इस साल अर्जुन अवॉर्ड की लिस्ट से चूक जाने के बावजूद अभिषेक वर्मा का ध्यान नहीं भटका। इससे अभिषेक वर्मा को और बेहतर करने की प्रेरणा मिली। मृदु भाषी निशानेबाज अभिषेक वर्मा ने कोरोना वायरस के कारण चंडीगढ में अपने परिवार के साथ पांच महीने बिताने के बाद सामान बांधा और अगस्त में गुरुग्राम ट्रेनिंग बेस में लौट आए।
अभिषेक वर्मा को हॉबी शूटर के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने 2018 एशियाई खेलों में ब्रॉन्ज मेडल जीता था। चंडीगढ से लौटने के बाद अभिषेक वर्मा ने कहा कि वह दोबारा शीर्ष आकार में आने के लिए बिलकुल शुरूआत से काम कर रहे हैं।
अभिषेक वर्मा ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में कहा, 'मैंने अपनी ट्रेनिंग बिलकुल जीरो से शुरू की है। मैंने लॉकडाउन के पहले जो कुछ भी किया था, मुझे उस स्तर पर दोबारा पहुंचने के लिए एकदम नई शुरूआत करनी पड़ी है। तकनीकी बात करूं तो हम मार्च तक एक कार्यक्रम का अनुपालन कर रहे थे और अपने प्रदर्शन के चरम पर थे। फिर 5-6 महीने की अवधि में हमें 10 या 20 प्रतिशत भी ट्रेनिंग करने का मौका नहीं मिला। हम लोगों में से कुछ लोगों के पास उपकरण नहीं है। कुछ लोगों के पास अभ्यास के लिए रेंज नहीं है। ब्रेक से मानसिक रूप पर भी असर पड़ा है।'
अभिषेक वर्मा ने आगे कहा, 'अब मैं क्वालीटी परफॉर्मेंस पर ध्यान दे रहा हूं और निशानेबाजी के बेसिक्स से शुरू कर रहा हूं। अपने हर पहलु को एक के बाद एक ठीक करने की कोशिश कर रहा हूं।' एक क्वालीफाईड वकील अभिषेक वर्मा ने हाल ही में पंजाब और हरियाणा के बार काउंसिल से प्रोविजनल एनरोलमेंट सर्टिफिकेट पाया। अभिषेक वर्मा की योजना थी कि साल के अंत में कुछ अभ्यास शुरू करेंगे। मगर ऐसा लगता है कि अभी उन्होंने इस पर विराम लगाने का मन बनाया है।
अभिषेक वर्मा की अलग जगह ट्रेनिंग
इस साल जनवरी में अभिषेक वर्मा ने अपने कोच ओमेंद्र सिंह के साथ रेंज छोड़ी और गुरुग्राम में अपनी अन्य सुविधा में ट्रेनिंग शुरू की। अभिषेक वर्मा ने कहा, 'मेरा एक दोस्त है, जिसने गुरुग्राम के मॉल में रेंज का निर्माण किया है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर का विशेष फायरिंग प्वाइंट मेरे लिए बनाया है। लाइटिंग और अन्य चीजें बिलकुल वैसी तैयार की हैं, जो आपको अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में मिलती हैं। वहां एक एसआईयूएस है और शेष सात पेपर टार्गेट हैं। मुझे अपनी प्राथमिकता और जरूरतों के हिसाब से वहां सबकुछ मिल गया। मैंने वहां जनवरी से मार्च तक अभ्यास किया। मैंने इसके लिए अतिरिक्त पैसा दिया। जब कोई कैंप नहीं था, तो मैंने वहां अभ्यास किया।' अभिषेक वर्मा और अन्य कई निशानेबाज गुरुग्राम में किराए के घर पर रहते हैं।