भारतीय महिला हॉकी टीम बर्मिंघम कॉमनवेल्थ खेलों में 16 साल के सूखे को खत्म कर मेडल जीतने की उम्मीद कर रही है। गोलकीपर सविता पुनिया की कप्तानी में खेल रही महिला टीम टोक्यो ओलंपिक के प्रदर्शन के बाद से ही नए उत्साह के साथ हॉकी खेलती दिख रही है, ऐसे में उम्मीदें यही हैं कि टीम इस बार मेडल लाकर 2006 के बाद पोडियम फिनिश कर पाएगी। कप्तान सविता पुनिया ने एक इंटरव्यू में बताया कि टीम 4 साल से इन खेलों का इंतजार कर रही है।
कॉमनवेल्थ खेलों में साल 1998 में पहली बार हॉकी को शामिल किया गया। कुआलालम्पुर में हुए इन खेलों में भारतीय हॉकी टीम ने चौथा स्थान हासिल किया था। इसके बाद 2002 मैनचेस्टर खेलों में टीम ने फाइनल में मेजबान इंग्लैंड को हराकर इतिहास रचा और गोल्ड जीता। 2006 में मेलबर्न खेलों में भी टीम फाइनल में पहुंची थी लेकिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ कड़ी टक्कर वाले मैच में 1-0 से हारी थी और सिल्वर जीता था। लेकिन इसके बाद के तीन खेलों में टीम कोई पदक नहीं जीत पाई। पिछली बार गोल्ड कोस्ट में टीम ब्रॉन्ज मेडल मैच में इंग्लैंड से हार गई थी।
कप्तान सविता पुनिया के मुताबिक भारतीय टीम इस बार जीत के लिए तैयार है। भारतीय महिला टीम ने जून में ही FIH प्रो हॉकी लीग में तीसरा स्थान हासिल किया लेकिन इसके बाद हुए महिला हॉकी विश्व कप में टीम का प्रदर्शन निराशाजनक रहा और वो 9वें स्थान पर रही। ऐसे में ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड जैसी टीमों के खिलाफ टीम को डटकर खेलना होगा।
बर्मिंघम खेलों में कुल 10 टीमें महिला हॉकी में भाग ले रही हैं जिन्हें 2 ग्रुप में बांटा गया है। भारत कनाडा, मेजबान इंग्लैंड, वेल्स और घाना के साथ ग्रुप ए में है जबकि 4 बार की गोल्ड विजेता ऑस्ट्रेलिया, 2018 की गोल्ड मेडलिस्ट न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका, स्कॉटलैंड और कीनिया की टीमें ग्रुप बी में हैं। कागजों पर भले ही ग्रुप ए से सेमीफाइनल में इंग्लैंड और भारत की टीमें जाती दिख रही हैं लेकिन कप्तान सविता ने साफ कर दिया है कि वो किसी टीम को कम नहीं आंक रहे।
भारतीय टीम अपना पहला मैच 29 जुलाई को घाना के खिलाफ खेलेगी। 30 जुलाई को टीम का सामना वेल्स से होगा, 2 अगस्त को मेजबान इंग्लैंड के खिलाफ भारत चुनौती पेश करेगा जबकि पूल ए का अपना आखिरी मैच टीम 3 अगस्त को कनाडा के खिलाफ खेलेगी।