पूर्व भारतीय हॉकी खिलाड़ी और कोच रह चुके हरदयाल सिंह का शुक्रवार को 87 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे बीमार चल रहे थे। उन्हें 1956 के मेलबर्न ओलम्पिक में भारतीय टीम को स्वर्ण पदक दिलाने में अहम भूमिका निभाने के लिए जाना जाता है। जीवन की अंतिम सांसें उन्होंने देहरादून में ली। हॉकी में उनकी कला की वजह से सन 2004 में भारत सरकार ने उन्हें ध्यानचंद पुरस्कार से सम्मानित किया था। उस समय भारत के राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने उन्हें यह सम्मान दिया था। पिछले कुछ समय से उनका स्वास्थ्य खराब चल रहा था। जीवन के अंतिम समय में उनको आर्थिक समस्या का भी सामना करना पड़ा। पंजाब सरकार ने उनकी मदद की लेकिन घरेलू राज्य उत्तराखंड से उन्हें कोई सहयोग नहीं मिल पाया। 1956 के ओलम्पिक में हरदयाल सिंह ने 5 गोल दागे थे। उनके इस जबरदस्त प्रदर्शन के बल पर भारतीय टीम ने स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया था। खेल की अच्छी समझ और सूझबूझ की वजह से उन्हें 1972 में भारतीय हॉकी टीम का कोच भी नियुक्त किया गया। इस पद पर वे काफी वर्षों तक रहे। हालांकि वे अब इस दुनिया में नहीं रहे लेकिन एक गौरवशाली इतिहास अभी भी जिन्दा है। इतिहास में उन्हें ओलम्पिक में किये गए बेहतरीन प्रदर्शन के कारण जाना जाएगा।