पीरियड्स में होने वाले दर्द और शारीरिक परेशानियों बारे में तो महिलाएं जानती हैं लेकिन उससे जुड़े मानसिक बदलावों से वो अनजान रहती हैं. ऐसा क्यों होता है? आपके मासिक धर्म से पहले और उसके दौरान उदासी और पीएमएस का सही कारण निश्चित रूप से ज्ञात नहीं है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि ओव्यूलेशन के बाद होने वाले एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन में गिरावट एक ट्रिगर है। ये हार्मोन एक रासायनिक न्यूरोट्रांसमीटर सेरोटोनिन के उत्पादन को कम करते हैं।
कई महिलाओं को पीरियड्स से पहले पीएमडीडी की समस्या होती है. उनके व्यवहार में बदलाव आता है और वो सबसे दूरी बना लेती हैं. ये समस्या कई बार ख़तरनाक स्तर तक भी पहुंच सकती है.
क्या है पीएमडीडी?
PMDD (प्रीमेन्स्ट्रुअल डिस्फॉरिक डिस्ऑर्डर) में हार्मोनल बदलाव आते हैं जिनका दिमाग़ पर भारी असर पड़ता है. सामान्य तौर पर पीरियड्स के समय शरीर में हल्के-फुल्के परिवर्तन होते हैं, लेकिन पीएमडीडी में सामान्य से ज़्यादा दिमाग़ के अंदर केमिकल घटते-बढ़ते हैं. ये असंतुलन भावनात्मक लक्षण पैदा कर देता है.
मनोचिकित्सकों की माने तो ''पीएमडीडी के लक्षण पीरियड्स से दो-तीन दिन पहले दिखाई देने शुरू होते हैं. इसमें भावनात्मक और मानसिक लक्षण शारीरिक लक्षणों के साथ जुड़ जाते हैं. इस दौरान चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन, तनाव, नींद न आना, बहुत ज़्यादा गुस्सा जैसे लक्षण दिखते हैं.'' लेकिन, ज़रूरी नहीं कि इसमें हर महिला पर एक जैसा ही प्रभाव हो.
पीरियड्स के दौरान उदासी की वजह:
पीरियड्स के दौरान उदासी की वजह ज्यदातर हारमोंस की वजह से होती है इसे विस्तार से समझिये. मासिक धर्म यानी पीरियड्स महिलाओं को होना एक प्राकृतिक रूप है. पीरियड्स के दौरान महिलाओं को अलग अलग तरह की कई समस्याएं भी होती है. इस दौरान महिलाओं के शरीर में हार्मोनल बदलाव होने की वजह से कई समस्याएं शुरू हो जाती हैं. पीरियड्स के दौरान महिलाएं अक्सर तनाव में रहती हैं. इन दिनों में महिलाओं के तनाव में रहने के दो कारण होते हैं, एक तो मनोवैज्ञानिक कारण से कि वो पीरियड्स और उससे जुड़ी असुविधाओं को लेकर बहुत सोचती हैं और दूसरा प्रीमेन्स्ट्रुअल सिंड्रोम यानी पीएमएस के कारण से. यहाँ पीएमएस और PMDD में एक भारी अंतर है.
पीएमएस में पीरियड्स के साइकिल को संतुलित करने वाले हार्मोन में थोड़ा असंतुलन आ जाता है. इससे ब्रेस्ट में दर्द, बुख़ार और उल्टी हो सकती है. लेकिन, इसका भावनात्मक और मानसिक प्रभाव इतना ज़्यादा नहीं होता कि उसका सामाजिक जीवन पर प्रभाव पड़ जाए.
PMDD के लक्षण पीरियड्स से दो-तीन दिन पहले दिखाई देने शुरू होते हैं. इसमें शारीरिक लक्षणों के साथ भावनात्मक और मानसिक लक्षण भी जुड़ जाते हैं. इसका मानसिक प्रभाव ज़्यादा होता है.
इससे कैसे बच सकते हैं?
ये प्रश्न कई महिलाओं के मन में आता है, जब वें पीरियड्स के वक्त या उससे पहले अपने शरीर और मूड में लगातार हो रहे परिवर्तनों का सामना करतीं हैं. सुझाव के तौर पर इस दौरान मैडिटेशन यानि ध्यान लगा सकतीं है ये अपने मानस को शांत बनाने और आपके मन को केन्द्रित करने मदद करता है. आप अपनी डाइट को हल्का और टेस्टी बना सकतीं है. दिन में एक हल्का व्ययायम भी आपकी मदद कर सकता है. आप चाहें तो किसी तरह की कोई हॉबी में अपना दिल लगा सकतीं हैं. मगर अगर आप किसी तरह की कोई सीरियस मेंटल पेन का सामना कर रहीं हैं तो मैं आपको डॉक्टर से संपर्क करने का सुझाव दूंगी.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। स्पोर्ट्सकीड़ा हिंदी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।