क्या स्मार्टफोन बन रहा आँखों की रौशनी के लिए घातक, जानिये इस तथ्य में कितना सच है 

क्या स्मार्टफोन बन रहा आँखों की रौशनी के लिए घातक, जानिये इस तथ्य में कितना सच है
क्या स्मार्टफोन बन रहा आँखों की रौशनी के लिए घातक, जानिये इस तथ्य में कितना सच है

मोबाइल की लत (Mobile addiction) कहें या इसकी जरूरत, लोग इसको इस्तेमाल जरूर करते हैं। मोबाइल के बिना आजकल किसी का भी काम पूरा नहीं होता। मोबाइल लोगों की जरूरत भी बन गया है और लत भी। लेकिन इसके साथ ही इसके बहुत से नुकसान देखने को भी मिल रहे हैं। मोबाइल को एक हद तक चलाया जाए, तो ठीक है। लेकिन अगर आप दिनभर मोबाइल में कुछ न कुछ कर रहें हैं, तो आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है। इसी तरह कुछ लोगों की आदत होती है, रात में मोबाइल चलाने की, जिसके कारण स्वास्थ्य पर तो असर पड़ता ही है, साथ ही आंखों पर भी इसका सबसे ज्यादा बुरे परिणाम देखने को मिल रहे हैं। आज इस लेख में हम यही बताने जा रहे हैं कि स्मार्टफोन की रोशनी आंखों के लिए घातक है या नहीं।

क्या स्मार्टफोन बन रहा आँखों की रौशनी के लिए घातक, जानिये इस तथ्य में कितना सच है। Is smartphone becoming fatal for eyesight, know how true this fact is In hindi

अगर आप भी रात में मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो ज़रा सावधान हो जाएं। क्योंकि मोबाइल फोन न सिर्फ आंखों की रोशनी को कमजोर बनाते हैं बल्कि इससे आंखों की रोशनी (eyesight) भी जा सकती है। दरअसल स्मार्टफोन से निकलने वाली नीली लाइट आंखों को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाती है। “स्मार्टफोन विजन सिंड्रोम” (Smartphone vision syndrome) एक तरह का सिंड्रोम है, जो लंबे समय तक स्मार्टफोन, कंप्यूटर, टेबलेट, जैसे अन्य स्क्रीन के सामने समय बिताने के कारण होती हैं। वहीं इस समस्या में आंखों से जुड़ी विभिन्न प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वहीं इसे कंप्यूटर विजन सिंड्रोम और डिजिटल विजन सिंड्रोम भी कहते हैं। तो ये कहना गलत नहीं होगा कि स्मार्टफोन के चलाने से आंखों पर असर पड़ता है।

रात में फोन के उपयोग से कैसे बचे - How to avoid using phone at night

रात में सोने के 30 मिनट पहले ही मोबाइल को अपने से दूर रख दें और किसी भी तरह की बुक को पढ़े। इससे आपका ध्यान मोबाइल से भटका रहेगा और आपको नींद आ जाएगी।

अगर आप अपने फोन में रात को सोशल मीडिया चलाने के आदी हैं, तो उसकी एप्लीकेशन सबसे पहले हटा दें। इससे आप बार-बार लॉग इन करने के चक्कर में उस ऐप को नहीं चलाएंगे।

सप्ताह में एक बार पूरे दिन सोशल मीडिया का उपयोग न करें।

रात में सोशल मीडिया को उपयोग करना बिल्कुल छोड़ दें।

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। स्पोर्ट्सकीड़ा हिंदी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।

Edited by Shilki
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