छोटे बच्चों के लिए क्यों जरूरी है माँ का दूध, जानिये 4 फायदे 

छोटे बच्चों के लिए क्यों जरूरी है माँ का दूध, जानिये फायदे
छोटे बच्चों के लिए क्यों जरूरी है माँ का दूध, जानिये फायदे

जब शिशु का जन्म होता है, तो उसकी अच्छी सेहत के लिए मां का दूध सबसे ज्यादा जरूरी होता है। छोटे बच्चे के लिए मां का दूध सबसे पौष्टिक आहार होता है। शिशुओं के लिए मां का दूध ऊर्जा और पोषक तत्वों का सबसे अच्छा स्रोत होता है। नई मां के लिए भी ब्रेस्टफीडिंग फायदेमंद है। बच्चे को अगर मां का दूध मिले, तो बच्चा कई बीमारियों से दूर रहता है। यही नहीं इससे बच्चे की इम्यूनिटी स्ट्रांग होती है। यही नहीं, माँ के दूध में आवश्यक पोषक तत्व, खनिज, विटामिन, प्रोटीन, वसा, एंटीबॉडी और ऐसे प्रतिरोधक कारक मौजूद होते हैं, जो नवजात शिशु के सम्पूर्ण विकास और स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। शिशु के जन्म के छह माह बाद तक माँ का दूध ही बच्चे के लिए सम्पूर्ण आहार की सभी जरूरतें पूरी करता है।

छोटे बच्चों के लिए क्यों जरूरी है माँ का दूध, जानिये फायदे Why is mother's milk important for small children, know the benefits in hindi

इम्यूनिटी बढ़ाए (Increase Immunity)

मां का दूध बच्चे के लिए ताकत प्रदान करता है। दरअसल मां के माँ के दूध में इम्युनोग्लोब्युलिन (immunoglobulin) का लेवल हाई होता है। जिससे बच्चे की इम्यूनिटी बढ़ती है। माँ के दूध में लेक्टोफोर्मिन नाम का तत्व होता है जो शिशु के आंतों में रोगाणु के पनपने से रोकते हैं।

पाचन शक्ति बढ़ाए (increase digestive power)

मां का दूध पीने से बच्चे की पाचन शक्ति मजबूत होती है। जब शिशु जन्म लेता है, तब उनकी पाचन शक्ति कमजोर होती है, ऐसे में अगर शिशु 6 महीने तक सिर्फ मां के दूध का सेवन करता है, तो इससे आंत मजबूत होती है।

बीमारियों से बचाए (Avoid diseases)

मां का दूध इतना शक्तिशाली होता है कि इसके सेवन से शिशु किसी भी तरह की बीमारी से बचा रहता है। शिशु जब पैदा होता है, तो काफी कमजोर रहता है, जिसके कारण इंफेक्शन होने का खतरा बना रहता है। बच्चे को इंफेक्शन से बचाने के लिए ही 6 महीने तक मां का दूध पिलाने की सलाह दी जाती है। जिससे बच्चा पूरी तरह स्वस्थ्य रहे।

मां के लिए भी होता है फायदेमंद (It is also beneficial for the mother)

शिशु को दूध पिलाने से मां का बढ़ा हुआ वजन भी कम होने लगता है। क्योंकि इससे कैलोरी बर्न होती है। यही नहीं प्रसव के बाद मां को अंदरूनी ब्लीडिंग होने की भी समस्या होती है। लेकिन अगर महिला स्तनपान कराती है, तो गर्भाशय का संकुचन होने के साथ-साथ इंटरनल ब्लीडिंग की समस्या भी बहुत हद तक कम होने लगती है।

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