शक्ति प्रशिक्षण महिलाओं को भी मजबूत बनाएगा 'कई महिलाओं को भय होता है कि शक्ति प्रशिक्षण (स्ट्रेंथ ट्रेनिंग) उन्हें भारी बना देंगी। उनका सोचना रहता है कि शक्ति प्रशिक्षण केवल पुरुषों के लिए होता है।' महिलाओं के पास नैसर्गिक रूप से पुरुषों से कम हड्डी और मांसपेशियां होती है, इसलिए उन्हें जो भी मिलता है उसका ख्याल रखने की जरुरत होती है। इसलिए पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस होने का गंभीर खतरा होता है। और मांसपेशी कम होने से उम्र के मुताबिक महिलाओं में विकलांगता बढ़ने का भी कतरा होता है। और बॉडीबिल्डर जैसे दिखने की चिंता करने की जरुरत नहीं है। 'महिलाओं में बॉडीबिल्डर जैसा बनने के लिए भारी मांसपेशियों की जरुरत नहीं होती क्योंकि उनके पास पर्याप्त टेस्टोस्टेरोन नहीं होता। महिलाओं को कई अजीब तरह की चीजे करना होती है जो अधिकांश शक्ति प्रशिक्षण कार्यक्रम नहीं करते।
आपको तेज दौड़ने के लिए आक्रामक होना पड़ेगा
यह पुर्णतः विपरीत है! आपको तेज दौड़ने के लिए आराम से रहने की जरुरत है। जब आप आक्रामक सोचते हैं तो कड़ी मेहनत करना बंद कर देते हैं। जब आप प्रयास करते है तो अपनी मांसपेशियों को ख़राब कर लेते हैं और फिर मूवमेंट्स से लड़ाई करके इसे ख़त्म करते हैं। आपको उस बिंदु पर पहुंचना होगा जहां आप सोचे कि आपने बिलकुल भी दौड़ नहीं लगाई है क्योंकि तभी से आप असलियत में दौड़ लगाएंगे।
फायदे देखने के लिए आपको सप्ताह में कई बार शक्ति प्रशिक्षण की जरुरत
शक्ति प्रशिक्षण की छोटी सी मात्रा बड़े फायदे कर सकती है। शक्ति प्रशिक्षण सप्ताह में एक या दो बार कीजिये। अधिक करना बेहतर नहीं होगा। साप्ताहिक कुल शक्ति प्रशिक्षण समय प्रतिबद्धता 36-60 मिनट की होना चाहिए।
लचीलेपन से तेज दौड़ने में मदद नहीं मिलेगी
लचीलापन मुझे तेज दौड़ने के लिए नहीं बनाता जब तक कोई स्ट्रेचिंग में समय न लगाए। गति बढ़ाने में सबसे बड़ी परेशानी का क्षेत्र कूल्हे होते हैं। अगर आपके कूल्हे मोशन की संपूर्ण रेंज में नहीं पहुंचते तो आप शीर्ष गति हासिल करने से चूक जाएंगे। अगर कुल्हो का लचीलापन एथलीट के ख़राब लचीलेपन का शिकार है तो पैर से लंबाई नापने की दूरी अपने-आप में छोटी हो जाती है। शक्ति ट्रेनिंग का मौलिक घटक है लचीलापन जिसे एथलीट्स जल्दी भूल जाते हैं। ध्यान रहे कि जब मांसपेशियां ठंडी या हलकी गर्म हो तो अभ्यास के बाद शरीर को स्ट्रेच न भूला जाए।
युवा एथलीट्स इस प्रकार की ट्रेनिंग नहीं करते हैं
आज कल, युवा एथलीटों को इस तरह की ट्रेनिंग की जरुरत है। बच्चों को बहुत ही छोटी उम्र में यानी युवा उम्र में गंभीर चोट लग जाती है (इसका प्रमुख कारण युवा उम्र में एक विशेष खेल पर ध्यान देना है)। इसलिए अगर बच्चे अगर एक खेल के लिए ट्रेनिंग करे तो उसे उन लोगों के साथ काम करना चाहिए जो बता सके कि चोटिल होने से कैसे बचा जाए।
तेज दौड़ने के लिए आप प्रशिक्षित नहीं हो सकते हैं
यह बड़ी परेशानी है कि कई लोग यह सोचते हैं कि आप या तो तेज दौड़ते है या फिर नहीं और इसमें कोई सुधार नहीं आ सकता है। एक व्यक्ति की गति में हमेशा सुधार आ सकता है। मैं किसी को भी गतिवान बना सकता हूं चाहे वह जैसा भी हो। अगर उस व्यक्ति के पास कोई प्रतिभा नहीं भी हुई तो भी मैं उसे ओलंपिक वाली गति दिला सकता हूं।
शक्ति प्रशिक्षण के समान है इंटरवल ट्रेनिंग
गति ट्रेनिंग में 2-8 सेकंड का पूरा वर्कआउट तेज वर्कआउट करना पड़ता है। यह संभवतः कोचेज के सोचने के विपरीत होता है, लेकिन तेजी लाने का यह एकमात्र तरीका है। 100एस और 200एस बार-बार दौड़ने से आपकी गति में सुधार नहीं आएगा। अगर आप प्रत्येक इंटरवल से सुधार नहीं करते, पर्याप्त फॉर्म में गिरावट, इंटेंसिटी में गिरावट और इसमें कोई निरंतरता और कोई सुधार नहीं हुआ।
जितना कड़ा वर्कआउट उतने ही बेहतर नतीजे
कुछ एथलीट्स और कोचेज की मानसिकता है कि अगर वर्कआउट उनकी पूर्ण शक्ति न खीचे या फिर उलटी न आ जाए तब तक वह असरदार वर्कआउट नहीं है। मैं आपको कह सकता हूं कि जिनकी ऐसी मानसिकता है उनका चोटिल होना लगभग तय है और उनका प्रदर्शन भी काफी निराशाजनक रहता है। वर्कआउट का लक्ष्य शरीर में ग्रहण करने की शक्ति लेने का होता है। यह पोस्ट पोपुलर स्पीड ट्रेनिंग मिथ में आया है और पहली बार द लाइवयोरस्पोर्ट ब्लॉग पर प्रकाशित हुआ था।