मानसिक रोगी (Mental Patient) को हीन भावना से देखना आपके बारे में काफी कुछ कहता है। अगर आप किसी भी मानसिक रोगी को हीन भावना या दृष्टि से देखते हैं तो आप एक प्रकार से ये कह रहे हैं कि आप इस बात को नहीं स्वीकारते हैं कि मस्तिष्क नाम का कोई अंग भी होता है।
इस बात का ध्यान रखें कि मनुष्य के पास सोचने, समझने और निर्णय लेने की शक्ति के साथ साथ हर निर्णय और अंग का केंद्र मस्तिष्क (या जिसे आम भाषा में दिमाग कहा जाता है) में होता है। शरीर के हर अंग को खून और अन्य जरूरी तत्वों की जरूरत होती है। इनमें से जिसकी भी कमी होगी, उसके आधार पर मानसिक रोग होगा।
हमारे शरीर में कई हॉर्मोन्स होते हैं और दिमाग में भी हॉर्मोन्स होते हैं। जब उनका रिसाव नहीं होगा, कम होगा, या फिर उससे जुड़े तत्व कम होंगे तो मानसिक बीमारियाँ होनी तय हैं। ऐसे में आप इन कदमों को उठाकर अपने या आपके परिवार के किसी भी इंसान का मानसिक रोग ठीक कर सकते हैं।
मानसिक रोगों को ठीक करने के लिए करें ये उपचार: Mansik Rogon Ko Theek Karne Ke Liye Karein Ye Upchaar
स्वीकारें कि आपको या आपके जानकार को मानसिक रोग है: Accept that you or your known has a mental issue
हम सब सच्चाई से दूर भागते हैं और चूँकि हम उसे स्वीकारना पसंद नहीं करते हैं इसलिए ये परेशानी बढ़ जाती है। अब जैसे आपको बुखार होता है तो आपको मानना पड़ता है कि आपको बुखार है, वैसे ही दिमाग से जुड़ी बीमारियाँ भी सच हैं क्योंकि दिमाग आपके शरीर का ठीक उसी प्रकार से एक अंग है जैसे शरीर में अन्य अंग मौजूद होते हैं।
मानसिक रोगी को एक खुला वातावरण दें: Give open space to mental health patient
मानसिक रोग लाइलाज नहीं हैं। हम सबने उनके साथ एक ऐसा तमगा जोड़ दिया है कि अगर किसी को मानसिक परेशानी है तो उससे दूरी बना लो, या उसको एवं उसके परिवार को बहिष्कृत कर दो। इससे उलट अगर आप मानसिक रोगी को बात करने का एक खुला वातावरण देंगे तो मानसिक रोगी जल्दी ठीक हो सकता है।
डिप्रेशन का एक बड़ा कारण ये होता है कि इंसान अपने दर्द को किसी से कह नहीं पाता है। इसमें उसका किसी को ना बताने का स्वभाव भी शामिल है। अगर आप किसी को भी एक सही वातावरण देंगे और उसे खुलकर कहने का मौका देंगे तो वो अपनी बात जरूर रखेगा। गुफ्तगू से दुनिया का हर मसाइल हल हो सकता है, बस जरूरत है कि आपकी कोशिश का पहला कदम आप उठाएं।
योग करें और फिटनेस एक्सरसाइज कराएं: Do Yoga and Fitness Exercise
इस बात का ध्यान रखें कि आयुर्वेद में एक वाक्य कहा जाता है और अगर आप अपने बड़े बुजुर्गों से बात करेंगे तो वो आपको ये वाक्य जरूर बताएंगे। वो वाक्य है, 'पैर गरम, पेट नरम, दिमाग को रखो ठंडा, वैद्य जो कोई भी आए तो उसको मारो डंडा।' एक समय होता था जब गाँवों में वैद्य होते थे और ये बात बिल्कुल सच है।
हर इंसान को ठंडे दिमाग से सोचने के लिए कहा जाता है, ना कि गर्म दिमाग से। दिमाग में भी खून का बहाव होता है। दिमाग के दो हिस्से होते हैं और हर हिस्से के अंदर एक सेक्शन होता है जो आपके शरीर की किसी कार्यप्रणाली को कंट्रोल करती है। जब वहाँ तक खून और हवा का प्रवाह नहीं होगा तो दिमाग में परेशानी होना लाजमी है।
यही वजह है कि आपको योग करना चाहिए। जिम आपके शरीर में कई हॉर्मोन्स को उत्तेजित कर देता है, और यही वजह है कि आपको कई बार जिम जाने वाले लोग आवेग, आवेश और क्रोध वाले दिखते हैं। ऐसा नहीं है कि ऐसा योग में नहीं है लेकिन जो सही से योगासन कर रहा होगा उसका मन, मस्तिष्क और उसके अंग सही रूप से काम करने लगेंगे। आप एल्जाइमर्स और सिजोफ्रेनिया जैसी बीमारी को भी योग से ठीक कर सकते हैं।
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। स्पोर्ट्सकीड़ा हिंदी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।