विदारीकंद (Vidarikand) एक बारहमासी जड़ी बूटी है। इस कायाकल्प करने वाली जड़ी-बूटी के कंद (roots) का उपयोग ज्यादातर इम्युनिटी बूस्टर और रिस्टोरेटिव टॉनिक के रूप में किया जाता है। विदारीकंद आयुर्वेद की एक कायाकल्प औषधि है। यह मुख्य रूप से प्रजनन (reproductive) टॉनिक के रूप में उपयोग किया जाता है जो महिलाओं के लिए मासिक धर्म संबंधी विकार, रजोनिवृत्ति सिंड्रोम (menopause syndrome) और गर्भाशय की कमजोरी (uterus weakness) का इलाज करता है। यह शीतल, पौष्टिक है। यह कमजोरी को दूर करता है।
शीतल प्रकृति के कारण यह शरीर में जलन, अत्यधिक गर्मी और रक्तस्राव विकारों (bleeding disorders) में मदद करता है। यह कामोत्तेजक (aphrodisiac) है। विदारीकंद की जड़ें मां के दूध के प्रवाह को बढ़ाने में मदद करती हैं। विदारीकंद के खाद्य कंदों का उपयोग सीने में दर्द, गठिया और बुखार के लिए भी किया जाता है। विदारी दिल के लिए टॉनिक है। यह उच्च रक्तचाप (high blood pressure) को कम करता है और सांस लेने में कठिनाई (angina) में राहत देता है।
विदारीकंद के 5 फायदे (5 Benefits Of Vidarikand In Hindi)
इस पौधे की जड़ का इस्तेमाल पीसकर चूर्ण के रूप में सेवन करना आसान होगा।
1. याददाश्त बढ़ाना (increases memory)
स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए विदारीकंद की जड़ का चूर्ण मददगार साबित होगा।
2. कैंसर (prevents cancer)
जड़ का चूर्ण दो महीने तक दिन में दो बार लिया जाता है। इसमें कैंसर रोधक प्रॉपर्टीज होने के कारण यह कैंसर में देने जाने वाली आयुर्वेदिक औषधि में भी इस्तेमाल की जाती है।
3. कट, सूजन (cut, inflammation)
जड़ का पेस्ट पांच दिनों या उससे अधिक समय तक प्रभावित क्षेत्र पर बाहरी रूप से लगाया जाए तो जल्द राहत मिलेगी।
4. मिर्गी (epilepsy)
मिर्गी में यह विदारीकंद बहुत लाभदायक है, यह मिर्गी की बीमारी से राहत प्राप्त करने में सक्षम है।
5. विदारीकंद का प्रयोग सामान्य टॉनिक के स्थान पर (replacement to general tonics)
विदारीकंद (10 ग्राम), अश्वगंधा (20 ग्राम), मुलेठी (10 ग्राम), शतावरी (10 ग्राम), आंवला (15 ग्राम), गोखरू (10 ग्राम), अर्जुन छाल (15 ग्राम), मंडुकपर्णी के पत्ते (10 ग्राम) को मिलाकर हर्बल पाउडर बना लें। एक चम्मच दिन में दो बार दूध के साथ लें। इससे बुखार, कमज़ोरी व अन्य बीमारियों से राहत मिलेगी।
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