शीतली प्राणायाम करने का सही तरीका और फायदे 

शीतली प्राणायाम करने का सही तरीका और फायदे
शीतली प्राणायाम करने का सही तरीका और फायदे

योग (Yoga) हमारे अच्छे स्वास्थ्य के लिए कितना ज्यादा जरूरी है इस बात को बताने की जरूरत शायद नहीं है। कई लोग हर दिन योग का लाभ उठाते हैं तो कई कभी कभी करके और कुछ लोग तो इसको कभी नहीं करना चाहते। लेकिन योग हमारे लिए हर तरह से लाभदायक होता है अगर हम उसे सही तरीके से करें। जो लोग योग करते हैं जरूरी नहीं वे लोग सही ही कर रहे हों क्योंकि योग की कई ऐसी मुद्राएं होती हैं जिसे ज्यादातर लोग गलत ही करते हैं। जैसे कि शीतली प्राणायाम (Shitali Pranayama)। इसको शायद बहुत से लोग करते होंगे। पर क्या वे लोग इसे सही तरीके से करते हैं क्योंकि गलत तरीके से किया गया योग हमारे लिए नुकसानदायक हो सकता है इसलिए जरूरी है कि इसे पहले से सही तरीके से सीखे उसके बाद इसको करें। इसलिए आज हम इस लेख के माध्यम से आपको शीतली प्राणायाम को सही तरीके से करना सिखाएंगे।

शीतली प्राणायाम करने से फायदे - Sheetali Pranayam Karne Ke Fayde In Hindi

शीतली का मतलब होता है शीतल, इसका अर्थ है शांत । जैसा कि नाम से ही हमें समझ आ रहा है कि इस प्राणायाम को करने से हमारा पूरा शरीर शीतल और शांत हो जाता है। इस प्राणायाम से न सिर्फ हमारा शरीर बल्कि हमारा मन भी शांत और शीतल हो जाता है। इसको करने से हमारा दिमाग शांत रहता है सोचने समझने की क्षमता बढ़ती है, किसी को भूख नहीं लगती तो ये भूख को भी बढ़ाता है, बढ़े हुए रक्तचाप को कम करता है (lowers blood pressure), हार्मोन्स को बैलेंस करना (balance the hormones), अपच से राहत दिलाता है, त्वचा (Skin) को सुंदर बनाने और आंखों की रोशनी को सही रखता है। यदि आप गर्मियों के दिनों में इसका अभ्यास करते हैं, तो ये आपके शरीर को शीतल रखने में मदद करेगा।

शीतली प्राणायाम करने का सही तरीका Sheetali Pranayam Karne Ka Sahi Tarika

आप एक आरामदायक आसन पर बैठें।

और अपनी आंखों eyes को बंद करें।

अब अपने दोनों हाथों को ज्ञानमुद्रा या अंजलि मुद्रा में घुटनों पर रखें।

जीभ tongue के दोनों किनारों को मोड़कर नली का आकार बनाएं।

नली के आकार की जीभ से सांस अंदर खींचे और फेफड़ों Lungs को अपनी क्षमता पूरवक हवा से भर लें और मुंह बंद कर लें।

जालंधर बंध Jalandherbandh के साथ जब तक आप अपनी सांस अंदर रोक सकते हैं, रोककर रखें।

और इसके बाद जालंधर बंध को छोड़ें और धीरे-धीरे नाक से सांस को छोड़ें।

यह पहला चक्र हुआ।

ध्यान रखें कि इसी तरह से आप शुरुआत में 8 से 10 बार इसे करें और फिर धीरे धीरे इसे प्रतिदिन 15 से 20 मिनट तक करें।

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। स्पोर्ट्सकीड़ा हिंदी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।