Rio Olympics 2016: जानिए इस बार भारत को कितने पदक मिलेंगे ?

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ये वो समय है जब लैटिन सिद्धांत "सिटिस, अल्टिस, फोर्टिस" सेंटर स्टेज ले लेता है। विश्व का सबसे बड़ा खेल मेला जहाँ पर 206 देशों से खिलाडी 306 खेलों में हिस्सा लेने आए हैं। उसकी शुरुआत केवल कुछ घंटों में हो रही है। मेजबान देश की संस्कृति पर एक नज़र डालें तो वहां की चका चौंध देखकर हम दंग रह जाएंगे। इसमें से एक चीज़ साम्बा है। कई स्थलों पर आखिर के कुछ काम किये जा रहे हैं। इसी बीच भारत की ओर से अबतक की सबसे बड़ी ओलंपिक टुकड़ी ब्राज़ील पहुँच गयी है। यहाँ कुल 119 खिलाडी हैं। लंदन ओलंपिक्स में 6 पदक जीतने के बाद रियो ओलंपिक्स में भारतीय टीम पहले के प्रदर्शन से अच्छा प्रदर्शन करना चाहेगी। पिछले चार सालों में अंतराष्ट्रीय स्तर पर खिलाडियों ने अच्छा प्रदर्शन किया है और इसलिए उनसे उम्मीदें भी बढ़ चुकी हैं। इसलिए हम यहाँ पर कुछ अनुमान लगाने जा रहे हैं। हालाकिं हमारे अनुमान 100% सही नहीं होंगे, लेकिन उसके आस-पास ज़रूर होंगे। मैडल टेबल पर भी सबकी रूचि होगी। यहाँ पर खिलाडियों को जीतने की राह की ओर ले जानेवाले रास्ते पर किसी का नियंत्रण नहीं होता। आधुनिक ओलंपिक के संस्थापक बैरन पियरे डी कूबेरतीं ने कहा, "ओलंपिक खेल की सबसे ज़रूरी बात है पदक जीतना नही बल्कि इसमें हिस्सा लेना है।" इसी आधार पर भारत का प्रदर्शन देखने लायक है। लेकिन जो आकंड़े देखेंगे, ये रही उनके लिए भविष्यवाणी: बैडमिंटन में राष्ट्रीय कोच पुलेला गोपीचंद और अनुभवी साइन नेहवाल अगर अपने पूरे रंग में रही तो एक पदक पक्का है। हाल ही में हुए ऑस्ट्रेलियाई ओपन सुपर सीरीज में उन्होंने पूर्व विश्व चैंपियन रातचानोक इंतानोन और वांग यिहान को मात दी थी। ये दो विश्व चैंपियन के साथ स्पेन की कैरोलिना मारिन और पूर्व ओलंपिक में स्वर्ण पदक विजेता ली सुरुई से उन्हें कड़ी चुनौती मिलेगी। deepika-kumari-1467214151-800 लंदन ओलंपिक्स 2012 में हमे तीरंदाज़ दीपिका कुमारी स बड़ी उम्मीदें थी, लेकिन वो पदक जीतने में असफल रहे। इसी के चलते भारत लौटते ही उनके कोच ने त्यागपत्र दे दिया। लेकिन इस बार की महिला तीरंदाज़ का मनोबल बढ़ा हुआ है और पिछले हार से सीख लेकर वें काफी अनुभवी हुई है। बोम्बायला देवी और लक्ष्मी रानी माझी के साथ मिलकर दीपिका कुमारी भारत के लिए कम से कम एक पदक जीतना ज़रूर चाहेंगी। yogeshwar dutt जिस तरह से भारत के रैसलर्स हैं उसे देखते हुए कम से कम तीन पदक की उम्मीद की जा सकती हैं। अपने चौथे और आखरी ओलंपिक में हिस्सा ले रहे योगेश्वर दत्त अब एक बूढ़े शेर हो गए हैं लेकिन फिर भी उनमें स्वर्ण पदक जीतने की पूरी काबिलियत है। अगर वें फ्रैंक चमीज़ों को हरा देते हैं तो पिछले ओलंपिक के मुकाबले उनका यहाँ पर प्रदर्शन अच्छा होगा। narsinghi-1470053895-800 ये देखनेवाली बात होगी की मुकाबले के दौरान नरसिंग यादव की मानसिक स्तिथि कैसी होगी, लेकिन हमें उनसे भी एक पदक की उम्मीद हैं। 74 किलो की श्रेणी में मुकाबला करनेवाले यादव पर सुशिल कुमार की विरासत को आगे बढ़ाने और डोपिंग टेस्ट को गलत साबित करने का दबाब होगा। इसका उन्हें फायदा भी हो सकता है और वें अपने विरोधी के सामने मजबूत भी बन सकते हैं। हालांकि उनपर काफी दवाब होगा, लेकिन ये रैसलर कोई भी एक पदक जीतकर इस दबाब को कम करना चाहेगा। vinesh-phogat-1470029026-800 विनेश फोगाट का आत्मविश्वास देखते बनता है और शायद वें सभी को ओलंपिक में चौंका दें। मोंगोलिया के क्वालीफ़ायर में 400 ग्राम वजन अधिक होने के कारण डिसक्वालीफाई हुई विनेश ने अपना ओलंपिक टिकट इस्तांबुल से विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक विजेता इवोना मैकोव्स्का को हराकर स्वर्ण पदक हासिल कर के किया। 14 वीं रैंक की विनेश अपने आत्मविश्वास को ऐसे ही बनाए रखना चाहती हैं और महिलाओं की रैस्लिंग से भारत को पहला पदक दिलाना चाहती हैं। sania-BOPANNA-getty रोजर फेडरर-स्टेन वावरिंका और ब्रायन ब्रदर्स की जोड़ी के न होने के बावजूद पुरुषों के डबल में लिएंडर पेस और रोहन बोपन्ना से 20 साल बाद पदक जीतने का सपना धुंधला सा दिखाई देता है। लेकिन कोर्ट पर सानिया मिर्ज़ा और रोहन बोपन्ना की जोड़ी कमाल की है और उनसे हमें पदक की ज्यादा उम्मीद है। अगर वें पदक जीतने में कामयाब हुए तो इसमें चौंकने की कोई बात नहीं होगी। shiva-thapa-1470171695-800 विजेंद्र सिंह और मैरी कॉम के बिना भारत को उसका नया 22 वर्षीय हीरो शिवा थापा के रूप में मिल चुका है। लंदन ओलंपिक्स 2012 में 18 साल की उम्र से शुरू करनेवाले थापा काफी आगे बढ़ चुके हैं और अब अपने वर्ग के दूसरे रैंक के बॉक्सर हैं। उनका मौजूदा रैंक 5 है और उनसे हमे पदक की उम्मीद है, लेकिन ये सब उनके ड्रा पर निर्भर करेगा। लेकिन अप्रैल में एशिया-ओशिनिया ओलंपिक क्वालीफाइंग टूर्नामेंट में रजत पदक जीतकर कर उन्होंने ओलंपिक खेलों में पदक की उम्मीद बढ़ा दी है। mirabaichanu1-1454770236-800 सैखोम मीराबाई चानू के पास भी ओलंपिक में पदक जीतने की प्रबल दावेदार हैं। इस 21 वर्षीय वेटलिफ्टर ने ट्रेल्स में 192 किलो भार उठा कर चौथा सबसे ज्यादा भार उठाया। होउ ज़हीहुई 48 किलो वर्ग से अपना नाम पीछे ले चुकी हैं और थाईलैंड की ओर से केवल एक ही प्रतियोगी हिस्सा ले रही है। ऐसे में कर्णम मल्लेश्वरी के बाद भारत का वेटलिफ्टिंग में पदक जीतने का सपना पूरा कर सकती हैं। अगर वें कुछ किलो वजन और उठा लें तो भारत के लिए पदक पक्का है। dipa-karmakar-1467214765-800 भारत की ओर से जिमनास्टिक में पदक की आशा दीपा करमाकर से हैं। वें उन चुनिंदा जिम्नास्ट में से हैं जिन्होंने प्रोडूनोव वॉल्ट को सही से किया। 2012 महिलाओं की जिम्नास्ट स्वर्ण पदक विजेता सैंड्रा रालुका इज़्बा से उन्हें केवल 0.358 अंक कम मिले थे। रियो ओलंपिक में उनका पदक जीतना कठिन है, लेकिन यहाँ पर पदक जीतकर उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा। jitu-rai-1467214544-800 विश्व की नंबर 3 जीतू राइ के पास पहले ही दिन पदक जीतने का मौका है। जहाँ तक निशानेबाज़ी का सावल है, उनका आत्मविश्वास बढ़ा हुआ है। अगर वें ओलंपिक जैसे खेलों को विश्व कप के खेल की नज़र से देखेंगे, तो इससे हमे कोई परेशानी नहीं होगी। इससे कुल पदकों की संख्या 10 हुई, लेकिन ओलंपिक के हीरो जैसे गगन नारंग, अभिनव बिंद्रा और हीना सिंधु चल पड़े तो ये संख्या और बढ़ सकती है। इतना ही नहीं 40 वर्षीय मेराज अहमद शैख़ से भी हमे निशानेबाज़ी में पदक की उम्मीद है। अगर बात करें की हम अपने आप को लंदन ओलम्पिक्स 2012 के मुकाबले कहाँ देखते हैं, तो इस बार हमारा स्थान पीछेल बार के 55 वें मुकाबले 30 या 40 के आस पास हो सकता है। एथेलीटस पर हमें भरोसा है और अगर सब सही रहा तो हम पहली बार मैडल की संख्या में दोहरे आंकड़े तक पहुँच सकते हैं। मिशन रियो अब ज्यादा दूर नहीं। लेखक: श्वरो घोषाल, अनुवादक: सूर्यकांत त्रिपाठी

Edited by Staff Editor
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