने पर और बॉडी में पर्याप्त खून और ऑक्सीजन पंप नहीं कर पाता है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं।
हार्ट फेलियर के लक्षण - हार्ट फेलियर (heart failure) में सांस फूलना, पैरों और एड़ियों में सूजन और पेट फूलने लगता है। हार्ट फेलियर लाइलाज है, लेकिन इसके बारे में वक्त रहते पता चल जाए, तो सही ट्रीटमेंट और लाइफ स्टाइल में बेहतर चेंजेस से व्यक्ति नॉर्मल लाइफ जी सकता है।
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