क्रोध और चिंता को कैसे करें नियंत्रित? जानिए!

How to control anger and anxiety? Read!
क्रोध और चिंता को कैसे करें नियंत्रित? जानिए!

क्रोध और चिंता इंसान के जीवन की सबसे बड़ी दो ऐसी परेशानियां है, जो उसको जीवन भर उलझा कर रखते हैं. ऐसे में दोनों से निपटना आसान नहीं होगा पर अगर हम कुछ आदतों में बदलाव ले आए और अपने दिनचर्या में कुछ सकारात्मक चीजों का प्रवेश कराएं. तो हो सकता है कि इन दोनों ही चीजों पर हम पूर्ण रूप से नहीं पर आंशिक रूप से काबू पा सकते हैं. बताये गए तरीकों को इस्तेमाल कर, आप जब कभी भी क्रोधित या चिंता महसूस करें यो तुरंत ही इन कुछ तरीकों को आज़मा कर अपने जिंदगी में थोड़ा धैर्य और शांति स्थापित कर सकते हैं.

अधिक जानने के लिए निम्नलिखित को ध्यान से पढ़ें:-

1. गहरी सांसे लेना:

अक्सर गुस्से में आप सांसो पर अपना कंट्रोल खो बैठते हैं अगर आप अपनी सांसों को कंट्रोल में ले ले तो इसके ज्यादा चांसेस है कि आपका गुस्सा काफी हद तक ठंडा हो सकता है. इसलिए गुस्सा आने पर अपने आप में काबू रखें और गहरी-गहरी सांसे लें. ऐसा करने पर आप शान और खुद में काफी कंट्रोल महसूस करेंगे.

2. अपने आप को शांत देखने की कल्पना करें:

जब भी आप गुस्सा महसूस कर रहे हों या आपको अचानक गुस्सा आया हो, तो आप खुद पर काबू बनाए रखें आंखें बंद करें और ऐसी कल्पना करें कि आप शांत हैं, अपने आप को शांत खुश और नॉर्मल फिर करें ऐसा करने पर आप की वर्तमान स्थिति में आपको एक बड़ा बदलाव नज़र आएगा और आप गुस्से पर काबू कर पाएंगे और बात को बढ़ाएंगे नहीं बल्कि उसे वहीं पर ही समाप्त करने की पूरी कोशिश करेंगे.

3. आगे बढ़ते रहना:

बात का बतंगड़ बनाना नकारात्मकता से भरे लोगों का काम है. हम ऐसे नहीं हैं, हमें बातों को सुलझाने में ज्यादा वक्त बिताना चाहिए ना कि उसे बिगाड़ने में इसीलिए जरूरी है कि हम आगे बढ़ते रहें हम बातों को पकड़कर उन्हीं बातों में ना उलझे रहें. उन्ही बातों में उलझना रिश्तो और अपने काम को बिगाड़ने जैसा है. कोई भी व्यक्ति गुस्से की वजह से अपने आप को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता. मगर ऐसा कई बार देखने को और सुनने को मिलता है कि बेवजह सिर्फ गुस्से के कारण आदमी ने अपना कार्य और अपने संबंध बिगाड़ लिए.

4. रुको और सुनो:

ज्यादातर ऐसा होता है कि गुस्सा आने पर हम अपने सामने वाले व्यक्ति की बात को नहीं सुन पाते हम उसकी बात पर अपना ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते. जिसकी वजह से आधी अधूरी बात पर हम लड़ पढ़ते हैं. रुक कर सुनने में जो समझदारी है उसी में सब का फायदा है और ख़ासकर की उनका जो बात को बढ़ाना नहीं चाहते बल्कि खत्म करना चाहते हैं.

5. सोच बदले:

आजकल का माहौल काफी अस्त-व्यस्त है. हर कोई हमें हमारा दुश्मन सा नज़र आता है. मगर ऐसा नहीं होता हर इंसान गलत नहीं होता. धरती पर अच्छाई और बुराई दोनों मौजूद है आप क्या देखना चाहते हैं इस बात पर चीजें निर्भर करती है इसीलिए सोच को बदलने की जरूरत है जरूरी नहीं कि अगर आपको कोई बात या कोई कार्य सही नहीं लगता यह आपके द्वारा किया गया कोई कार्य खराब हो जाता है तो आप इन दोनों ही स्थिति को सिरे से नकार या फिर किसी और को दोषी बनादें. चीजों को सही करा जा सकता है सोच बदली जा सकती है.

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। स्पोर्ट्सकीड़ा हिंदी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।