सीनियर डिफेंडर कोथाजित सिंह का मानना है कि भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने कोविड-19 के कारण हुए ब्रेक के बाद सही समय पर ट्रेनिंग शुरू कर दी और इससे अगले साल टोक्यो ओलंपिक्स के लिए वह मजबूत स्थिति में रहेगी। पुरुष और महिला हॉकी टीम के राष्ट्रीय कैंप भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के बेंगलुरु सेंट में अगस्त से शुरू हुआ। कोरोना वायरस महामारी के कारण 45 दिन के ब्रेक के बाद नेशनल कैंच शुरू हुआ।
मणिपुर के कोथाजित सिंह ने कहा, 'मैदान पर लौटकर अच्छा लगा रहा है। हमने पिछले दो महीनों में काफी सुधार किया और हमारी टीम टोक्यो ओलंपिक्स के लिए अच्छी तैयारी कर रही है।' भारतीय टीम का 200 से ज्यादा मैचों में प्रतिनिधित्व करने वाले कोथाजित सिंह ने आगे कहा, 'हम सही समय पर ट्रेनिंग में लौटे और इसलिए हमारे पास अपनी पूरी फॉर्म और टीम के रूप में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए पर्याप्त महीने हैं।'
इस साल की शुरूआत में एफआईएच प्रो लीग में राष्ट्रीय टीम में लौटने वाले कोथाजित सिंह ओलंपिक क्वालीफायर्स में हिस्सा नहीं ले सके थे। कोथाजित सिंह बेंच गरत करने का दर्द बखूबी जानते हैं। वह आगामी महीनों में टीम में अपनी जगह स्थायी करना चाहते हैं। कोथाजित सिंह ने कहा, 'टीम से बाहर रहना कभी आसान नहीं होता और इसलिए मैं कड़ी से कड़ी मेहनत करने पर ध्यान दे रहा हूं ताकि भारतीय टीम में अपनी जगह स्थायी कर सकूं। मैंने लॉकडाउन के दौरान अपने खेल का विश्लेषण किया और मुझे अपने खेल के पहलू पता थे कि किस पर काम करना है। अगले कुछ महीने हम सभी के लिए महत्वपूर्ण हैं और अब जब ओलंपिक्स स्थगित हुए हैं तो हमारे पास व्यक्तिगत व टीम के रूप में सशक्त होने का शानदार मौका है।'
कोथाजित सिंह को लॉकडाउन से मिला फायदा
कोथाजित सिंह ने बताया कि उन्हें लॉकडाउन में जानने को मिला कि सबसे बड़ा मूल्य धैर्य है और किसी को हर स्थिति में अपने आप पर विश्वास रखने की जरूरत है। कोथाजित सिंह ने कहा, 'लॉकडाउन का समय आसान नहीं था। हॉकी पिच से दूर रहना हमेशा ही मुश्किल होता है। हालांकि, मुझे इस दौरान पॉज बटन यानी सबकुछ रोकने का मौका मिल गया। मैंने अपने पिछले मैचों के कई फुटेज देखे और मैंने लिख लिया कि आगामी महीनों में अपने खेल के किस पहलू पर काम करना है।'
28 साल के कोथाजिंत सिंह ने आगे कहा, 'मुझे भारतीय टीम में सात साल से ज्यादा समय हो गया है और मैंने लॉकडाउन में सोचा कि किस तरह अपने करियर को आगे बढ़ाऊं। मुझे एहसास हुआ कि खिलाड़ी की जिंदगी के सबसे महत्वपूर्ण कार्य होते हैं, धैर्य रखना और लगातार सीखते रहना। मौके आएंगे और जाएंगे, लेकिन मुझे हमेशा अपना 100 प्रतिशत देना है।'