निमोनिया का इलाज सस्ता और सुलभ है लेकिन जागरूकता के अभाव में बीमारी से होने वाली मौतों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ठंडक शुरू होते ही सुबह, शाम सर्दी व दोपहर के समय गर्मी महसूस होना, कम उम्र के बच्चों के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है। यही नहीं मौसम में लगातार बदलाव के कारण हो रही ठंडक का सबसे ज्यादा असर उन पर ही होता है। चिकित्सकों के अनुसार इस बदलते मौसम में बच्चों को बचाकर रखना बेहद जरूरी है। भारत में निमोनिया और डायरिया से लाखों बच्चों की मौत होती है।
भारत में निमोनिया और डायरिया से इतने लाख बच्चों की हुई मौत (Record Of children died due to pneumonia and diarrhea in India
भारत में साल 2016 में निमोनिया और डायरिया ने 2.60 लाख बच्चों की जान ली। जॉन हॉपकिंस ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की निमोनिया और डायरिया प्रोग्रेस रिपोर्ट 2018 में कहा गया है कि साल 2016 में दुनिया में 5वें जन्मदिन से पहले 57 लाख बच्चों की मौत हो गई जिसमें चार में से एक मौत निमोनिया और डायरिया के कारण हुई। रिपोर्ट में यह भी आशंका जताई गई है कि, 2030 तक भारत में निमोनिय का कारण 17 लाख से अधिक बच्चों की मौत होगी। इस आंकड़े के अनुसार देश में हर दिन निमोनिया और डायरिया से होने वाली मौत की संख्या औसतम 712 है।
भारत पहले स्थान पर (children died due to pneumonia and diarrhea in world)
इस बीमारी की सबसे अधिक मार झेल रहे 15 देशों की रिपोर्ट में भारत की स्थिति दयनीय है। डायरिया का प्रमुख कारण माने जाने वाले रोटा वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए भारत में टीकाकरण सभी 15 देशों में सबसे कम है। वैश्विक स्तर पर देखें तो साल 2016 में दुनिया भर में निमोनिया और डायरिया में 5 साल से कम उम्र के कुल 13.6 लाख बच्चों की मौत हुई। इसमें दो तिहाई मौत इन 15 देशों में हुई जिसमें भारत पहले स्थान पर है।
भारत में साल 2016 में निमोनिया से 1,58,176 और डायरिया से 1,02,813 मौतें हुई। वहीं नाइजीरिया में दोनों बीमारियों से कुल 2,15,306 मौतें हुई। तीसरे नंबर पर पाकिस्तान है जहां दोनों बीमारियों से 99,644 मौतें हुई।
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