प्रोटीन पाउडर कितनी तरह के होते हैं और उन सबकी अलग-अलग खासियत

जिम जाने वाले लोगों को आपने प्रोटीन शेक पीते हुए जरूर देखा होगा। प्रोटीन जिम जाने वाले लोगों की सबसे पहली और महत्वपूर्ण जरूरत है। सिर्फ जिम में जाकर पसीना बहाने से बॉडी और मसल्स नहीं बनते। शरीर के मसल्स के लिए सबसे महत्वपूर्ण होते हैं प्रोटीन। शरीर की मसल्स प्रोटीन की वजह से ही बढ़ती हैं। जब हम एक्सरसाइज़ करते हैं तो शरीर के मसल्स (मांसपेशियां) टूट और अपनी जगह से हट जाती हैं। एक्सरसाइज़ करने के 30-45 मिनट बाद किसी न किसी प्रोटीन को लेना जरूरी होता है क्योंकि टूटी हुई मांसपेशियों तक जितनी जल्दी प्रोटीन जाएगा, मसल्स उतनी ही जल्दी बढ़ेंगे। मुख्य तौर से प्रोटीन 4 तरह के होते हैं, आइए एक-एक कर इनके बारे में बात करते हैं।

वे (Whey) प्रोटीन पाउडर

जिम जाने वाले ज्यादातर लोग वे प्रोटीन का ही इस्तेमाल करते हैं। वे प्रोटीन बहुत ही जल्दी पच जाता है और मांसपेशियों तक तेजी से पहुंचता है। इसलिए एक्सरसाइज़ करने के बाद लोग वे प्रोटीन लेते हैं। वे प्रोटीन की खास बात ये भी होती है कि उसमें फैट, कार्बोहाइड्रेट और शुगर की मात्रा ना के बराबर होती है। मतलब आपको पूरी तरह से प्रोटीन ही मिलेगा। वे प्रोटीन के साइड इफेक्ट्स बिल्कुल ना के बराबर होते हैं। इसमें वजन घटाने और कोलेस्ट्रॉल कम करने के गुण मौजूद होते हैं। इसके अलावा रिसर्च में पाया गया है कि इसका सेवन करने की वजह से हार्ट की बीमारियों का खतरा कम होता है।

केसीन प्रोटीन पाउडर

केसीन प्रोटीन पाउडर, वे से थोड़ा अलग होता है क्योंकि ये लंबे समय तक और धीरे-धीरे शरीर में प्रोटीन की मात्रा को रिलीज़ करता है। यानी आपको प्रोटीन लेने के बाद एकदम से सारी एनर्जी नहीं मिलेगी। 6-7 घंटों के दौरान वो धीरे-धीरे प्रोटीन शरीर को मिलता रहेगा। जिम करने के तुरंत बाद कभी भी केसीन पाउडर नहीं लिया जाता क्योंकि तब शरीर से जल्दी से प्रोटीन की जरूरत होती है और ये प्रोटीन धीरे-धीरे बॉडी को मिलता है।

ऐग (अंडा) प्रोटीन पाउडर

ये प्रोटीन पाउडर अंडों से बनता है। इस पाउडर का लोग बहुत ही कम इस्तेमाल करते हैं क्योंकि ऐग प्रोटीन पाउडर से कहीं ज्यादा लोग अंडे खाना पसंद करते हैं। अंडों में अच्छी क्वालिटी का प्रोटीन मौजूद होता है। अंडों को एक्सरसाइज़ करने के तुरंत बाद या लंच के समय भी आसानी से खाया जा सकता है।

प्लांट प्रोटीन पाउडर

लोग प्लांट बेस्ड प्रोटीन का भी काफी यूज़ करते हैं। मार्केट में सोयाबीन, मटर के दानों, चावल आदि के प्रोटीन आसानी से मिल जाते हैं। प्लांट प्रोटीन पेड-पौधों से बनते हैं, तो इसमें बाकी मिनरल्स मौजूद रहते हैं, जबकि वे-केसीन प्रोटीन डेरी प्रोडक्ट से मिलकर बनते हैं इसलिए उनमें प्रोटीन की मात्रा ज्यादा रहती है। प्लांट प्रोटींस में कुछ मात्रा में फैट होता है, जिसकी वजह से वो शरीर में धीरे-धीरे प्रोटीन रिलीज़ करती है।

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