भारतीय हॉकी इतिहास के 10 बेहतरीन लम्हे

ये उस समय की बात है जब हॉकी एक मात्र ऐसा खेल था, जिसका क्रेज भारतीयों में देखते ही बनता था। ये क्रिकेट के जमाने से पहले का दौर था जब तक कि क्रिकेट ने हॉकी की जगह नहीं ले ली थी। उस दौर में बड़े पैमाने पर हॉकी के फैन्स पूरे देश में थे और भारत का बेमिसाल प्रदर्शन पूरे विश्व में जग जाहिर था। विजार्ड और ध्यानचंद जैसे महान खिलाड़ी 20 के शुरुआती दशक में भारतीय हॉकी की शान हुआ करते थे। इससे पहले भी भारत का बहुत शानदार दौर था। लेकिन आगे के सालों में इसका स्तर लगातार गिरता रहा, हांलाकि भारतीय हॉकी ने इसके बावजूद भी कई उपलब्धियां हासिल की हैं पर शायद अभी तक अपना खोया मकाम हासिल नहीं कर पाई । यहां हम भारतीय हॉकी के इतिहास के 10 सबसे बेहतरीन क्षणों की बात आपको बताने जा रहे हैं :


#10. एशिया कप 2003, 2004

भारतीय हॉकी टीम को बीते सालों में चार बार एशिया कप के फाइनल में पहुंचने का मौका मिला पर अपने पुराने प्रतिद्वंदी पाकिस्तान के सामने फाइनल मैच में तीन बार और साउथ कोरिया से 1993 में एक हार का सामना करना पड़ा। बहुत लंबे इंतजार के बाद आखिरकार भारतीय हाकी टीम ने 2003 में पाकिस्तान को 4-2 से हराकर जीत के इंतजार को खत्म करते हुए छठां एशिया कप अपने नाम किया । 2004 में महिला हॉकी ने पुरुषों का यही करिश्मा दोहराते हुए एशिया कप का फाइनल जीता, जब महिला टीम ने जापान को धराशाई कर खिताब अपने नाम किया। 2007 में भारत ने दक्षिण कोरिया को 7-2 से हराकर अपना विजेता का खिताब कायम रखा। #9. एशिया गेम्स 1966

asia games

1966 एशिया गेम्स में भारत अपनी युवा टीम के साथ उतरा था। टीमों को दो ग्रुप्स में बांटा गया था, दोनों ग्रुप्स में चार-चार टीमें थी और भारत के सामने उनके ग्रुप में सबसे कठिन चुनौती के तौर पर 1962 एशियाड ब्रोन्ज विजेता टीमें जिनमें मलेशिया, दक्षिण कोरिया और श्रीलंका मौजूद थे। पाकिस्तान पहले ही फाइनल में अपनी जगह बना चुका था। थाइलैंड और जापान को टुर्नामेंट का फेवरेट माना जा रहा था। भारत ने बेहतरीन प्रदर्शन दिखाते हुए मलेशिया, श्रीलंका और दक्षिण कोरिया को हराकर पाकिस्तान के सामने फाइनल में आ खड़ा हुआ। भारत के सामने ये बड़ी चुनौती थी क्योंकि पाकिस्तान बिलकुल भी कमजोर टीम नहीं थी और पड़ोसी देश के साथ संबंध ठीक ना होने की वजह से फाइनल में पाकिस्तान के साथ जितना रोमांच था उससे कहीं ज्यादा जीत का दवाब भी था। भारतीय टीम की कोशिश थी कि वे अपना 1964 ओलंपिक का प्रदर्शन दोहरा सकें जहां उन्होंन पाकिस्तान को हराया था। मैच बहुत रोमांचक स्थिति में था दोनों टीमें में बराबरी की टक्कर चल रही थी और इसकी बजह से मैच का परिणाम निकालने के लिए मैच एक्स्ट्रा टाइम में खेला जा रहा था। और इसी दौरान बलवीर सिंह सेकेंड हॉफ में गोल करके भारत को इस मैच में जीत दिलाते हुए मैच के हीरो बन गये। #8. हॉकी वर्ल्ड लीग 2015 hwl इंडियन हॉकी टीम 33 सालों में एफआईएच में कोई भी मेडल लाने में नाकाम रही थी। और आखिरकार भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने अपने पदकों का सूखा दूर करते हुए जयपुर में वर्ल्ड हॉकी लीग में कांस्य पदक जीता। ये मैच बेहद रोमांचक था, शुरुआत में डच टीम भारत से 2 गोल की बढ़त पर खेल रही थी। मैच के आखिरी 10 मिनट में 6 गोल हुए, जिसके चलते भारत मैच में 5-5 की बराबरी में आ खड़ा हुआ , नतीजतन मैच पेन्लटी शूटआउट पर पहुंचा जहां भारत ने विरेंद्र लकडा ,सरदार सिंह और सोनप्रीत सिंह के शानदार सफल गोलों की मदद से ये बड़ी कामयाबी हासिल की। #7. ओलंपिक गेम्स (आजादी के बाद वाला युग)

balbir singh

भारतीय हॉकी टीम 1948, 1952 और 1956 में मैच जीतकर 1964 के टोक्यो ,जापान ओलंपिक खेलों की गोल्ड की दावेदारी पेश कर रही थी। यह भारतीय हॉकी के गोल्डन दौर का दूसरा चरण था। दूसरे विश्व युध्द के 12 साल बाद लंदन ओलंपिक गेम्स की मेजबानी कर रहा था। भारत के महान खिलाड़ी ध्यानचंद अपने पूरी फॉर्म में थे और हर मैच में उनका प्रदर्शन निखरता जा रहा था। आजादी के बाद ये पहला मौका था जब भारत ग्रेट ब्रिटेन के खिलाफ मैदान में उतरा। इसका रोमांच तब और बढ़ गया जब दोनों ही टीमों ने फाइनल में अपनी अपनी जगह बनाई। भारत ये मैच 4-0 के अंतर से जीत गया। उसके बाद भारत ने मुड़कर पीछे नहीं देखा और किशन लाल ,केडी सिंह बाबू और बालबीर सिंह जैसे खिलाड़ियों की अगुवाई में लगातार 1948, 1952 और 1956 मेलबर्न में गोल्ड अपने नाम किया। हालांकि 1960 में भारतीय टीम ये करिश्मा करने से चूक गई पर इसकी भरपाई 1964 में भारत ने हॉकी का सातवां गोल्ड जीतकर कर दी थी। #6. कॉमनवेल्थ गेम्स 2002 (भारतीय महिला हॉकी टीम)

womens hockey

भारतीय महिला हॉकी टीम के पास अपनी सफलता की ज्यादा लंबी फेहरिस्त नहीं थी , 1982 में गोल्ड को छोड़ दिया जाए तो इनकी सफलता की कहानी मे ज्यादा कुछ बताने को नहीं था। सूरज लता देवी की कप्तानी भारतीय टीम इस बार नई इबारत लिखने उतरी थी ,जिन्होंने पहले ऑस्ट्रेलिया के एकाधिकार को खत्म किया फिर सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड को हराकर इंग्लैंड के सामने फाइनल मुकाबले के लिए आ खड़ा हुआ। और टूर्नामेंट की फेवरेट टीम यानी इंग्लैंड को 3-2 से शिकश्त देकर गोल्ड जीता और पूरे देश को गर्व महसूस कराया। #5. चैंपियंस ट्रॉफी 2016

ct

ये भारत के लिए हॉकी में हाल के दिनों का बेहतरीन प्रदर्शन था जब भारत ने यूके में हो रही चैंपियंस ट्रॉफी (2016) में रजत पदक जीता था , इससे पहले 1982 में भारत कांस्य पदक जीता था। टूर्नामेंट के फाइनल में भारत का सामना 'बेस्ट ऑफ द बेस्ट' ऑस्ट्रेलिया से होना था , और उस दौरान भारत ने इस मुकाबले को जीत कर लाखों दिल भी जीत लिए थे । #4 एशियन गेम्स 2014

sree

दक्षिण कोरिया में खेले जा गए एशियन गेम्स 2014 का विजेता बनना 2016 में होने वाले रियो ओलंपिक के लिए अपने आप क्वालीफाई कर लेने का रास्ता था और इस बात ने भारतीय टीन को अच्छा प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित किया। उस वक्त भारत रैंकिंग में 9 वे नंबर पर था। भारत और पाकिस्तान दोनों फाइनल की तरफ बढ़ रहे थे और आखिरी मुकाबले मे भारत ने अपने प्रतिद्वंदी को हराकर 16 साल बाद एशियन खेलों में गोल्ड जीता। #3 ओलंपिक गेम्स 1980

olap

ओलंपिक गेम्स 1980 में भारत की एक यंग टीम मैदान में थी , पर बहुत बेहतरीन प्रदर्शन दिखाते हुए 16 साल बाद टीम ने टीम ने गोल्ड अपने नाम किया। रूस के अफगानस्तान पर कब्जे के कारण यूएस की खिलाफत के चलते टूर्नामेंट से न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान, वेस्ट जर्मनी औऱ हॉलैंड जैसी शानदार टीमों ने टूर्नामेंट का बहिष्कार कर दिया था, जिसके चलते भारत की उम्मीदें काफी बढ़ गईं थी। भारत ने फाइनल में स्पेन को 4-3 से हराकर पूरा किया । #2 विश्व कप 1975

solitary

यह पुरुष हॉकी के इतिहास का तीसरा विश्व कप था। 1971 में विश्व कप के पहले संस्करण में भारत तीसरे स्थान पर रहा और 1973 में फाइनल में अपनी जगह बनाई पर जीत में तब्दील नहीं कर पाया था, जब नीदरलैंड के हाथों हार का सामना करना पड़ा। इस बार भारत सेमीफाइनल मे मलेशिया को हराकर पाकिस्तान के सामने फाइनल में था , और सुरजीत और अशोक कुमार जैसे खिलाड़ियो के चलते भारत ने ये मुकाबला 2-1 से जीत लिया। #1. ओलंपिक गेम्स (स्वतंत्रता पूर्व)

olampics

हॉकी का खेल अब तक सिर्फ दो बार ओलंपिक खेलों में शरीख हुआ था एक बार 1928 और एक बार 1908 , भारत ने अपना हॉकी में ओलंपिक डेब्यू 1928 में किया था और उसी साल गोल्ड जीतकर भारत ने इतिहास रच दिया। ग्रेट ब्रिटेन ने इसमें हिस्सा न लेने का फैसला किया था, ओलंपिक शुरु होने से पहले भारत के हाथों 0-4 से मिली करारी हार को इसकी वजह कहा जाता है । 1928 की जीत के साथ शुरु हुआ भारत का लगातार 10 मेडल जीतने का सिलसिला जिसमें 7 गोल्ड थे और ये भी एक रिकॉर्ड है ।

Edited by Staff Editor
Sportskeeda logo
Close menu
WWE
WWE
NBA
NBA
NFL
NFL
MMA
MMA
Tennis
Tennis
NHL
NHL
Golf
Golf
MLB
MLB
Soccer
Soccer
F1
F1
WNBA
WNBA
More
More
bell-icon Manage notifications