भारतीय हॉकी जगत में शोक की लहर, ओलंपिक गोल्‍ड मेडलिस्‍ट दो दिग्‍गजों का एक ही दिन में हुआ निधन

एमके कौशिक और रवींद्र पाल सिंह
एमके कौशिक और रवींद्र पाल सिंह

भारतीय हॉकी जगत के लिए शनिवार का दिन बहुत दुखद रहा। एक ही दिन में भारत के दो दिग्‍गज हॉकी स्‍टार एमके कौशिक व रवींद्र पाल सिंह का निधन हो गया। दोनों कोविड-19 की समस्‍या से जूझ रहे थे और ठीक नहीं हो सके। बता दें कि रवींद्र पाल सिंह और एमके कौशिक मॉस्‍को ओलंपिक 1980 में गोल्‍ड मेडल जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के सदस्‍य थे।

एमके कौशिक ने भारत की सीनियर पुरुष और महिला हॉकी टीमों को कोचिंग भी दी है। एमके कौशिक के कोच रहते हुए भारतीय पुरुष टीम ने बैंकॉक एशियाई गेम्‍स 1998 में गोल्‍ड मेडल जीता था। वहीं भारतीय महिला टीम ने दोहा एशियाई खेल 2006 में ब्रॉन्‍ज मेडल हासिल किया था। उन्हें 1998 में अर्जुन पुरस्कार और 2002 में द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्हें 1998 में अर्जुन पुरस्कार और 2002 में द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

कौशिक को 17 अप्रैल को कोविड-19 के लिए पॉजिटिव पाया गया था और उन्हें यहां एक नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया था। कोविड-19 पॉजिटिव होने के बाद कौशिक की पत्नी का इलाज भी इसी अस्पताल में चल रहा था लेकिन वह ठीक से उबर रही है। उनके पुत्र एहसान ने कहा, उन्हें आज सुबह वेंटीलेटर पर रखा गया लेकिन अभी उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली।'

कौशिक में पिछले महीने इस बीमारी के लक्षण दिखे थे, लेकिन उनका आरटीपीसीआर और आरएटी जांच नेगेटिव आयी थी। उनका सीटी स्कैन 24 अप्रैल को हुआ था जिसमें उनके कोविड निमोनिया से ग्रसित होने का पता चला था। पिछले कुछ दिनों से उनकी स्थिति में ना सुधार हो रहा था ना ही उस में गिरावट दर्ज की जा रही थी। उनके ऑक्सीजन का स्तर हालांकि नीचे चला गया था।

रवींद्र सिंह पाल ने नहीं की शादी

इससे पहले रवींद्र सिंह पाल का निधन लखनऊ के विवेकानंद अस्पताल में हुआ था। सिंह को 24 अप्रैल को विवेकानंद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। परिवार के लोगों के मुताबिक वह कोरोना संक्रमण से उबर चुके थे और टेस्ट नेगेटिव आने के बाद कोरोना वॉर्ड से बाहर थे। शुक्रवार को उनकी हालत अचानक बिगड़ी और उन्हें वेंटिलेटर पर रखना पड़ा। लॉस एंजिलिस ओलंपिक 1984 खेल चुके सिंह ने विवाह नहीं किया था। उनकी एक भतीजी प्रज्ञा यादव है।

वह 1979 जूनियर विश्व कप भी खेले थे और हॉकी छोड़ने के बाद स्टेट बैंक से स्वैच्छिक सेवानिवृति ले ली थी। सीतापुर में जन्में सेंटर हाफ सिंह ने 1979 से 1984 के बीच शानदार प्रदर्शन किया। दो ओलंपिक के अलावा वह 1980 और 1983 में चैम्पियंस ट्रॉफी , 1982 विश्व कप और 1982 एशिया कप भी खेले।

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Edited by Vivek Goel
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