अगर किसी के कान से आवाज आती है तो वह एक तरह की बीमारी होती है, जिसे टिनिटस कहा जाता है। इस बीमारी में कानों के भीतर सीटी या भिनभिनाने जैसी आवाज सुनाई देती है। जबकि ऐसी आवाज कहीं बाहर से नहीं आ रही होती है। टिनिटस की बीमारी में व्यक्ति की सुनने की क्षमता कम हो जाती है, कान में मोम जमा हो जाता है। टिनिटस का असर व्यक्ति के दिमाग और दैनिक क्रियाओं पर पड़ता है। इस आवाज की वजह से किसी भी काम में मन नहीं लगता है। अक्सर टिनिटस के कारणों को जान पाना मुश्किल होता है। कुछ घरेलू उपाय हैं जिन्हें अपनाकर आप कान के भीतर होने वाले इस शोर से निजात पा सकते हैं।
टिनिटस के लक्षण -
टिनिटस होने पर कानों में सिसकारी, दहाड़ जैसी आवाजें, कानों का बजना और आवाज का कानों में गूंजते रहना प्रमुख लक्षणों में शामिल है। यह आवाजें समस्या की गंभीरता के अनुसार कभी कम या फिर ज्यादा हो सकती हैं। यह समस्या कुछ दिनों तक या लंबे समय तक रह सकती है।
कान में सनसनाहट का घरेलू इलाज -
जिंकगो - टिनिटस के इलाज में जिंकगो एक बेहतर औषधि है। यह औषधि कान में होने वाली आवाज को कम करने में मदद करता है। इसमें एंटी बैक्टेरियल और एंटी फंगल गुण होते हैं, जो कान में किसी संक्रमण की वजह से होने वाले टिनिटस की समस्या से निजात दिलाता है।
एप्पल सिडर विनेगर - एप्पल सिडर विनेगर में एंटी फंगल और दर्द कम करने के गुण होते हैं। इसका इस्तेमाल संक्रमण से होने वाले टिनिटस के इलाज में भी किया जाता है।
तुलसी - तुलसी एक रामबाण औषधि है। इसमें एंटी बैक्टेरियल गुण होते हैं जो टिनिटस के उपचार के लिए लाभकारी है।
लहसुन - ठंड़ के मौसम में अक्सर लोगों को कान में टिनिटस की समस्या हो जाती है। ऐसे में लहसुन का उपयोग करने से खून का संचार बढ़ता है और लहसुन के एंटी बैक्टेरियल गुण टिनिटस की समस्या से निजात दिलाते हैं।
अदरक - अदरक में कई औषधीय गुण होते हैं जो शरीर में खून का बहाव सही रखता है। अदरक से टिनिटस की वजह से होने वाले कान दर्द में आराम मिलता है।
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। स्पोर्ट्सकीड़ा हिंदी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।